पुष्कर के 16 पर्यटन स्थल 2021 | पुष्कर राजस्थान |16 Places to visit in Pushkar in Hindi | Pushkar Tourist places | Pushkar Tourism | Pushkar in Hindi
पुष्कर का इतिहास – History of Pushkar in Hindi

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ एक प्राचीन और पौराणिक शहर है। पुष्कर हिन्दू धर्म के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है। हिन्दू मान्यतों के अनुसार पुष्कर में स्थित पुष्कर झील में स्नान करने पर सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पद्मपुराण, वाल्मीकि रामायण और वेदव्यास रचित महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों और पुस्तकों में इस प्राचीन शहर का उल्लेख मिलता है, इन पुस्तकों के अलावा ऐसे बहुत सारे पुराण और प्राचीन ग्रंथ है जिनमे पुष्कर का उल्लेख बहुत स्पष्टता के साथ किया गया है। कई बोद्ध भिक्षुओं ने भी अपने यात्रा वर्णन में पुष्कर का उल्लेख किया है।
पुष्कर में स्थित ब्रम्हा मंदिर भारत में स्थित इकलौता ब्रम्हा मंदिर है इसके अलावा इंडोनेशिया, कंबोडिया आदि देशों में भी भगवान ब्रम्हा के मंदिर बने हुए है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर में स्थित ब्रम्हा मंदिर की स्थापना भगवान ब्रम्हा ने स्वयं की थी। महाभारत में जब पांडवों को अज्ञातवास मिलता है तो पांडव अपने अज्ञातवास का कुछ समय पुष्कर में भी बिताते है।
अपने अज्ञातवास् के दौरान पांडवो ने पांच कुंड का निर्माण किया था। यह पांचों कुंड पुष्कर के पास स्थित अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ पर आज भी बने हुए है। पुष्कर में ऐसे प्रमाण भी मिलते है जिनमे ऋषि विश्वामित्र, अगस्त्य ऋषि, वामदेव और राजा भृतहरि जैसे महान तपस्वियों ने पुष्कर में काफी समय तक तपस्या की है।
मुगल आक्रांताओं के हमले से भी पुष्कर अछूता नहीं रहा, यहाँ के लगभग सभी प्राचीन मंदिरों को मुगल आक्रांता औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। वर्तमान में पुष्कर में स्थित लगभग सभी मंदिरों का पुनः निर्माण करवाया गया। धार्मिक तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ पुष्कर एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है।
विदेश से आने वाले पर्यटक पुष्कर में आना बहुत ज्यादा पसंद करते है, बहुत सारे विदेशी पर्यटक तो यहाँ पर कई दिनों तक रुकना पसंद करते है। तो चलिये अब पुष्कर के बारे में विस्तार से जानने की कौशिश करते है और यह पता करते है की क्यूँ लोग इस जगह पर आना इतना पसंद करते है।
पुष्कर झील पुष्कर – Pushkar Lake in Hindi

