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    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान 2024 | Bandhavgarh National Park Travel Guide 2024 in Hindi

    22 Mins Read

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    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान – Bandhavgarh National Park In Hindi

    मध्यप्रदेश में कुल 10 राष्ट्रीय उद्यान है जिनमे से यहाँ के अधिकतम राष्ट्रीय उद्यान में बाघ पाए जाते है। और ऐसा इस वजह से है क्योंकि शुरू से ही मध्य प्रदेश में बाघों के संरक्षण में बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया और यहाँ का प्राकृतिक परिदृश्य भी बाघों के अनुकूल है। और यही वजह है की पुरे भारत में बाघों की सबसे ज्यादा जनसंख्या भी मध्यप्रदेश में ही पाई जाती है।

    2018 में कई गई बाघों की गणना के अनुसार पाया गया की मध्यप्रदेश में बाघों की कुल जनसँख्या 526 है जो की भारत के किसी भी दूसरे राज्य बहुत ज्यादा है। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ऐसा ही एक राष्ट्रीय उद्यान है जो की इस राज्य और देश की बाघों की सर्वाधिक घनत्व वाली आबादी वाला राष्ट्रीय उद्यान है।

    और यही वजह है की आपको देश के किसी भी अन्य राष्ट्रीय उद्यान की तुलना में यहाँ पर बाघ दिखाई देने की संभावना भी सबसे ज्यादा बनी रहती है।  2020 में की गई बाघों की जनगणना के अनुसार बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 164 है। इन सब के अलावा एक और वजह है जो की इस राष्ट्रीय उद्यान को देश के अन्य राष्ट्रीय उद्यानो से अलग बनाती है और वो है यहाँ पर पाए जाने वाले सफ़ेद बाघ। वर्तमान में सफ़ेद बाघों की पुरे विश्व में संख्या कुछ सौ के आसपास ही है और इनमें भी लगभग 100 के आसपास सफ़ेद बाघ हमारे देश भारत में पाए जाते है।

    हमारे देश के मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, सुंदरबन क्षेत्र और मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से सफ़ेद बाघ पाए जाते है। और ऐसा माना जाता है की देश का सबसे पहला सफ़ेद बाघ मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में पाया गया था। वर्ष 1951 में रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह बांधवगढ़ के जंगलों  में शिकार करने के लिए जाते है तो उनको वहां पर एक सफेद बाघ मिलता है जो कि उस समय एक शावक होता है।

    सफेद बाघ को देख महाराजा मार्तंड सिंह उस अपने साथ रीवा लेकर आजाते है और उसका नाम मोहन रख देते है। वर्तमान में हम हमारे देश में जितने भी सफ़ेद बाघ देखते है वो सभी मोहन नाम के बाघ के ही वंशज है। तो चलिए विस्तार से जानते है बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान और यहाँ पाए जाने वाले बाघों के बारे में।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – Bandhavgarh National Park History In Hindi


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    Bandhavgarh Fort | Click in Image For Credits

    मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ को 1968 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और जब इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तब इस उद्यान का क्षेत्रफल मात्र 105 वर्ग किलोमीटर (41 वर्ग मील ) था। और इसके बाद वर्ष 1993 में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को एक टाइगर रिज़र्व का दर्जा भी दे दिया गया। वर्तमान में इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 1161 वर्ग किलोमीटर ( 448 वर्ग मील ) है।

    इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण उमरिया की विंध्य पर्वतमाला पर स्थित प्राचीन बांधवगढ़ किले के नाम पर किया गया है। अब जब हम बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान या फिर इस क्षेत्र के इतिहास के बारे में बात करते है तो हमें यह पता चलता है कि यहाँ का इतिहास त्रेता युग यानि कि रामायण के समय से जुड़ा हुआ है। इसका उल्लेख आपको नारद पंच रात्रि और शिव पुराण जैसे ग्रंथों में भी देखने को मिलता है।

    बांधवगढ़ वास्तव में एक 2000 वर्ष पुराना किला है जिसके लिए माना जाता है कि इसे प्रभु श्री राम ने अपने छोटे भाई भैया लक्ष्मण को उपहार में दिया था। वैसे बांधवगढ़ का शाब्दिक अर्थ भी भाई का किला ही होता है। हालाँकि बांधवगढ़ किले का निर्माण कब हुआ इसके बारे में अभी तक कोई भी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है। लेकिन त्रेता युग में निर्मित इस किले को वास्तुकला की एक महान कृति माना जाता है। पुरातत्व सर्वेक्षणों के अनुसार भी यह किला ईसा काल से पूर्व निर्मित माना गया है।

