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    चोपता के 15 पर्यटक स्थल 2024 | 15 Tourist Places to Visit in Chopta in Hindi 2024

    17 Mins Read

    चोपता के 15 पर्यटक स्थल 2024 | 15 Tourist Places to Visit in Chopta in Hindi 2024 | Chopta Travel Guide in Hindi | Things To Do in Chopta in Hindi | Best Time to Visit in Chopta in Hindi | Chopta Tourist Places in Hindi

    चोपता के बारे में – About Chopta in Hindi

    उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता एक छोटा मगर खूबसूरत हिल स्टेशन है। अल्पाइन घास के मैदानों और सदाबहार वनों से घिरे हुए चोपता की समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 2680 मीटर (8793 फ़ीट) है। उत्तराखंड के इस छोटे से हिल स्टेशन में अल्पाइन घास के मैदान और सदाबहार वनों अलावा यहाँ के आसपास के क्षेत्रों में देवदार और रोडोडेंड्रन के विशाल पेड़ भी देखे जा सकते है।

    एक हिल स्टेशन होने के बावजूद चोपता की असली पहचान तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला शिखर की वजह से है। तुंगनाथ और चंद्रशिला की वजह से चोपता ट्रेकर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा होने की वजह से चोपता में कई प्रकार के वन्यजीवों की दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती इनमें भी कस्तूरी मृग और उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल का नाम प्रमुखता से आता है।

    तुंगनाथ और चंद्रशिला का ट्रैक करने के लिए पूरे साल ट्रैकर चोपता की यात्रा करते दिखाई देते है। जनवरी और फरवरी के महीने में होने वाली अत्यधिक बर्फबारी की वजह से चोपता का  सड़क मार्ग से संपर्क टूट जाता है। साल के इन शुरुआती दो महीनों यहाँ पर कई फ़ीट बर्फ़ की परत जम जाती है इस वजह से यहाँ पहुँचना बहुत मुश्किल हो जाता है।

    साल के बाकी महीनों में आप बड़े आराम से अपने निजी वाहन या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सहायता से चोपता बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।

    चोपता में 15 पर्यटक स्थल – 15 Places to visit in Chopta in Hindi

    तुंगनाथ मंदिर – Tungnath in Hindi


    Tungnath_temple
    Tungnath Temple | Click on image for Credits

    चोपता से 3.5 किलोमीटर की पैदल दुरी पर स्थित तुंगनाथ मंदिर (Chopta to tunganath distance) यहाँ का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध पर्यटक और तीर्थ स्थल दोनों है। उत्तराखंड में भगवान् शिव के पंच केदार मंदिर में तीसरे नंबर पर आने वाला तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर भी है।  तुंगनाथ मंदिर की समुद्रतल से ऊंचाई 3680 मीटर ( 12073 फ़ीट ) है।

    यह शिव मंदिर लगभग एक हजार साल से ज्यादा पुराना है और अगर इस मंदिर के निर्माण से जुडी हुई पौराणिक कथाओं की तरफ ध्यान दे तो यह शिव मंदिर लगभग पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। ऐसा माना जाता है कि तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करवाया था।

    पांडवों ने सिर्फ तुंगनाथ मंदिर का निर्माण ही नहीं करवाया था बल्कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुल पाँच शिव मंदिरों को निर्माण करवाया था जिन्हें बाद में पंच केदार के नाम से जाना जाने लगा (केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव )। तुंगनाथ मंदिर के कपाट साल में सिर्फ 06 महीने ही दर्शन के लिए खुले रहते है।

    सर्दियों के मौसम में यहाँ बहुत ज्यादा बर्फ़बारी होती है इसलिये सर्दियों के मौसम में 06 महीने तक तुंगनाथ मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद कर दिये जाते है। तुंगनाथ मंदिर की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

    देवरिया ताल -Deoriatal in Hindi

    deoriatal
    Deoriatal

    चोपता से लगभग 20 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित देवरिया ताल झील एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटक स्थल है। समुद्रतल से 2438 मीटर ( 7998 फ़ीट ) की ऊँचाई पर स्थिर देवरिया ताल झील सरी गांव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवरिया ताल झील का उल्लेख हिन्दू धर्म से जुड़े हुए कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है और इसमें अलावा महाभारत काल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम भी इस प्राचीन झील से जुड़े हुए है।

