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    Home»Language»Hindi»श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा 2024 | Shrinathji Temple Nathdwara In Hindi 2024
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    श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा 2024 | Shrinathji Temple Nathdwara In Hindi 2024

    15 Mins Read

    श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा 2024 | Shrinathji Temple Nathdwara in Hindi 2024 | Shrinathji Darshan | Timings | History | Darshan Timings | Entry Fee | Shrinahtji in Hindi

    श्रीनाथ जी मंदिर का इतिहास – Shrinathji Temple History in Hindi

    Goverdhan Parvat Refrence Image

    राजसमंद जिले में स्थित नाथद्वारा के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बहुत समृद्ध है। यह शहर अरावली पर्वतमाला के पास में स्थित है और बनास नदी के किनारे पर बसा हुआ है। नाथद्वारा, उदयपुर से मात्र 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। नाथद्वारा अपने आसपास स्थित प्राकृतिक सम्पदा या फिर बनास नदी के कारण एक प्रसिद्ध स्थल नहीं है।

    बल्कि नाथद्वारा में स्थित भगवान श्रीनाथजी  के मंदिर की वजह से यह शहर भारत और दुनिया के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को मूलरूप से भगवान कृष्ण का ही स्वरुप माना जाता  है। वैसे तो नाथद्वारा में हिन्दू धर्म में विश्वास रखने वाले सभी लोग भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करने के लिए जाते रहते है।

    लेकिन हिन्दू धर्म के पुष्य मार्ग वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े हुए लोगों की भगवान श्रीनाथजी में विशेष आस्था रहती है। भगवान श्रीनाथजी के विग्रह से जुडी हुई पौराणिक कथाओ और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीनाथजी ने मथुरा के पास स्थित गोवेर्धन पर्वत से एक पत्थर के रूप में प्रकट हुए थे। गोवर्धन पर्वत पर अवतरित होने के बाद से ही भगवान श्रीनाथजी को गोवर्धन पर्वत पर पूजा जाने लगा।

    भगवान श्रीनाथजी के मंदिर में पूजा पाठ और देखरेख की जिम्मेदारी मंदिर के मुख्य पुजारी वल्लभाचार्य जी के पास थी। वल्लभाचार्य जी के बाद उनके पुत्र विट्ठलनाथजी ने  भगवान श्रीनाथजी के मंदिर की देखरेख और पूजा पाठ को जारी रखा। 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब पूरे भारत वर्ष में हिन्दू मंदिरों और हिन्दू धर्म स्थलों को तहस-नहस कर रहा था।

    इसी क्रम 1672 में औरंगजेब की नज़र मथुरा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर पर पड़ गई उसने मंदिर और  भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को तोड़ने के लिए मथुरा के लिए अपनी मुगल सेना को रवाना कर दिया था। उस समय श्रीनाथजी मंदिर के मुख्य पुजारी दामोदर गोसाई जी को जब मुगलों के आक्रमण का पता चला तो वह भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को घोड़ा गाड़ी पर लेकर मथुरा से निकल गए।

    मथुरा छोडने के बाद दामोदर गोसाई जी को पता चला की मेवाड़ में भगवान श्रीनाथजी का विग्रह एकदम सुरक्षित रहेगा, तो वह भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को लेकर मेवाड़ आ गए। उस समय मेवाड़ के शासक महाराणा राजसिंह को जब पता चला की मथुरा से दामोदर गोसाई जी भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को लेकर मेवाड़ आ रहे है। तो महाराणा राजसिंह स्वयं दामोदर गोसाई जी के पास भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करने के लिए चले आये।

    भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करने के बाद महाराणा राजसिंह ने दामोदर गोसाई जी को वचन दिया की जब तक मेवाड़ में एक भी राजपूत जीवित है, तब तक भगवान श्रीनाथजी  के विग्रह को औरंगजेब और उसकी मुगल सेना हाथ भी नहीं लगा सकती। उसके बाद 1672 में नाथद्वारा में भगवान श्रीनाथजी के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया।

    नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर को “श्रीनाथजी की हवेली” के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा भी माना जाता है की मेवाड़ की राजकुमारी अजब कुंवर भगवान श्रीनाथजी  की बहुत बड़ी परम भक्त थी। कहा जाता है की भगवान श्रीनाथजी बृज से राजकुमारी अजब कुँवर के साथ चौपड़ खेलने आया करते थे।