राजस्थान के सबसे बड़े तीर्थ स्थल और सबसे बड़े पर्यटक स्थल में से एक पुष्कर में स्थित पुष्कर झील का वर्णन ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से पहले का माना जाता है। सांची के शिलालेखों में भी पुष्कर झील का वर्णन मिलता है तथा बोद्ध भिक्षुओं और चीनी यात्री फा जियान द्वारा इस प्राचीन तीर्थ स्थल का उल्लेख अपने यात्रा वर्णनों में किया गया है।
पुष्कर झील अपने अस्तित्व में आने के बाद से हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में पूजी जाती रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वयं भगवान ब्रम्हा द्वारा पुष्कर झील का निर्माण किया है। भगवान ब्रम्हा द्वारा निर्मित इस झील से जुड़ी हुई पौराणिक कथा को स्थानीय गाइड या फिर स्थानीय निवासी के द्वारा अवश्य सुना जाना चाहिए।
1666 से 1708 के बीच में सिखों के 10वें सिख गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी पुष्कर झील के पास समय बिताया है। गुरु गोविन्द सिंह जी ने पुष्कर झील के किनारे पर बैठ कर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया था। मुगल आक्रांताओं ने पुष्कर और पुष्कर झील के आसपास स्थित लगभग सभी प्राचीन मंदिरों को तोड़ दिया।
कुछ समय के बाद जब भारत में मराठा साम्राज्य का उदय हुआ और कुछ राजपुत राजाओं ने मिल कर पुष्कर के सभी मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया। पुष्कर झील के चारों तरफ लगभग 500 प्राचीन और नए मंदिर बने हुए है अब ये आप पर निर्भर करता है की इनमें से आप कितने मंदिर देख पाते है।
झील पर कुल 52 घाट भी बने हुए है, इन सभी घाटों का अपना-अपना धार्मिक और पौराणिक महत्व है। पुष्कर झील पर बने हुए ग्वालियर घाट, गंगूर घाट, यग घाट, दधिच्च घाट, जयपुर घाट, वराहा घाट, करनी घाट, कोटा घाट, गोविन्द घाट, सप्तर्षि घाट और गौ घाट के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए।
पुष्कर झील देखने का समय – Pushkar Lake Timings
in Hindi
सुबह 09:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक।
पुष्कर झील में प्रवेश शुल्क – Pushkar Lake Entry Fee
in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
वराह घाट पुष्कर – Varah Ghat Pushkar in Hindi

विश्व प्रसिद्ध पुष्कर झील पर कुल 52 घाट बने हुए है इन सभी घाटों का अलग-अलग महत्व है। झील के प्रमुख घाटों में से एक वराह घाट सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत घाट है। शाम के समय वराह घाट से पुष्कर झील के खूबसूरती एक दम अलग दिखाई पड़ती है।
वराह घाट पर हर शाम को सायंकालीन आरती का आयोजन किया जाता है जिसे में भाग लेने के लिए पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्रित होती है। घाट पर रात के समय होने वाले भजन संध्या कार्यक्रम मन को सुकून प्रदान करते है।
वराह घाट के पास में कई तरह के फ़ूड स्टाल भी बने हुए है इसके अलावा राजस्थानी हस्तशिल्प से बने कलाकृतियों के बेचने के लिए विक्रेता अपनी छोटी सी दुकान लगाते है। पुष्कर में शाम के समय वराह घाट पर समय बीतना आप की पुष्कर यात्रा कार्यक्रम में एक अच्छी यादगार बन सकता है।
वराह घाट पुष्कर में प्रवेश का समय – Varah Ghat Pushkar Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
वराह घाट पुष्कर में आरती का समय – Varah Ghat Pushkar Aarti Timings in Hindi
गर्मियों में शाम को 07:00 बजे।
सर्दियों में शाम को 05:30 बजे।
वराह घाट पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Varah Ghat Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
गौ घाट पुष्कर – Gau Ghat Pushkar in Hindi

वराह घाट के अलावा पुष्कर झील पर स्थित गौ घाट धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण घाट है। पुष्कर आने वाले सबसे ज्यादा श्रद्धालु पुष्कर झील पर स्थित गौ घाट पर आते है। इसका सबसे मुख्य कारण है धार्मिक अनुष्ठानों के लिए गौ घाट सबसे उपयुक्त घाट माना जाता है।
हिंदू धर्म में एक मनुष्य की मृत्य के बाद उसकी मृत देह का दाह संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की अस्थियों को एक कलश में रख कर पुष्कर झील पर स्थित गौ घाट के ऊपर पूरी धार्मिक प्रकिया के साथ अस्थियों को पानी में विसर्जित किया जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार मृत व्यक्ति की अस्थियों को पानी में विसर्जित करने बाद मुक्ति मिलती है और उसकी आत्मा सांसारिक बंधनो से मुक्त होती है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसे देश के प्रमुख राजनेताओं की अस्थियों का विसर्जन गौ घाट पर किया है।
गौ घाट पुष्कर में प्रवेश का समय – Gau Ghat Pushkar Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
गौ घाट पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Gau Ghat Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
ब्रम्हा मंदिर पुष्कर – Bramha Temple Pushkar in Hindi