    इस किले में प्रवेश करने के बाद आपको यहाँ पर कई शताब्दी पूर्व मानवीय गतिविधियों और स्थापत्य कला के कई साक्ष्य बड़ी सरलता से दिखाई दे जाते  है। किले के निर्माण से जुडी हुई एक किवंदती के अनुसार इस किले का पुनर्निर्माण नल और नील नाम के दो वानरों ने किया था। ये वही वानर है जिन्होंने ने लंका तक जाने के लिए समुद्र में पुल का निर्माण किया था।

    बांधवगढ़ किले में आपको मानव निर्मित गुफाएं, शिलालेख और रॉक पेंटिंग भी देखने को मिलती है। त्रेता युग के अलावा आपको इस किले और इस क्षेत्र में शासन करने वाले  भरिहों और वाकाटक राजवंशो के लिखित प्रमाण भी देखें को मिलते है। इसके अलावा यहाँ पर सेंगर, कलचुरी और बघेल वंश के राजाओं ने भी शासन किया है। ऐसा माना जाता है की बघेल शासको ने इस क्षेत्र में सबसे अधिक समय तक शासन किया था।

    यहाँ पर शासन करते हुए बघेल शासको ने अपने राज्य की सीमा विस्तार करने के नीति के तहत रीवा को अपनी राजधानी घोषित कर दिया। इसके कुछ सामरिक और आर्थिक कारण भी थे जैसे बांधवगढ़ का क्षेत्र राज्य के एक कोने में स्थित था जिस वजह से यहाँ पर पहुंचने में बहुत ज्यादा कठिनाई होती थी।  इसके अलावा इस क्षेत्र का अधिकांश भू-भाग निर्जन था और  यहाँ पर बहुत ज्यादा संख्या में हिंसक जंगली जानवरों की आबादी थी।

    जैसे-जैसे समय बीतता गया यहाँ पर राज करने वाले राजाओं ने इस क्षेत्र को एक गेम रिज़र्व घोषित कर दिया। जब इसे एक गेम रिज़र्व घोषित किया गया था तब उस समय राज परिवार के सदस्यों को ही यहाँ पर शिकार करने के अनुमति थी इसके अलावा और कोई भी यहाँ पर शिकार नहीं कर सकता था। एक समय था जब यहाँ पर रहने वाले लोगों पर बाघों के हमले बहुत ज्यादा बढ़ गए थे जिस वजह से उस समय रीवा के राजा ने कम से कम 109 बाघों का इस वन क्षेत्र में शिकार किया था।

    इस श्रृंखला में राजा गुलाब सिंह बघेल ने एक ही साल में लगभग 83 बाघों का शिकार किया था। लेकिन वर्ष 1968 में रीवा के राजाओं ने अपनी इस निजी सम्पति को राज्य सरकार को सौंप दिया और इसके बाद इस वन क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। आज भी बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की बड़ी आबादी देखने को मिलती है और इसी वजह से वर्ष 1993 में इस राष्ट्रीय उद्यान को प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के अंतर्गत टाइगर रिज़र्व घोषित कर दिया गया।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का भूगोल – Geography Of Bandhavgarh National Park In Hindi

    Deer in Bandhavgarh National Park | Ref img

    मध्यप्रदेश की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान एक उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु वाला वन क्षेत्र है। और इसी वजह से यह वन क्षेत्र सर्दी, गर्मी और बारिश सभी तरह के मौसम में वन्यजीवों के अनुकूल बना रहता है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान समुद्रतल से लगभग 410 मीटर ( 1345 फ़ीट ) से लेकर 810 मीटर ( 2657 फ़ीट ) ऊंचाई तक जाता है।