    एक बाद राजकुमारी ने भगवान श्रीनाथजी को मेवाड़ में ही रुकने के लिए निवेदन किया तो भगवान श्रीनाथजी ने राजकुमारी को यह आश्वासन दिया था की सही समय आने पर वह मेवाड़ में अपना स्थायी निवास जरूर बनायेगें। 1934 में उदयपुर के तत्कालीन शासक ने यह आदेश जारी किया की श्रीनाथजी मंदिर से जुड़ी हुई सभी प्रकार की सम्पति पर पूर्ण तया मंदिर का ही अधिकार होगा।

    उस समय के श्रीनाथजी मंदिर के मुख्य पुजारी श्री तिलकायत जी महाराज जो मंदिर का सरंक्षक, ट्रस्टी और प्रबंधक नियुक्त किया गया। मंदिर से जुड़ी हुआ 562 प्रकार की सम्पति का दुरुपयोग ना हो इसलिए उदयपुर के शासक ने श्रीनाथजी मंदिर की देखरेख का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखा।

    श्रीनाथजी का विग्रह | श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा – Shrinathji Temple in Hindi


    Lord Shrinath Ji Artifical Statue, Nathdwara | Click on Image For Credits

    नाथद्वारा के श्रीनाथ जी मंदिर में स्थापित श्रीनाथजी के विग्रह को भगवान कृष्ण का ही दूसरा रूप माना जाता है। मंदिर में स्थित श्रीनाथजी का विग्रह बिल्कुल उसी अवस्था में खड़ा हुआ है जिस अवस्था में भगवान कृष्ण ने गोवेर्धन पर्वत को अपने बाएँ हाथ की सबसे छोटी उँगली से उठाया था। भगवान श्रीनाथजी का विग्रह दुर्लभ काले संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है।

    विग्रह का बायाँ हाथ हवा में उठा हुआ है और दाहिने हाथ की मुट्ठी को कमर पर टिकाया हुआ है। भगवान के होंठों के नीचे एक हीरा भी लगा हुआ है। श्रीनाथजी के विग्रह के साथ में एक शेर, दो गाय, एक सांप, दो तोता और दो मोर भी दिखाई देते है और इन सब के अलावा तीन ऋषि मुनियों की चित्र भी विग्रह के पास रखी गई है।

    श्रीनाथजी मंदिर की रोचक बातें – Shrinathji Stories in Hindi

    Lord Krishna Deity

    मध्यकालीन भारत में भगवान श्रीनाथजी की आस्था मथुरा और नाथद्वारा के अलावा भारत के अन्य शहरों में भी खूब बढ़ी थी। भारत के विभाजन से पहले डेरा गाजी खान (वर्तमान में पाकिस्तान का एक शहर) नामक जगह पर श्री लालजी महाराज और श्री दाऊ जी महाराज ने भगवान श्रीनाथजी को समर्पित श्री गोपीनाथ जी मंदिर का निर्माण करवाया था।

    भगवान श्रीनाथजी भारत के अलावा रूस और मध्य एशिया के कई देशों में पूज्नीय रहे है। आज भी भगवान श्रीनाथजी के प्रति श्रद्धा रखने वाले विदेशी यात्री श्रीनाथजी के दर्शन करने के लिए भारत की यात्रा जरूर करते है।

    श्रीनाथजी मंदिर की वास्तुकला नाथद्वारा – Architecture of Shrinathji Temple in Hindi


    Ras Leela Painting Of Lord Krishna | Click on Image For Credits

    नाथद्वारा में भगवान श्रीनाथजी का मंदिर एक किलेनुमा महल के भीतरी भाग में स्थित है। मंदिर के बाहरी भाग में स्थित महल का निर्माण सिसोदिया वंश के राजपूत राजाओं द्वारा करवाया गया था। मुख्य मंदिर का वास्तु वृंदावन में स्थित भगवान कृष्ण के पिता नंद बाबा को समर्पित मंदिर के वास्तु से प्रभावित है।

    मंदिर के शीर्ष भाग पर एक कलश स्थापित किया गया है, कलश के साथ भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र को भी स्थापित किया गया है। कलश और सुदर्शन चक्र के अलावा मंदिर के शिखर पर सात पताकाएं भी फहराई गई है। यह सातों पताकाएं पुष्य मार्ग वैष्णव सम्प्रदाय (वल्लभ सम्प्रदाय) का प्रतिनिधित्व करती है। श्रीनाथजी के मंदिर को “श्रीनाथजी की हवेली” के नाम से भी जाना जाता है।