    अपने पौराणिक और धार्मिक महत्व के अलावा देवरिया ताल झील क्रिस्टल जैसे साफ पानी की वजह से भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। देवरिया ताल से दिखने वाली चौखम्बा पर्वत श्रृंखला के बहुत अविस्मरणीय प्रतिबिंब इस झील के पानी मे दिखाई देते है। यह खूबसूरत झील उत्तराखंड के सबसे आसान ट्रेक्स में से एक मानी जाती है।

    किसी भी शुरुआती ट्रैकर के लिए देवरिया ताल झील की यात्रा बहुत आसान और यादगार साबित हो सकती है। अधिकांश ट्रैकर तुंगनाथ और चंद्रशिला का ट्रैक के लिए सबसे पहले देवरिया ताल झील से ही अपने ट्रेक की शुरुआत करते है। इन सब के अलावा रात्रि शिविर के लिए भी देवरिया ताल बहुत प्रसिद्ध पर्यटक स्थल माना जाता है।

    अधिकांश ट्रैकर देवरिया ताल तक ट्रेक करते है और रात के समय झील के पास में बने हुए शिविर में रुकते है और अगले दिन वापस लौट जाते है। देवरिया ताल के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

    ओंकार रत्नेश्वर महादेव – Omkar Ratneshwar Mahadev Temple In Hindi

    आप जब सरी गाँव से देवरिया ताल झील के लिए ट्रेक शुरू करते है तो लगभग आधा किलोमीटर चलने के बाद आप ओंकार रत्नेश्वर महादेव मंदिर के पास पहुँच जाते है। इस प्राचीन शिव मंदिर को देवरिया नाग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस प्राचीन शिव मंदिर की वास्तु कला एकदम केदारनाथ और तुंगनाथ मंदिर के समान ही है।

    मंदिर के गृभगृह में स्थापित शिवलिंग पर एक तांबे का कुंडल भी जो कि सांप के जैसा दिखाई देता है। इस शिवलिंग से जुड़ी हुई सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जब इस शिवलिंग पर पानी डाला जाता है तो वह पानी एक नाग के रूप में बह जाता है।

    ओंकार रत्नेश्वर महादेव में दर्शन का समय – Omkar Ratneshwar Mahadev Temple Timings In Hindi

    दिन के किसी भी समय ।

    ओंकार रत्नेश्वर महादेव में प्रवेश शुल्क – Omkar Ratneshwar Mahadev Temple Entry Fee In Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    चंद्रशिला ट्रेक – Chandrashila Trek in Hindi

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    Chandrashila Peak

    तुंगनाथ के बाद चंद्रशिला शिखर दूसरी ऐसी जगह है जो की चोपता के पास स्थित सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में से एक है। चोपता से चंद्रशिला शिखर की पैदल दूरी मात्र 5.5 किलोमीटर है। जिसमें 3.5 किलोमीटर की पत्थरों से बनी पक्की सड़क है जो कि तुंगनाथ मंदिर तक जाती है उसके बाद आप लगभग 02 किलोमीटर के कच्चे रास्ते पर ट्रेक करके चंद्रशिला के शिखर तक पहुँच सकते है।

    चंद्रशिला शिखर देखने के लिए तो आप पूरे साल कभी-भी आ सकते हौ लेकिन जनवरी और फरवरी के महीने में यहां पर कई फीट बर्फ़बारी हो जाती है। साल के इन 02 महीनों में चोपता से चंद्रशिला का रास्ता बंद हो जाता है। जनवरी और फरवरी के महीने में अधिकांश ट्रेकर्स देवरिया ताल के रास्ते से चंद्रशिला शिखर तक पहुँच सकते है।

    देवरिया ताल से चंद्रशिला शिखर की दूरी 27 किलोमीटर के आसपास है (Deoria Tal to Chandrshila Distance) । यह 27 किलोमीटर पूरा करने में आपको 03 दिन का समय लग जाता है। चंद्रशिला शिखर की समुद्रतल से ऊँचाई 4130 मीटर (13549 फ़ीट) है, यह ट्रेक आसान से मध्यम श्रेणी के ट्रेक में गिना जाता है।