    उद्यान के मध्य भाग में एक प्राचीन किला बना हुआ है और इसके अलावा यह वन 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है। वहीं आपको उद्यान के सबसे ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों से पूरे वन क्षेत्र के सबसे ज्यादा अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देते है। राष्ट्रीय उद्यान ऊंचे और घने साल वृक्षों के जंगल से घिरा है, साल वृक्षों के अलावा यहाँ पर साईं, साजा और धोबिन जैसे पेड़ भी बहुत ज्यादा मात्रा में पाये जाते है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कुल क्षेत्रफल 1536 वर्ग किलोमीटर (593 वर्ग मील) में फैला हुआ है लेकिन पर्यटकों को उद्यान के एक सीमित एरिया तक ही जाने दिया जाता है। इस राष्ट्रीय उद्यान को कई जोन में भी बांटा गया है जिसमें ताला रेंज में सबसे ज्यादा बाघ दिखाई देने की संभावना रहती है। ताला रेंज के अलावा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के चार जोन और भी है जिन्हें मगधी, खितौली, कलवाह और पनपथ के नाम से जाना जाता है।

    पूरे राष्ट्रीय उद्यान में सर्दियों के मौसम में रात को तापमान बहुत ज्यादा गिर जाता है वहीं दिन का तापमान 20° के आसपास ही रहता है। गर्मियों के मौसम में यहाँ पर दिन का तापमान 40° तक चला जाता है और रातें दिन की अपेक्षा में काफी ठंडी होती है। मानसून का मौसम उद्यान में वन्यजीवों के प्रजनन का मौसम माना जाता है और इसके अलावा साल के इस समय यहां पर 50 इंच तक बारिश होती जाती है।

    इसलिए जून महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीव – Fauna in Bandhavgarh National Park In Hindi

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    Tiger In Bandhavgarh Tiger Reserve | Ref img

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारी वन्यजीवों के 22 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है और पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियाँ आपको यहाँ पर देखने की मिलती है। यहाँ पाए जाने वाले वन्यजीवों में आम लंगूर और रीसस मकाक आमतौर पर देखे जाते है। आपको यहाँ पर मांसाहारी और शिकारी जानवरों में मुख्य रूप से बंगाल फॉक्स, जंगली बिल्ली, एशियाई सियार, बाघ, सुस्त भालू, धारीदार लकड़बग्घा, रैटल, ग्रे नेवला और तेंदुआ दिखाई दे सकते है।

    इन सब के अलावा जो वन्यजीव आपको आसानी जे दिखाई दे सकते है उनमें आर्टियोडैक्टिल जंगली सुअर, सांभर, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, चिंकारा, चौसिंघा और गौर हैं। स्मॉलइंडियन सिवेट, लेसर बैंडिकूट रैट, ढोले और पाम गिलहरी जैसे स्तनधारी वन्यजीव कभी-कभार दिखाई देने की संभावना बनी रहती है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति – Flora in Bandhavgarh National Park In Hindi

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    Flora in Bandhavgarh National Park | Ref img

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले का सबसे गहन वनस्पति वाला वन क्षेत्र है। इस वन क्षेत्र की वनस्पति शुष्क पर्णपाती है और यह जगह मध्यप्रदेश की सबसे सघन वनस्पति और वन्यजीवन वाला क्षेत्र भी है। इस राष्ट्रीय उद्यान की अपेक्षाकृत मध्यम जलवायु इसे एक समृद्ध और विविध प्रकार की वनस्पति वाला वन क्षेत्र बनाती है। 32 पहाड़ियों से घिरे हुए इस राष्ट्रीय उद्यान में आपको विशाल चट्टानों, पठारों और घास के मैदानों वाला वन क्षेत्र देखने को मिलता है।

    इस उद्यान का आधा वन क्षेत्र साल और बांस के पेड़ो से घिरा हुआ है। उद्यान के ढलान वाले इलाकों में आपको बांस देखने को मिलता है और वहीं पर मैदानी और घाटी वाले इलाकों में आपको साल के पेड़ देखने को मिलते है। इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान में ऊंचाई वाले जगहों पर आपको मिश्रित वनस्पति देखने को मिलती है। इन सब के अलावा विशाल घास के मैदान भी इस राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति की विविधता को दर्शाते हैं।