पुष्कर में लगभग 500 से भी ज्यादा नए और प्राचीन मंदिर बने हुए है। इन सभी मंदिरो में यहां स्थित ब्रम्हा मंदिर सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर है। 14वीं शताब्दी में निर्मित ब्रम्हा मंदिर के निर्माण में संगमरमर और पत्थर का उपयोग किया गया था। मंदिर के अंदर भगवान ब्रम्हा के साथ उनकी दूसरी पत्नी देवी गायत्री की मूर्ति को भी स्थापित किया गया है।
पुष्कर में ब्रम्हा मंदिर के निर्माण को लेकर बहुत सारी पौराणिक कथाएँ सुनने को मिलती है। पदमपुराण के अनुसार ब्रम्हा ने सृष्टि का निर्माण करने के लिए पृथ्वी पर तीन कमल के फूल की पंखुड़िया गिराई थी। यह तीनों पंखुड़िया पृथ्वी पर जिस स्थान पर आकर गिरी थी उस स्थान आज हम सब पुष्कर के नाम से जानते है।
पुष्कर में जिन तीन स्थानों पर कमल की पंखुड़िया गिरी उन स्थानों पर तीन झील बन गई जिन्हें पुष्कर झील, मध्य पुष्कर झील, और कनिष्क पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। सृष्टि निर्माण के बाद भगवान ब्रम्हा ने पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया। देवी सावित्री जो की भगवान ब्रम्हा की पहली पत्नी थी उन्हें यज्ञ स्थल पर आने में देरी हो रही थी और इस वजह से यज्ञ के शुभमहूर्त देरी हो रही थी।
यज्ञ के शुभमहूर्त में देरी से बचने के लिए भगवान ब्रम्हा ने देवी गायत्री से दूसरा विवाह किया और यज्ञवेदी पर पूजा करने बैठ गए। कुछ समय बाद जब देवी सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुँची तो उन्होंने ने अपने स्थान पर किसी और को बैठा हुआ देखकर भगवान ब्रम्हा को श्राप दिया की पुष्कर के अलावा भगवान ब्रम्हा का मंदिर दुनिया में और किसी भी स्थान पर नहीं बन सकता।
आज भी पूरी दुनिया में पुष्कर में स्थित ब्रम्हा मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है, हालाँकि भारत के आसपास के देशों में भी भगवान ब्रम्हा को समर्पित मंदिर बने हुए है। मुगल आक्रांता औरंगजेब ने पुष्कर में बने हुए लगभग सभी प्राचीन मंदिरों को तोड़ दिया था जिसमें ब्रम्हा मंदिर को भी बहुत क्षति पहुँची थी।
14वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने ब्रम्हा मंदिर में जीर्णोद्धार का कार्य करवाया। पुष्कर में कार्तिक पुर्णिमा पर आयोजित किये जाने वाले पुष्कर मेले के समय सबसे ज्यादा श्रद्धालु ब्रम्हा मंदिर में भगवान ब्रम्हा के दर्शन करने आते है।
ब्रम्हा मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Bramha Temple Pushkar Timings in Hindi
गर्मियों के मौसम में ब्रम्हा मंदिर सुबह 5:00 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक खुला रहता है, और शाम को 3:00 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। सर्दियों में सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर के 1:30 बजे तक खुला रहता है, और शाम को 3:00 बजे से लेकर रात को 8:30 बजे तक ब्रम्हा मंदिर में दर्शन किये जा सकते है।
ब्रम्हा मंदिर पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Bramha Temple Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
वराह मंदिर पुष्कर – Varah Temple Pushkar in Hindi