    इसके अलावा चंद्रशिला ट्रेक उत्तराखंड में सबसे ज्यादा किया जाने वाला ट्रैकिंग डेस्टिनेशन भी है। चंद्रशिला ट्रेक की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

    नोट :-  01 जनवरी से लेकर फरवरी और मार्च महीने में बिना किसी प्रशिक्षित ट्रैकिंग गाइड के बिना चंद्रशिला के शिखर तक जाना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं माना जाता है। 

    02 अगर साल के इन 02-03 महिनों में चंद्रशिला ट्रेक करना चाहते है तो आपके ट्रैकिंग के लिए जरूरी इक्विपमेंट होना बहुत जरूर है और साथ मे एक ट्रैकिंग गाइड जो कि आप को सुरक्षित चंद्रशिला के शिखर तक ले जाये।

    03 अधिकांश ट्रैकिंग एजेंसिस जनवरी और फरवरी के समय चंद्रशिला शिखर का ट्रैक सुरक्षा कारणों से नहीं करवाती है।

    बिसुरीताल – Bisurital in Hindi

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    Bisurital | Ref img

    चोपता से लगभग 30 किलोमीटर की पैदल दूर पर स्थित बिसुरीताल झील ट्रेकर्स के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। समुद्रतल से 4100 मीटर (13451 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित बिसुरीताल झील उत्तराखंड के प्रमुख ट्रैकिंग डेस्टिनेशन में से एक है। बिसुरीताल झील का निर्माण गर्मियों के मौसम पहाड़ो पर जमी हुई बर्फ़ के पिघलने की वजह से होता है।

    बिसुरीताल झील सड़क से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि आप इस खूबसूरत झील तक सिर्फ पैदल चलकर ही पहुंच सकते है। बिसुरीताल के पूरे ट्रेक के दौरान आप संकरे रास्तों, घने जंगलों, नदी-नालों और झरनों को पार करते हुए बिसुरीताल झील तक पहुंचते है। बिसुरीताल ट्रेक का अधिकांश हिस्सा केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य में से हो-कर गुजरता है जो कि इस ट्रैक का और भी ज्यादा खूबसूरत और शानदार बना देता है।

    बिसुरीताल ट्रेक के दौरान अगर आप की किस्मत अच्छी रही तो आप इस ट्रेक के दौरान हिमालयन तेहर, कस्तूरीमृग, मोनाल, हिम तेंदुआ, जंगली बिल्ली जिसे दुर्लभ वन्यजीवों को भी देख सकते है। सड़क मार्ग या फिर किसी भी तरह के यातायात मार्ग से बिसुरीताल पहुँचना संभव नहीं है आप यहाँ पर सिर्फ पैदल यात्रा करके ही पहुंच सकते है।

    यही एक कारण है कि आज भी बिसुरीताल का ट्रैक सिर्फ वही लोग करते है जिन्हें असली रोमांच पसंद होता है और वो लोग भीड़ से दूर किसी ऐसी जगह जाने चाहते है जहाँ पर किसी भी प्रकार भीड़भाड़ और शोरगुल ना हो।

    इसलिए अगर आप बिसुरीताल का ट्रैक करने का कार्यक्रम बना रहे है तो अपने साथ किसी स्थानीय गाइड को लेकर जरूर जाएं। आप चाहे तो किसी ट्रैकिंग ऑर्गनाइजेशन की सहायता से भी बिसुरीताल का ट्रैक कर सकते है। बिसुरीताल ट्रेक की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

    कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य – kanchula korak Musk Deer Sanctuary in Hindi

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    Kanchula Korak Musk Deer Sanctuary | Ref Img

    चोपता से 07 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य उत्तराखंड के सबसे छोटे मगर प्रमुख वन्यजीव आअभ्यारण्य में से एक माना जाता है। इसका मुख्य कारण है इस वन क्षेत्र में पाए जाने वाले दुर्लभ कस्तूरी मृग जो कि उत्तराखंड का राष्ट्रीय पशु भी है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य चोपता के नजदीक स्थित एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है।