    पुष्य मार्ग वैष्णव सम्प्रदाय में श्रीनाथजी को एक व्यक्ति मान करके पूजा जाता है इस वजह से श्रीनाथजी के मंदिर को “श्रीनाथजी की हवेली” कह कर बुलाया जाता है। सामान्य भाषा में यह कहा जाता जा सकता है की नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी का मंदिर भगवान श्रीनाथजी घर है। इसलिए मंदिर में श्रीनाथजी की पूजा भी और मंदिरों से अलग प्रकार से होती है। श्रीनाथजी का मंदिर एक प्रकार से भगवान का घर है।

    इसीलिए एक घर में जैसे अलग-अलग उपयोग के लिए कक्ष बने हुए होते है। वैसे ही मंदिर में दूध के लिए एक कक्ष, मिठाई के लिए एक कक्ष, सुपारी के लिए एक कक्ष, रसोई घर, फूलों के लिए अलग कक्ष, बैठक, घुड़साल, ड्रॉइंगरूम, आभूषण कक्ष, सोने और चांदी को पीसने की चक्की और लॉकर रूम बना हुआ है।

    इन सभी कक्षों के अलावा जिस रथ पर भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को लाया गया था उसको भी घर के मुख्य वाहन की तरह प्रदर्शित किया गया है। नाथद्वारा मंदिर के मुख्य परिसर में भगवान मदन मोहन और नवीन प्रिया को समर्पित दो मंदिर और बने हुए है।

    श्रीनाथजी मंदिर में त्यौहार – Festivals in Shrinathji Temple in Hindi


    Radha Krishna Painting | Click On Image For Credits

    श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्रीनाथजी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को दर्शाता है, जिसकी अवस्था सात वर्ष के बालक की है। ऐसा मन जाता है की जब श्रीनाथजी का विग्रह गोवेर्धन पर्वत से अवतरित हुआ था तब वह भगवान श्री के बाल रूप के जैसा प्रतीत हो रहा था।

    इसलिए कृष्ण जन्माष्ठमी के त्यौहार को श्रीनाथजी मंदिर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्ठमी के त्यौहार के समय मंदिर में बहुत ज्यादा संख्या में भक्तगण  श्रीनाथजी भगवान के दर्शन करने के लिए नाथद्वारा आते है। कृष्ण जन्माष्ठमी के अलावा मंदिर में होली और दिवाली के त्यौहार को भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

    श्रीनाथजी मंदिर में आरती – Shrinathji Temple Aarti Timings in Hindi

    नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर में भगवान श्रीनाथजी के विग्रह के विषय में  श्रद्धालुओं और पुजारियों में यह विश्वास है की श्रीनाथजी का विग्रह जीवित है। इसलिए श्रीनाथजी के मंदिर में होने वाली भगवान की पूजा अन्य मंदिरों से अलग होती है। श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्रीनाथजी की दिनचर्या (पूजा) एक छोटे बालक की ही तरह रहती है।

    भगवान  श्रीनाथजी की दिनचर्या में उन्हें सुबह जल्दी उठाने से लेकर भगवान को नहलाना, भोजन करवाना, आराम करवाना और भगवान को रात के समय सोने सुलाना यह सभी कार्य पूर्व निर्धारित होते है। श्रीनाथजी भगवान के भोजन के समय चढ़ाये जाने वाले प्रसाद को भोग कहा जाता है।

    श्रीनाथजी के दर्शन (दिनचर्या) को दिन के आठ भागों में बाँटा गया है और इन सभी भागों को अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है जिन्हे – मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उथापन, भोग, आरती और शयन नाम से बुलाया जाता है। इन सभी दर्शनों में भगवान श्रीनाथजी को हर बार अलग -अलग रूप में तैयार किया जाता है। वैसे तो श्रद्धालु दिन के समय होने वाली किसी भी आरती में दर्शन करने के लिए जा सकते है।

    लेकिन भगवान  की श्रीनाथजी श्रृंगार आरती को देखना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। श्रृंगार आरती में भगवान  श्रीनाथजी को बहुत ही सुन्दर और हाथ से बने हुए रेशम के कपड़ो से सजाया जाता है। भगवान के सभी वस्त्रों पर जरी और कढ़ाई का बहुत महीन काम होता है। कपड़ो के अलावा भगवान श्रीनाथजी को पहनाए जाने वाले सभी गहने असली सोने के बने हुए होते है। रात के समय मंदिर में भजन कीर्तन होते है इस वजह से  रात वाली आरती में मंदिर का माहौल बहुत धार्मिक और आनंदमय हो जाता है।