भगवान विष्णु के वराह अवतार से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब राक्षस हिरण्याक्ष पूरी पृथ्वी को ब्रह्मांड के सबसे बड़े महासागर में लेकर चला जाता है। तो भगवान विष्णु पृथ्वी को वापस ब्रह्मांड में स्थापित करने के लिए वराह अवतार में अवतरित होते है।
अनेक वर्षों तक हिरण्याक्ष राक्षस से युद्ध करने पश्चात भगवान वराह हिरण्याक्ष को युद्ध पराजित करके उसका वध कर देते है। उसके बाद अपने मुँह के दो सींगों पर पृथ्वी को धारण करके उसे वापस ब्रह्मांड में अपने मूल स्थान पर स्थापित करते है।
भगवान विष्णु के तीसरे अवतार को समर्पित वराह मंदिर पुष्कर में स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। 12वीं शताब्दी में निर्मित वराह मंदिर का निर्माण उस समय के राजपूत शासक महाराजा अनाजी चौहान द्वारा करवाया गया था।
1727 में मुगल आक्रांता औरंगजेब द्वारा मूल मंदिर के निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया था उसके बाद जयपुर के तत्कालीन राजा सवाईमान सिंह ने वराह मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। वराह मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के वराह अवतार की बड़ी मूर्ति स्थापित की गई है इसके अलावा भगवान विष्णु के बाकी अवतारों को भी बहुत ही सुंदर हाथ की कारीगरी के साथ मंदिर में दर्शाया गया है।
वराह मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Varah Temple Pushkar Timings in Hindi
भक्त और पर्यटक वराह मंदिर में सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। और यह रात में 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
वराह मंदिर पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Varah Temple Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सावित्री मंदिर पुष्कर – Savitri Temple Pushkar in Hindi

पुष्कर में अरावली पर्वतमाला की रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित सावित्री देवी मंदिर भगवान ब्रम्हा की पहली पत्नी देवी सावित्री को समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान ब्रम्हा जब पुष्कर झील के पर यज्ञवेदी पर बैठ रहे थे तो देवी सावित्री को यज्ञवेदी पर आने पर देर हो गई। भगवान ब्रम्हा ने शुभ महूर्त में देरी से बचने के लिए एक दूसरा विवाह कर लिया।
भगवान ब्रम्हा ने जिनसे विवाह दूसरा विवाह किया था आज हम सब उन्हें देवी गायत्री के नाम से जानते है। दूसरा विवाह सम्पन्न होने के बाद जब भगवान ब्रम्हा अपनी दूसरी पत्नी देवी गायत्री के साथ यज्ञवेदी पर बैठ गए उसी समय देवी सावित्री यज्ञ स्थल पर आ पहुंची। अपने स्थान पर किसी और को बैठा हुआ देख कर देवी सावित्री ने गुस्से में यज्ञ स्थल पर उपस्थित सभी लोगों को श्राप दे दिया।
बाद में जब देवी सावित्री का गुस्सा शांत हुआ तो वो पुष्कर झील के पास स्थित रत्नागिरी पहाड़ी पर चली गई और वहाँ से एक नदी के रूप में बहने लगी। उस समय के बाद से रत्नागिरी पहाड़ी पर देवी सावित्री को समर्पित सावित्री देवी मंदिर का निर्माण करवाया गया। सावित्री देवी मंदिर में देवी सावित्री के साथ-साथ देवी गायत्री की मूर्ति भी विराजमान है।
मंदिर में सर्वप्रथम देवी सावित्री की पूजा की जाती है और उसका बाद देवी गायत्री की पूजा की जाती है। मंदिर से पुष्कर शहर और पुष्कर झील के बहुत ही मनोरम दृश्य देखे जा सकते है। सावित्री देवी मंदिर से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना एक दम अलग अनुभव प्रदान करता है। मंदिर रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित होने की वजह से यहाँ तक पहुंचने के लिए आप को 200 सीढियां चढ़नी पड़ेगी जो की बहुत ज्यादा थकान पैदा कर देगी।
सावित्री मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Savitri Temple Pushkar Timings in Hindi
श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सावित्री देवी मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:00 बजे से लेकर दोपहर के 12:00 बजे तक रहता है। और शाम को 5:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक सावित्री देवी मंदिर में दर्शन किये जा सकते है।
सावित्री मंदिर पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Savitri Temple Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सावित्री मंदिर पुष्कर रोपवे प्रवेश शुल्क – Savitri Temple Pushkar Ropeway Ticket Price in Hindi
सीढ़ियों के अलावा सावित्री देवी मंदिर तक पहुंचने का दूसरा रास्ता केबल कार है जिसका प्रति व्यक्ति शुल्क 90/- रुपये लिया जाता है।
गायत्री मंदिर | पाप मोचिनी मन्दिर पुष्कर – Gayatri Temple Pushkar in Hindi