    बांधवगढ़ में बहने वाली नदियों और पानी की प्रचुर मात्रा की वजह से आपको यहाँ पर 300 से भी ज्यादा प्रकार के पेड़ पौधों की प्रजातियां देखने को मिलती है। साल और बांस के अलावा यहाँ पर कुछ वनस्पतियां और भी है जो यहाँ पर प्रमुखता से पाई जाती है जैसे- साज, आंवला, पलास, मधुका, खैर, खजूर, अर्जुन, बबुल, बरगद, ढाक, कदम, ढोक, जामुन, धौरा, आम, बेर, सलाई, तेंदु, टेरोकार्पस, केकरा, कारेल, लैगरस्ट्रोमिया, बोसवेलिया, नीम, महुआ और खेजड़ा।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Bandhavgarh National Park Weather in Hindi

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    Weather In Bandhavgarh National Park | Ref img

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के मध्य भाग में स्थित है और इसी वजह से इस राष्ट्रीय उद्यान की समुद्रतल से ऊंचाई 400 मीटर से लेकर 800 मीटर तक जाती है। गर्मियों के मौसम में इस राष्ट्रीय उद्यान का तापमान 40° तक चला जाता है लेकिन रातें अपेक्षाकृत ठंडी होती है।

    वहीँ सर्दियों के मौसम में रात का तापमान काफी नीचे चला जाता है लेकिन दिन के समय का तापमान 20° के आसपास ही रहता है। मॉनसून के मौसम में यहाँ का मौसम बहुत अच्छा होता है लेकिन यह समय वन्यजीवों के प्रजनन का समय माना जाता है और इसके अलावा मानसून के मौसम में कई बार बहुत ज्यादा बारिश की वजह से रास्ते बंद हो जाते है इसलिये मॉनसून के मौसम में यह राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

    गर्मियों में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Bandhavgarh National Park Weather in Summer In Hindi

    मार्च से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 42℃ / न्यूनतम: लगभग 33℃

    मानसून में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मौसम -Bandhavgarh National Park Weather in Monsoon In Hindi

    जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 32℃ / न्यूनतम: लगभग 21℃

    (मानसून के मौसम में बांधवगढ़ नेशनल नेशनल पार्क पर्यटकों के लिये बंद रहता है।)

    सर्दियों में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Bandhavgarh National Park Weather in Winter In Hindi

    अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 20℃ / न्यूनतम: लगभग 1℃ और कम।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय – Bandhavgarh National Park Best Time To Visit In Hindi

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    Best Time To Visit Bandhavgarh National Park | Ref img

    बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय अनवंबर से लेकर मार्च तक का माना जाता है। क्योंकि इस समय मानसून के मौसम के बाद इस  राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु की स्थित पर्यटन के हिसाब से बहुत अच्छी मानी जाती है।

    गर्मियों के मौसम में यहाँ पर बहुत तेज गर्मी होती है जिस वजह से आपको यहाँ पर जंगल सफारी करते हुए काफी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। बाकी मॉनसून के मौसम में यहाँ का तापमान पर्यटन के लिए अनुकूल होता है लेकिन साल के इस समय यह राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

    नोट:- 01 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिए खोलने और बन्द करने के समय मे कभी भी स्थानीय प्रशासन के द्वारा बदलाव किया जा सकता है।

    02 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिये खोलने और बन्द करने के सभी तरह के अधिकारी स्थानीय प्रशासन के पास सुरक्षित है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के खुलने का समय – Bandhavgarh National Park Opening Time in Hindi

    15 अक्टूबर से लेकर 30 जून तक बांधवगढ़ राष्ट्रीय उधान पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के बंद होने का समय – Bandhavgarh National Park Closing Time in Hindi

    01 जुलाई से लेकर 14 अक्टूबर तक बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के सफारी ज़ोन – Bandhavgarh National Park Safari Zone in Hindi


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    Jungle Safari in Bandhavgarh National Park | Click on Image for credits

    मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कुल 06 जोन बने हुए है जिनमे से 03 कोर जोन और 03 बफर जोन है। इस उद्यान के कोर जोन लगभग 716 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और उद्यान के इस भाग को 03 भागों में बांटा हुआ है जिन्हे ताला जोन, मगधी जोन और खितौली जोन के नाम से जाना जाता है।

    वहीँ उद्यान का बफर जोन लाघबाहग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिन्हें धमखोर, जोहिला (कलवा) और पनपथ (पचपेड़ी) के नाम से जाना जाता है। जहाँ बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का कोर जोन पर्यटकों के लिए साल में सिर्फ 06 महीने ही खुला रहता है वहीँ बफर जोन पुरे साल पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बफर जोन में विशेष अनुमति के साथ नाईट सफारी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।