    श्रीनाथजी मंदिर में दर्शन का समय – Shrinathji Darshan Timings

    S.no         आरती           समय
    01 मंगला आरती 05:45 AM  To 06:30 AM
    02 श्रृंगार आरती 07:15 AM  To 07:45 AM
    03 ग्वाल आरती 09:15 AM  To 09:30 AM
    04 राजभोग आरती 11:15 AM  To 12:05 PM
    05 उथापन आरती 03:45 PM  To 04:00 PM
    06 भोग आरती 04:45 PM  To 05:00 PM
    07 आरती 05:15 PM  To 06:00 PM
    08 शयन आरती 06:15 PM  To 07:15 PM

     नोट :-  श्रीनाथजी मंदिर में मंदिर प्रबंधन द्वारा भगवान श्रीनाथजी के दर्शनों के समय में किसी भी समय बदलाव किया जा सकता है। मंदिर परिसर में कैमरा और मोबाइल कैमरा के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबन्ध है।

    नाथद्वारा का स्थानीय बाजार – Local Market in Nathdwra Hindi

    Local Market in Nathdwara | Ref Img

    नाथद्वारा के स्थानीय बाज़ार में वैसे तो राजस्थानी हस्तशिल्प से बनी हुए मूर्तियां, राजस्थान में पहने जाने वाली पारम्परिक वेषभूषा, घर में काम आने वाले बर्तन आदि खरीदने के बहुत सारी दुकानें उपलब्ध मिल जाएगी। लेकिन जो चीज़ नाथद्वारा के स्थानीय बाज़ार में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और जिसे नाथद्वारा में सबसे ज्यादा खरीदा जाता है।

    वह राजस्थान की प्राचीन चित्रकला पद्ति से बनाये गए भगवान श्रीनाथजी के बेहद सुंदर चित्र है। राजस्थान की जिस प्राचीन चित्र पद्ति से भगवान श्रीनाथजी के चित्र बनाये जाते है उस कला को “पिचाई पैंटिंग” कहा जाता है। नाथद्वारा में पिचाई पेंटिंग तरीके से बनने वाले चित्रों में भगवान श्रीनाथजी के चित्रों के अलावा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रची गई रास-लीलाओं और नृत्यों को बहुत महीन तरीके से चित्रित किया जाता है।

    पिचाई पैंटिंग की सबसे खास बात यह है की जब इस तरीके से कोई चित्र बनाया जाता है तो उस समय जरूरत पड़ने पर शुद्ध सोने से बने हुए रंगों का उपयोग भी किया जाता है। पिचाई पेंटिंग के अलावा नाथद्वारा में आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु स्थानीय कलाकारों द्वारा चावल के दानों पर अपना नाम लिखवाना बहुत पसंद करते है।

    नाथद्वारा में चावल के दाने पर नाम लिखने वाले कलाकारों की बहुत सारी छोटी-बड़ी स्टॉल बनी हुई है। भारत के हर हिन्दू परिवार के घर में पूजे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप माने जाने वाले “लड्डू गोपाल” की बहुत सुंदर-सुंदर मूर्तियां नाथद्वारा में खरीदी जा सकती है। और साथ में “लड्डू गोपाल” के लिए बहुत सारे सुंदर वस्त्रों को भी खरीदा जा सकता है।

    नाथद्वारा में स्थानीय खाना – Local Food in Nathdwara Hindi

    Local Food In Nathdwara

    एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल होने की वजह से नाथद्वारा में खाने और पीने के हिसाब से भारत के अलग-अलग राज्यों के विभिन्न तरह के खानपान की किस्में उपलब्ध है। लेकिन गुजरात और राजस्थान से जुड़ी हुई पारम्परिक नमकीन और मिठाई की दुकानें ज्यादा उपलब्ध है। गुजरात के खमण, ढोकला, फाफड़ा, जलेबी, मिट्ठी कचौरी और मीठे समोसे पर्यटकों द्वारा नाथद्वारा में बहुत पसन्द किये जाते है।

    और राजस्थान के रसगुल्ले, कढ़ी कचौरी, कढ़ी समोसा और मिर्ची बड़े पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किये जाते है। नाथद्वारा में मिट्टी से बने हुए कुल्हड़ में दी जाने वाली चाय भी बहुत प्रसिद्ध है। पेय पदार्थों में शुद्ध दूध से बनी हुई ठंडाई, शिकंजी और नाथद्धारा में बनने वाली भांग की ठंडाई पर्यटकों में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।