    मात्र 05 वर्ग किलोमीटर में फैला हुए इस वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से कस्तूरी मृग के अलावा कई अन्य प्रकार के दुर्लभ वन्यजीव भी देखे जा सकते है। वन्यजीवन के अलावा इस वन्यजीव अभ्यारण्य की वनस्पति भी बहुत घनी और गहरी है। कहते है कि इस सरंक्षित वन क्षेत्र में इतने प्रकार के हिरण पाए जाते है जिनके बारे में अभी तक वैज्ञानिक भी पता नहीं कर पाए है।

    कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य वन्यजीव प्रेमियों और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के लिए एक आदर्श पर्यटक स्थल माना जाता है।

    उखीमठ – Ukhimath in Hindi

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    Ukhimath | Ref Img

    चोपता से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उखीमठ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का प्रमुख तीर्थ स्थल है। उखीमठ उत्तराखंड के सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है।

    समुद्रतल से 1311 मीटर (4301 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित उखीमठ के ओंकारेश्वर में सर्दियों के मौसम के दौरान केदारनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर और मध्यमहेश्वर की मूर्तियों की 06 महीने तक पूजा की जाती है।

    एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और बाणासुर की बेटी उषा का विवाह भी इसी स्थान पर सम्पन्न हुआ था। और बाणासुर की बेच उषा के नाम पर इस स्थान का नाम उखीमठ पड़ गया।

    पंच केदार मंदिरों के अलावा ओंकारेश्वर भगवान की पूजा भी उखीमठ में पूरे साल की जाती है। उखीमठ की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

    दुगलबिट्टा – Dugalbitta in Hindi

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    Dugalbitta | Ref Img

    आप उखीमठ से जब चोपता के लिए रवाना होते है तो चोपता से 07 किलोमीटर पहले दुगलबिट्टा नाम का एक बहुत खूबसूरत हिल स्टेशन आता है। दुगलबिट्टा ने अभी कुछ समय पहले ही पर्यटन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनानी शुरू की है।

    स्थानीय लोगों के अनुसार दुगलबिट्टा का मतलब होता है दो पहाड़ों के बीच का जगह। कुछ समय पहले यह हिल स्टेशन चोपता जाने वाले पर्यटकों के लिए स्टॉपेज हुआ करता था।

    लेकिन अब जब सर्दियों के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी की वजह से चोपता के लिये सड़क बंद हो जाती है तो पर्यटक सर्दियों के मौसम दुगलबिट्टा में समय बिताना पसंद करने लगे है।

    बनियाकुंड – Baniyakund in Hindi

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    Baniyakund | Ref Img

    जो ट्रेकर्स देवरिया ताल से तुंगनाथ और चंद्रशिला के लिए अपना ट्रेक शुरू करते है वो लोग समिट पूरा करने से एक रात पहले बनियाकुण्ड में कैंपिंग करते है, और अगली सुबह बनिया से अपना आगे का ट्रैक शुरू करते है।

    तुंगनाथ या चंद्रशिला ट्रेक के दौरान चोपता से 04 किलोमीटर पहले आने वाला बनियाकुण्ड एक बेहद खूबसूरत छोटा-सा पहाड़ी गांव है। वास्तव में चोपता के अल्पाइन घास के मैदानों की शुरुआत बनियाकुण्ड से ही शुरू हो जाती है।

    अगर आप चोपता होते हुए तुंगनाथ या चंद्रशिला जाने का प्रोग्राम बना रहे है तो आप रात्रि विश्राम बनियाकुण्ड में बने हुए कुछ होटल और गेस्ट हाउस में कर सकते है।

    पंच केदार मंदिर – Panch Kedar Mandir in Hindi

    में आपको इस ब्लॉग में सबसे पहले तुंगनाथ मंदिर के बारे में बता चुका हूँ। तुंगनाथ मंदिर पंच केदार में तीसरे स्थान पर आता है।

    केदारनाथ मंदिर – Kedarnath in Hindi


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    Kedarnath Temple | Click on image for credits