पुष्कर शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित गायत्री देवी मंदिर भगवान ब्रम्हा की दूसरी पत्नी गायत्री देवी को समर्पित है। गायत्री मंदिर के अलावा यह मंदिर पाप मोचिनी मंदिर के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रम्हा भगवान जब पुष्कर झील पर यज्ञ कर रहे थे तो उनकी पहली पत्नी सावित्री देवी के आने में देर होने की वजह से उन्होंने गायत्री देवी से दूसरा विवाह किया ताकि यज्ञ शुभ महूर्त में शुरू किया जा सके।
गायत्री देवी का जन्म एक मनुष्य के रूप में हुआ था इसलिये उनको देवता बनाने के लिये गाय के मुँह में डाल कर पीछे से निकाला गया इस प्रक्रिया को तीन बार दोहराया गया था। इस प्रकार गायत्री देवी को मनुस्य से देवता बनाया गया। गायत्री देवी मंदिर पुष्कर के पास स्थित एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी की चढ़ाई करनी पड़ती है। गायत्री देवी मंदिर में गायत्री देवी के साथ भगवान और सावित्री देवी की पूजा की जाती है। महाभारत से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा के अनुसार गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को भगवान श्री कृष्ण ने हजारों वर्षों तक पृथ्वी पर सशरीर घूमने का श्राप दिया था।
तो मोक्ष प्राप्ति की आशा में अश्वत्थामा पाप मोचिनी मन्दिर में प्रार्थना करने आया था। दिन के किसी भी समय गायत्री देवी मंदिर में दर्शन किये जा सकते है।
गायत्री मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Gayatri Temple
Pushkar Timings in Hindi
सुबह 06:00 बजे से शाम 08:00 बजे तक।
गायत्री मंदिर पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Gayatri Temple Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
रंगजी मंदिर पुष्कर – Rangji Temple Pushkar in Hindi

दक्षिण भारतीय वास्तुशैली और राजपूत स्थापत्य कला में बना हुआ में रंगजी मंदिर पुष्कर में बने हुये सभी प्राचीन मंदिरों से एकदम अलग दिखाई देता है। हैदराबाद के रहने वाले सेठ पुरण मल गनीवाल ने 1823 में रंगजी मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान रंगजी को समर्पित है।
प्रति वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश के अलग-अलग कोनो से भगवान रंगजी के दर्शन करने के लिए पुष्कर में स्थित भगवान रंगजी के मंदिर आते है। भगवान रंगजी के अलावा मंदिर में भगवान कृष्ण, देवी लक्ष्मी और श्री रामानुजाचार्य की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। उत्तर भारत के अन्य मंदिरों से रंगजी मंदिर का स्थापत्य एक दम अलग है।
मंदिर के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रान्त के अय्यंगर समुदाय के लोग है।
रंगजी मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Rangji Temple Pushkar Timings in Hindi
श्रद्धालु सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक मंदिर में दर्शन कर सकते है। दोपहर के 12:00 बजे से लेकर शाम को 4:00 बजे तक मंदिर दर्शनों के लिये बंद रहता है।
रंगजी मंदिर में प्रवेश शुल्क – Rangji Temple Entry Fee
in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर पुष्कर – Attapateshwar Mahadev Temple Pushkar in Hindi

भगवान शिव को समर्पित अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर 12 शताब्दी के आसपास निर्मित शिव मंदिर है। अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व पुष्कर के सबसे प्रमुख ब्रम्हा मंदिर के बराबर है। अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर का निर्माण प्राचीन वास्तुशैली हेमाडपंथी शैली का उपयोग करके किया गया है। मंदिर के निर्माण के समय पत्थरों पर की गई महीन कारीगरी आज भी जीवंत लगती है।
मंदिर में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति पर पाँच मुँह बने हुए है जिन्हें सद्योजात, अघोर, वामदेव, ईशान और तत्पुरुष के नाम से बुलाया जाता है। मूर्ति के चार मुँह चार दिशाओं की तरफ ईशारा करते है और पांचवा मुँह आकाश, पवित्रता और आध्यात्मिकता की तरफ इशारा करता है। इसके अलावा यह भी माना जाता है की यह पाँच मुँह पंचतत्व- पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश की तरफ भी इशारा करते है।
महाशिवरात्रि के समय अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है।
अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर पुष्कर में दर्शन का समय – Attapateshwar Mahadev Temple Pushkar Timings in Hindi
मंदिर सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 8:30 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है।
अट्टपेटश्वर महादेव मंदिर में प्रवेश शुल्क – Attapateshwar Mahadev Temple Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
बूढ़ा पुष्कर झील – Budha Pushkar Lake in Hindi