    (यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है की नाईट सफारी आप तभी कर सकते है जो आपको सम्बंधित विभाग से अनुमति मिलती है।)

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का कोर ज़ोन – Bandhavgarh National Park Core Zone in Hindi

    ताला जोन – Tala Zone In Hindi

    ताला  जोन बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का सबसे प्रसिद्ध और सबसे ज्यादा देखे जाने वाला कोर जोन है, बाघ के सबसे ज्यादा दिखाई देने की संभावना भी इस जोन में रहती है। इसके अलावा ताला जोन उद्यान का यह हिस्सा सबसे पुराना जाने है। ताला जोन में बांधवगढ़ किला और भगवान विष्णु का 10वीं शताब्दी में निर्मित विश्व प्रसिद्ध विग्रह भी है जिसमें वह शेष शैया की मुद्रा में लेटे हुए है।

    उद्यान के इस हिस्से में ही चरण गंगा नदी का उद्गम होता है जो की उद्यान की प्रमुख जलधारा भी मानी जाती है। आपको ताला जोन में ही 10वीं शताब्दी के आसपास बनी हुई गुफाएं भी देखने को मिलती है। अगर हम यहाँ की वनस्पति और प्राकृतिक परिदृश्यों की बात करें तो में आपको यह बताना चाहूंगा की बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के इस भाग में आपको प्रसिद्ध चक्रधारा और राजभेरा के घास के मैदानों की अविस्मरणीय दृश्य देखने को मिलते है।

    कुल मिला कर ताला जोन में बाघ के दिखाई देने की सर्वाधिक संभावना विशाल साल के पेड़ वाले जंगल, पहाड़ी परिदृश्य और घास के मैदान मिल कर इसे इस राष्ट्रिय का सबसे ज्यादा देखें जाने वाला जोन बना देते है।

    मगधी जोन – Maghdi Zone In Hindi

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मगधी जोन एक मिश्रित सघन वन क्षेत्र है।  उद्यान के हिस्से पर यहाँ पर कई मानव निर्मित वाटर होल्स बनाये हुए है जैसे –  दाभाधोले, सुखी पटिहा, मुर्धवा, सुखी पटिहा और चरकपवाहा जैसे वाटर होल्स देखेने को मिलते है। हाल ही के कुछ वर्षों में उद्यान  इस के हिस्से में बाघों की आवाजाही बहुत बढ़ गई है जिस वजह से उद्यान के इस हिस्से  बाघ दिखाई देने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है।

    खितौली जोन – Khitauli Zone In Hindi

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के इस हिस्से में आपको शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र ज्यादा दिखाई देता है। कुछ समय पहले उद्यान के इस हिस्से में प्रवासी जंगली हाथियों के झुण्ड को देखा गया था और इसके अलावा हाल के कुछ वर्षों में उद्यान का हिस्सा बाघों के दिखाई देने वाली अधिकतम सम्भावना वाले हिस्से के रूप में भी उभरा है।

    उद्यान के इस हिस्से में आपको चौसिंगा, चिंकारा और नीलगाय जैसे वन्यजीव बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है। वानस्पतिक तौर पर आपको यहाँ पर बांस पर्याप्त मात्रा में देखने को मिल जाएंगे।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का बफर ज़ोन – Bandhavgarh National Park Buffer Zone in Hindi

    धमोखर बफर जोन – Dhamokhar Buffer Zone In Hindi

    वास्तव में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का धमखोर बफर जोन उद्यान के कोर जोन मगधी जोन का ही विस्तार है। उद्यान के इस हिस्से का प्रवेश द्वार महामण और पारसी गांव के बीच में स्थित है जो की इस राष्ट्रीय उद्यान के सबसे प्रसिद्ध ताला जोन से 14 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।

    धमखोर बफर जोन में  बदावर, केहरावा, कलवाधार, जमुनिया, माधवा, मुदगुडी, झांझ और कडेवाहा जैसे क्षेत्र शामिल है। उद्यान के इस हिस्से से आपको  सेहिमाड़ा की कुछ प्राकृतिक गुफाएं, मुदगुडी बांध और कदेवाहा घास का मैदान देखने का मौका मिलता है।