    पंच केदार में केदारनाथ मंदिर सबसे प्रमुख मंदिर है। केदारनाथ को ही पंच केदार में प्रथम केदार के रूप में पूजा जाता है। केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की 200 से अधिक मूर्तियाँ स्थापित की गई है।

    केदारनाथ पंच केदार के अलावा भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से 11वां ज्योतिर्लिंग भी माना जाता है। केदारनाथ में भगवान शिव के पीठ की पूजा की जाती है।

    सर्दियों के मौसम में बहुत अधिक बर्फबारी की वजह से केदारनाथ मन्दिर के कपाट 06 महीने तक बंद रहते है और श्रावण पूर्णिमा के दिन दर्शनों के लिए दोबारा खुलते है। केदारनाथ के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    मध्यमहेश्वर मंदिर – Madhyamaheshwar in Hindi


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    Madhyamaheshwar Temple | Click on image for credits

    मध्यमहेश्वर पंच केदार में दूसरे स्थान पर पूजे जाते है। यह प्राचीन शिव मंदिर उत्तराखंड के मंसुना गाँव मे बना हुआ है। इस मंदिर के भगवान शिव के पेट की पूजा की जाती है।

    केदारनाथ मंदिर की तरह इस मंदिर के कपाट भी सर्दियों के मौसम में 06 महीने के लिए बंद रहते है। सर्दियों के मौसम में 06 महीनों के लिये  बाकी के तीन केदार मंदिरों की मूर्तियों के साथ मध्यमहेश्वर की भी पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है। मध्यमहेश्वर मंदिर के बारे में विस्तार से जानने के लिये यहाँ क्लिक करें।

    रुद्रनाथ मंदिर – Rudranath Mandir In Hindi


    Rudranath
    Rudranath | Click image for credits

    पंच केदार मंदिर में रुद्रनाथ मंदिर को चतुर्थ केदार के रूप में पूजा जाता है। गोपेश्वर, चमोली से रुद्रनाथ मंदिर की दूरी मात्र 14 किलोमीटर है। रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है।

    इसके अलावा यहाँ पर भगवान शिव को नीलकंठ के रूप में भी पूजा जाता है। रुद्रनाथ मंदिर से हिमालय की चौखम्बा, नंदादेवी और द्रोणागिरी पर्वत श्रृंखला के शिखर भी दिखाई देते है। मंदिर के पास में कई प्राचीन कुंड भी बने हुए है जिन्हें तारकुंड और सूर्यकुंड कहा जाता है।

    रुद्रनाथ मंदिर के ठीक पीछे वैतरणी नदी बहती है। रुद्रनाथ मंदिर के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    कल्पेश्वर मंदिर – Kalpeshwar Mandir in Hindi


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    Kalpeshwar | Click on image for credits

    पंच केदार मंदिर में कल्पेश्वर पांचवे और अंतिम केदार के रूप में पूजे जाते है। पंच केदार मंदिर में कल्पेश्वर इकलौता ऐसा मंदिर है जो कि श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पूरे साल खुला रहता है।

    इसके अलावा पंच केदार मंदिर में कल्पेश्वर सबसे कम ऊँचाई पर स्थित मंदिर भी है। समुद्रतल से कल्पेश्वर की ऊंचाई मात्र 2134 मीटर (7001 फ़ीट) है। इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर मंदिर के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    चोपता घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit Chopta in Hindi

    वैसे तो आप पूरा साल चोपता घूमने के लिए जा सकते है।  लेकिन अप्रैल से लेकर जून महीने का समय चोपता घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।  साल के इन 3-4 महीनो में चोपता का मौसम बड़ा सुहाना रहता है।

    इस समय यहाँ का तापमान 2 डिग्री से लेकर 20 डिग्री तक रहता है।  इसके अलावा आप मानसून के बाद सितम्बर से लेकर नवंबर महीने तक भी चोपता घूमने जा सकते है।  अगर आप को रोमांच पसंद है तो सर्दियों के मौसम देवरिया ताल से चंद्रशिला ट्रेक भी कर सकते है।