पुष्कर में पुष्कर झील के अलावा एक और प्राचीन झील बनी हुई है जिसे बूढ़ा पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। बूढ़ा पुष्कर झील का महत्व भी पुष्कर झील के बराबर ही है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम अपने वनवास के 14 वर्ष पूरे करके वापस अयोध्या आगये थे तो उसके पश्चात अपने पिता राजा दशरथ की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए बूढ़ा पुष्कर झील की यात्रा की थी।
पुष्कर झील से बूढ़ा पुष्कर झील की दूरी मात्रा 7 किलोमीटर है। दिन के किसी भी समय पर बूढ़ा पुष्कर झील देखने जाया जा सकता है।
बूढ़ा पुष्कर झील में प्रवेश का समय – Budha Pushkar Lake Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
बूढ़ा पुष्कर झील में प्रवेश शुल्क – Budha Pushkar Lake Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
गुरुद्वारा साहिब पुष्कर – Gurudwara Sahib Pushkar in Hindi

हिन्दू समुदाय के अलावा सिख समुदाय से जुड़े हुए लोगों के लिए भी पुष्कर एक पूज्नीय स्थल है। पुष्कर में स्थित गुरुद्वारा साहिब में प्रति वर्ष हजारों की संख्या में सिख और हिन्दू धर्म से जुड़े हुए लोगो मत्था टेकने आते है। गुरुद्वारा साहिब सिखों के 10वें सिख धर्म गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी को समर्पित गुरुद्वारा है।
औरंगजेब से युद्ध के पश्चात श्री गुरु गोविन्द सिंह जी को आनंदपुर छोड़ना पड़ा। आंदनपुर छोड़ने के पश्चात श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने कुछ समय पुष्कर में भी बिताया था। अपने पुष्कर प्रवास के समय श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने पुष्कर झील के किनारे पर बैठ गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया था।
पुष्कर झील पर जिस स्थान पर उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया था उस जगह को आज गोविन्द घाट के नाम से जाना जाता है। मुगल साम्राज्य के समाप्त हो जाने के बाद, मराठा शासकों ने पुष्कर में गुरुद्वारा साहिब सिख मंदिर का निर्माण करवाया। गुरुद्वारा साहिब के पास एक शिलालेख पर मराठा शासकों के इस सहयोग का उल्लेख मिलता है।
गुरुद्वारा साहिब में हस्तलिखित सिख धर्मग्रन्थ की एक प्रति भी सुरक्षित रखी हुई है। ऐसा माना जाता है की यह हस्तलिखित प्रति श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने खुद लिखी थी। श्रद्धालु और पर्यटक गुरुद्वारा साहिब दिन में किसी भी समय जा सकते है।
गुरुद्वारा साहिब पुष्कर में प्रवेश का समय – Gurudwara Sahib Pushkar Timings in Hindi
24 घंटे खुला रहता है।
गुरुद्वारा साहिब पुष्कर में प्रवेश शुल्क – Gurudwara Sahib Pushkar Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
पुष्कर मेला | पुष्कर ऊँट मेला पुष्कर – Pushkar Camel Fair n Hindi