    जोहिला बफर जोन – Johila Buffer Zone In Hindi

    जिस प्रकार धमखोर बफर जोन उद्यान के मगधी ज़ोन का विस्तार है उसी प्रकार जोहिला बफर जोन भी उद्यान के ताला जोन का विस्तार है।  ताला गांव से 35 किलोमीटर की दुरी के आसपास स्थित जोहिला बफर जोन का प्रवेश द्वार चेचपुर गाँव और मानपुर-शहडोल के पास में स्थित है। इस जोन के मुख्य आकर्षण का केंद्र जोहिला जलप्रपात जिसे जिसे देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते रहते है।

    उद्यान में बहने वाली जोहिला नदी जो की आगे जाकर सोन नदी में मिल जाती है का उद्गम स्थल अमरकंटक है। इसके अलावा बड़िया घाट, कुथुलिया जलप्रपात, ज़ुर्नर घाट और छिंदिया घाट उद्यान के इस हिस्से के अन्य आकर्षण स्थल है

    पनपथ बफर जोन – Panpath Buffer Zone In Hindi

    ताला गांव से लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित इस उद्यान का पनपथ बफर जोन इस राष्ट्रीय उद्यान के खितौली जोन का विस्तार है। उद्यान के इस हिस्से में आपको मुख्य रूप से चौसिंगा, जंगली कुत्ते, नीला बैल और चिंकारा जैसे वन्यजीव बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है।

    वानस्पतिक तौर पर आपको जंगल के हिस्से में आपको बांस, अर्जुन और पर्णपाती वृक्ष देखने को मिलते है। इसके अलावा यहाँ पर एक बहुत ही सुन्दर जलधारा भी बहती है जहाँ पर आप दोपहर के भोजन और नाश्ते का आनंद ले सकते है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क – Bandhavgarh National Park Entry Fee in Hindi

    S.no Particular Entry Fees For Single Seat Gypsy Entry Fees For Full Vehicle

    (06 Person)

    01 Weekdays 400/- INR Per Person 2400/- INR For 06 Person
    02 Weekend 500/-INR Per Person 3000/- INR For 06 Person

    बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सफारी – Bandhavgarh National Park Safari in Hindi


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    Elephant Safari Bandhavgarh National Park | Click in image for credits

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कुल चार तरह की जंगल सफारी की जा सकती है – जीप्सी सफारी, फुल डे सफारी, कैंटर सफारी और एलीफैंट सफारी। इन चारों जंगल सफारी में जिप्सी सफारी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है इसके अलावा अगर आप फुल डे सफारी करना चाहते है तो आपको लगभग 70000/- रुपये देने पड़ सकते है।

    वहीँ एलीफैंट सफारी की परमिशन मिलना बहुत ही मुश्किल है। इसके अलावा कैंटर सफारी भी की जा सकती है जिसकी प्रति व्यक्ति लागत 550/- रूपये के आसपास रहती है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क, जंगल सफारी और गाइड सभी के शुल्क अलग से देने पड़ते है। जीप्सी में आपको फुल वेहिकल और सिंगल सीट दोनों तरह के विक्लप उपलब्ध करवाए जाते है।

    बांधवगढ़ नेशनल पार्क एलीफैंट सफारी – Bandhavgarh National Park Elephant Safari in Hindi

    S.no Particular Elephant Safari Price Elephant Safari Timing Elephant Safari Capacity
    01 Adult 1000/- INR Per Person 8:00 AM to 09:00 AM (Morning) 04 Person
    02 Child(Age 5-12) 500/-INR Per Person 09:00 AM – 10:00 PM (Evening)

    नोट :- 01 बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एलीफैंट सफारी की अवधि सिर्फ आधा घंटा ही है। 

    02 एलीफैंट सफारी से पहले प्रशासन के द्वारा हाथी की उपलब्ध्ता और उसकी सेहत निरीक्षण किया जाता है उसके बाद ही एलीफैंट सफारी की अनुमति दी जाती है। 

    03 एलीफैंट सफारी की अनुमति देना पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन के ऊपर निर्भर करता है। 

    04 एलीफैंट सफारी के समय में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है। 

    05 हर बुधवार को  बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में दोपहर की सफारी बंद रहती है। 

    06 होली के त्यौहार पर भी  बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में सुबह और शाम दोनों समय की सफारी बंद रहती है। 