    जनवरी और फरवरी साल के इन 02 महीनों में आप को चोपता घूमने नहीं जाना चाहिए। इस समय यहाँ बहुत ज्यादा बर्फ़बारी होती है जिसकी वजह से चोपता जाने वाली सड़क कई फ़ीट बर्फ के निचे दब जाती है।

    चोपता में कहाँ ठहरे – Hotels in Chopta in Hindi

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    Camping in Chopta | Ref Img

    चोपता या इसके आसपास के गांव में पर्यटकों के रुकने के लिए कई छोटे और बड़े होटल बने हुए है।  होटल के अलावा चोपता के आसपास कई कैंप साइट और गेस्ट हाउस भी बने हुए है। आप गूगल की सहायता से चोपता में बने हुए होटल या गेस्ट हाउस में अपने लिए रूम बुक करवा सकते है।

    आप चाहे तो सीधा चोपता पहुंच कर भी अपने लिए आप रूम बुक कर सकते है।  चोपता आते समय आप को इस बात का विशेष ध्यान रखना है है की यहाँ पर बिजली की सुविधा बहुत कम उपलब्ध है।  अधिकतर  होटल और गेस्ट हाउस वाले आपको सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग पॉइंट ही देते है वो भी रात के समय।

    इसलिए आप जब यहाँ पर घूमने आये तो इस बात का जरूर ध्यान रखे की आपके पास आपके मोबाइल, लैपटॉप और कैमरा की एक्स्ट्रा बैटरी होना बहुत जरुरी है।

    चोपता का स्थानीय भोजन – Chopta Local Food in Hindi

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    Chopta Local Food | Ref Img

    चोपता के स्थानीय भोजन में आलू की गुटके, झिंगोरा का खीर, सिसूण का साग, कापा, मडवे की रोटी और भांग की चटनी यहाँ घूमने आने वाले पर्यटकों द्वारा खूब पसंद की जाती है।

    चोपता के स्थानीय भोजन के अलावा आप चाहे तो यहाँ पर नेपाली, पंजाबी और उत्तर भारतीय भोजन का भी आनंद ले सकते है।

    चोपता कैसे पहुँचे – How to Reach Chopta in Hindi

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    हवाई मार्ग से चोपता कैसे पहुँचे – How to Reach Chopta By Flight in Hindi

    देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट चोपता का सबसे नजदीक एयरपोर्ट है। देहरादून एयरपोर्ट से चोपता की दूरी मात्र 179 किलोमीटर है। (Dehradun to Chopta Distance) देहरादून से आप टैक्सी, कैब और बस की सहायता से चोपता बड़े आराम से पहुंच सकते है।

    रेल मार्ग से चोपता कैसे पहुँचे – How to Reach Chopta By Train in Hindi

    ऋषिकेश रेल्वे स्टेशन चोपता के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से चोपता की दूरी मात्र 162 किलोमीटर है। (Rishikesh to Chopta Distance) ऋषिकेश से आप चमोली-गोपेश्वर-चोपता के रास्ते से चोपता पहुँच सकते है।

    ऋषिकेश से आप बस, टैक्सी और कैब की सहायता से आप चोपता बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।

    सड़क मार्ग से चोपता कैसे पहुँचे – How to Reach Chopta By Road in Hindi

    आप अपने निजी वाहन की सहायता से रुद्रप्रयाग और उखीमठ के रास्ते से चोपता तक पहुँच सकते है । ऋषिकेश से राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से आपको रुद्रप्रयाग आना होगा है।

    रुद्रप्रयाग पहुँच कर आप राष्ट्रीय राजमार्ग 109 लेना होगा जो कि आपको उखीमठ तक लेकर जाएगा।

    ऋषिकेश और देहरादून से चलने वाली उत्तराखंड परिवहन की बसों से आप रुद्रप्रयाग और उखीमठ पहुँच कर फिर यहाँ से टैक्सी और कैब की सहायता से आप चोपता तक पहुंच सकते है।

    चोपता के नजदीकी पर्यटक स्थल – Near by Places to Visit Chopta in Hindi

    तुंगनाथ, चंद्रशिला, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री।

    (अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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