पुष्कर में आयोजित किया जाने वाला पुष्कर मेला प्रति वर्ष नवंबर और अक्टूबर महीने में आने वाली कार्तिक पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। पुष्कर मेला को पुष्कर पशु मेला, पुष्कर ऊंट मेला और पुष्कर कार्तिक मेला के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
सात दिन तक चलने वाला पुष्कर मेला भारत में आयोजित होने वाले सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है। पशु मेला पुष्कर में पर्यटन के लिए आने वाले यात्रियों में आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र भी है।
देश-विदेश के यात्री साल के इस समय सिर्फ पुष्कर ऊंट मेला देखने के लिए पुष्कर आते है। पशु मेले के अलावा हिन्दू धर्म में विश्वास रखने वाले लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर झील पर आयोजित होने वाले अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते है।
ऐसा माना जाता है के वर्ष के इस समय पुष्कर झील में स्नान करने पर मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति मिलती है। हर वर्ष आयोजित होने वाले पुष्कर मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक मेले में भाग लेने के लिए और धर्म का लाभ उठाने के लिए आते है।
वर्ष 1998 में पुष्कर ऊंट मेले में भाग लेने के लिए दस लाख से ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटक पुष्कर आये थे। पुष्कर पशु मेले में देश के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्र से आये हुए लोग पशु मेले में अपने पशुओं को बेचने के लिए आते है और कुछ लोग पशु खरीदने के लिए आते है।
पुष्कर पशु मेले में ऊंट, घोड़े, गाय, भेड़, बकरी और भैंस जैसे जानवरों की खरीदफरोख्त ज्यादा होती है। यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए पूरे सप्ताह अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। पशु मेले में ऊँटो की दौड़, मटका फोड़ और सबसे लंबी मूछों की प्रतियोगिता आकर्षण का केन्द्र रहती है।
रात के समय पशु मेले में लोकगीत, लोकनृत्य और लोकसंगीत से जुड़े हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्थानीय व्यापारी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पुष्कर मेले में राजस्थानी हस्तशिल्प की दुकान, कपड़े की दुकान, बच्चों के खिलौनों की दुकान और खाने-पीने की दुकाने लगाते है।
मन महल पुष्कर – Man Mahal Pushkar in Hindi

आमेर रियासत के महाराजा सवाई मानसिंह ने मन महल का निर्माण अपने आरामगाह के तौर पर करवाया था। सवाई राजा मानसिंह के अलावा राजपरिवार के सदस्य और उनके कुछ खास मेहमान भी मन महल में आकर आराम किया करते थे और यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया करते थे।
मन महल से पुष्कर झील के बहुत ही सुंदर द्रश्य दिखाई देते है। वर्तमान में मन महल को एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है और राजस्थान सरकार के उपक्रम RTDC द्वारा मन महल का संचालन किया जाता है। वर्तमान में मन महल का नाम बदल कर होटल सरोवर पुष्कर कर दिया गया है।
पुष्कर का स्थानीय बाजार – Pushkar Local Market in Hindi

पुष्कर का स्थानीय बाजार विभिन्न तरह के हस्तशिल्प से बने हुए उत्पादों से भरा हुआ बाज़ार है। पुष्कर के आसपास के क्षेत्र में अलग तरह के फूलों की किस्मों की खेती की जाती है इसलिए यहाँ पर इत्र और गुलकंद भी खरीदा जा सकता है।
राजस्थानी हस्तशिल्प से बने हुए अनके प्रकार उत्पाद पुष्कर में बेचे जाते है, इन उत्पादों में लकड़ी, पत्थर, कांच, कपड़ा और चमड़े से बने हुए उत्पाद बहुत ज्यादा पसंद किये जाते है। पुष्कर में पूरे वर्ष विदेशी यात्री बहुत ज्यादा संख्या में आते रहते है।
विदेशी एक लंबे समय तक पुष्कर में रुकना पसन्द करते है इसलिए विदेशी ग्राहकों से जुड़े हुए उत्पाद भी पुष्कर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। कई स्थानीय दुकानदार सिर्फ विदेशी ग्राहकों से संबंधित उत्पाद ही अपनी दुकान में बेचते है।
साहसिक गतिविधि पुष्कर – Pushkar Adventure camp & Camel safari in Hindi

पुष्कर भारत के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में एक और पुरे साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुष्कर में स्थित प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने के लिए और पुष्कर झील में स्नान करने के लिए आते रहते है । धार्मिक स्थल के अलावा पुष्कर एक प्रसिध्द पर्यटक स्थल भी है भारत के अलावा पुरे साल दुनिया के अलग देशो से पर्यटक पुष्कर में घूमने के