    बांधवगढ़ नेशनल पार्क जीप सफारी – Bandhavgarh National Park Jeep Safari in Hindi

    S.no Type of Jeep Safari Safari cost Jeep Hiring cost Guide Total Capacity
    01 Single Seat 500/- INR Per Person 3000/- INR

    (divide into 06 Person)

    480/- INR

    (divide into 06 Person)

    1080/- INR Per Person 06 Person
    02 Full Vehicle 3000/-INR Per Person 3000/- INR 480/- INR 6480/- INR For 06 Person 06 Person

    नोट:- 01 उधान में प्रवेश से पहले उद्यान से जुड़े हुए नियमों के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें। 

    02 बांधवगढ़ नेशनल पार्क में यात्रा, सफारी और ऑनलाइन बुकिंग से जुडी हुई और अधिक जानकारी के लिए उद्यान की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें ( https://forest.mponline.gov.in/ ) 

    03 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में किसी भी तरह की आपात स्थित में आपकी सफारी की बुकिंग बिना किसी पूर्व सुचना के रद्द की जा सकती है। 

    04 जीप सफारी और किसी भी अन्य दूसरी सफारी की कॉस्ट में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है। 

    05 आप एक बार में सिर्फ एक ही गेट से उद्यान में प्रवेश कर सकते है बाकि के सभी गेट से प्रवेश करने  के लिए अलग से प्रवेश शुल्क देना होगा। 

    06  जीप सफारी और एलीफैंट सफारी के लिए अलग से शुल्क देना होगा। 

    07 हर बुधवार को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में दोपहर की सफारी बंद रहती है। 

    08 होली के त्यौहार पर भी बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में सुबह और शाम दोनों समय की सफारी बंद रहती है। 

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में सफारी का समय – Bandhavgarh National Park Safari Timing in Hindi

    Jungle Safari Timing 15th Oct To 15th Feb 16th Feb To 31 March 01st April To 30th June
    Morning 0  06:30 AM To 11:00 AM 6:30 AM To 11:00 AM 05:30 AM To 10:00 AM
    Evening 02:30 PM To 5:30 PM 03:00PM To 06:00 PM 04:00 PM To 07:00 PM

    नोट:- 01 किसी भी जोन में सफारी पर जाने से पहले एक बार सफारी के समय के बारे में जरूर पता कर लें। 

    02 सफारी के समय में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है। 

    03 सफारी के समय पर मौसम के हिसाब से बदलाव संभव है। 

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कहाँ रुके – Hotels in Bandhavgarh national Park in Hindi

    hotel_in_bandhavgarh_national_park
    Hotel in Bandhavgarh National Park | Ref img

    बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान के पास स्थित ताला में पर्यटकों के लिए आधिकारिक आवास सुविधा उपलब्ध है लकिन यहाँ पर खाली रूम मिलने की संभावनाएं बहुत कम है। इसके अलावा उद्यान के कोर जोन और बफर जोन के पास बहुत सारे निजी रिसोर्ट बने हुए जहाँ पर आप आसनी से फ़ोन और ऑनलाइन सुविधा की सहायता से आप अपने लिए रूम बुक करवा सकते है।

    उद्यान के पास में स्थित लगभग सभी रिसोर्ट और होटल वाले जंगल सफारी की सुविधा भी उपलब्ध करवाते है लेकिन इसके लिए आपको रिसोर्ट वालों को अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Bandhavgarh National Park in Hindi

    how_to_reach_bandhavgarh_national_park
    How To Reach Bandhavgarh National Park | Ref img

    हवाई मार्ग से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Bandhavgarh National Park By Air in Hindi

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट है  जिसकी इस राष्ट्रीय उद्यान से दूरी मात्र 194 किलोमीटर है। और इसके अलावा खजुराहो एयरपोर्ट से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की दूरी 250 किलोमीटर है। इन दोनों ही एयरपोर्ट से आप टैक्सी, कैब और बस की सहायता से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान आसानी से पहुंच सकते है।

    भारत के लगभग सभी एयरपोर्ट से आप इन दोनों एयरपोर्ट के लिए सीधी और कनेक्टिंग हवाई सेवा उपलब्ध मिल जायेगी।

    रेलमार्ग से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Bandhavgarh National Park By Train in Hindi

    बा

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