    नाथद्वारा में होटल – Hotels in Nathdwara in Hindi

    Hotel Room’s In Nathdwara | Reg Img

    एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल होने की वजह से नाथद्धारा में भगवान श्रीनाथजी के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए नाथद्वारा में रुकने के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध है। हिन्दू धर्म से जुड़ी हुई अलग-अलग सम्प्रदायों की धर्मशालाओं और भारत के अलग-अलग राज्यों से जुड़ी हुई धर्मशालाओं में नाथद्वारा आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक रुक सकते है।

    धर्मशालाओं के अलावा नाथद्वारा में रुकने के लिए होटल भी बने हुए है। नाथद्वारा आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु होटल्स ऑनलाइन हॉटेल बुकिंग करने वाली वेबसाइट पर बहुत आसानी से करवा सकते है। नाथद्वारा में स्थित बहुत सारी धर्मशालाओं के फ़ोन नंबर और एड्रेस गूगल पर उपलब्ध है। नाथद्वारा में बहुत सारी धर्मशालायें तो ऐसी जहाँ पर श्रद्धालु निःशुल्क रुक सकते है।

    इसके अलावा नाथद्वारा में स्थित धर्मशालाओं में रुकने का न्यूनतम शुल्क 50/- रुपये से शुरू होता है। धर्मशालाओं के अलावा नाथद्वारा में स्थित होटल ले रूम का शुल्क गूगल पर सर्च किया जा सकता है।

    नाथद्वारा कैसे पहुंचे – How to reach Nathdwara in Hindi

    How To Reach Nathdwara

    सड़क मार्ग नाथद्वारा कैसे पहुंचे – How to reach Nathdwara By Road in Hindi

    भारत का एक प्रमुख धार्मिक स्थल होने की वजह से नाथद्वारा भारत के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ से जुड़ा हुआ है| गुजरात और राजस्थान के प्रमुख शहरों से नाथद्वारा के लिए सरकारी और निजी बसों की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध है |

    इसके अलावा अगर आप चाहे तो अपने निजी वाहन या फिर कैब द्वारा भी नाथद्वारा बहुत आसानी से पहुँच सकते है| उदयपुर से नाथद्वारा की सड़क मार्ग से दुरी मात्रा 46 किलोमीटर है| अगर आप जयपुर की तरफ से उदयपुर आते है तो नाथद्वारा पहले आता है|

    रेल मार्ग नाथद्वारा कैसे पहुंचे – How to reach Nathdwara By Train in Hindi

    मावली जंक्शन रेलवे स्टेशन नाथद्वारा के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है| मावली जंक्शन रेलवे स्टेशन से नाथद्वारा की दुरी मात्र 30 किलोमीटर है| मावली जंक्शन रेलवे स्टेशन के अलावा उदयपुर रेलवे स्टेशन से भी नाथद्वारा बहुत आसानी से पहुँच सकते है|

    उदयपुर रेलवे स्टेशन से नाथद्वारा की दुरी मात्र 46 किलोमीटर है| मावली और उदयपुर से नाथद्वारा सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है| इन दोनों जगहों से सरकारी और निजी बसों के अलावा कैब से भी बहुत आसानी से नाथद्वारा पहुँचा  जा सकता है|

    हवाईजहाज से नाथद्वारा कैसे पहुंचे – How to reach Nathdwara By Air in Hindi

    उदयपुर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे ( डबोक हवाई अड्डा ) से नाथद्वारा की दुरी मात्र 49 किलोमीटर है| भारत के प्रमुख शहरों से उदयपुर  हवाई अड्डा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है| अगर आप विदेश से यात्रा करके नाथद्वारा आ रहे है तो गुजरात में स्थित अहमदाबाद हवाई अड्डे से नाथद्वारा की दुरी मात्र 302 किलोमीटर है और राजस्थान के जयपुर शहर से नाथद्वारा की दुरी मात्र 355 किलोमीटर है| जयुपर और अहमदाबाद दुनिया के प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है|

    नाथद्वारा के नजदीकी पर्यटक स्थल – Places to visit near Nathdwara

    नाथद्वारा के आसपास बहुत सारे खूबसूरत पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-01 , उदयपुर Part-02 , उदयपुर Part-03 , उदयपुर Part-04 , सिटी पैलेस, कुम्भलगढ़, कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जोधपुर, रणकपुर, सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर, चित्तौड़गढ़, माउंट आबू और गुजरात में स्थित अम्बा जी मंदिर भी आप समय निकाल कर जा सकते है।

    (अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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