मैक्लोडगंज के 20 दर्शनीय स्थल 2022 | 20 Places to visit in McLeoadganj in Hindi 2022 | McLeodganj in Hindi | McLeodganj Tourism | McLeodganj Tourist Places | McLeodganj Things to do | Tourist Places in McLeodganj | McLeodganj Places to Visit | Part-01
मैक्लोडगंज का इतिहास | McLeodganj History in Hindi

28 अप्रैल 1959 को तिब्बत की निर्वासित सरकार की स्थापना हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर के उपनगर मैक्लोडगंज में की गई। वर्तमान में तिब्बत से विस्थापित हो कर आये लोगो की एक बहुत बड़ी आबादी यहाँ रहती है। यहाँ के स्थानीय निवासी और तिब्बती लोग मैक्लॉडगंज को “लिटिल ल्हासा” के नाम से भी जानते है। डलहौज़ी और धर्मशाला के जैसे मैक्लॉडगंज भी औपनिवेशिक काल के समय अस्तित्व में आया था।
एक ब्रिटिश अधिकारी और पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर डोनाल्ड फ्रिल मैक्लॉड के नाम पर इस शहर का नामकरण किया गया है। हिमालय की धौलाधार पर्वतशृंखला में स्थित मैक्लॉडगंज की समुद्रतल से ऊंचाई 2082 मीटर ( 6831 फ़ीट ) है। 1850 में जब दूसरा एंग्लो-सिख युद्ध हुआ तो उसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने धौलाधार पर्वतश्रंखला की ढलान पर स्थित काँगड़ा के आसपास के पहाड़ों में सैनिक छावनी बनाने का निर्णय लिया।
काँगड़ा के पास स्थित पहाड़ों में जिस स्थान पर ब्रिटिश अधिकारीयों ने सैनिक छावनी बनाने का निर्णय लिया था उस जगह पर एक हिन्दू धर्मशाला बनी हुई थी, इसलिए उस जगह का नाम धर्मशाला रख दिया गया। औपनिवेशिक काल के समय धर्मशाला एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन गया था और गर्मियों के मौसम के समय ब्रिटिश अधिकारी यहाँ पर समय बिताना बहुत पसंद करते थे।
1840 के बाद से काँगड़ा जिला मुख्यालय बहुत ज्यादा व्यस्त हो गया था इस वजह से अंग्रेजो ने अपने दो रेजिमेंट को धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया। धर्मशाला में पहली सैनिक छावनी 1849 में बनाई गई थी और 1852 में धर्मशाला को काँगड़ा जिले की प्रशासनिक राजधानी बना दिया गया। 1855 में इस जगह पर दो नागरिक बस्ती और स्थापित की गई मैक्लोडगंज और फोर्सिथ गंज इन दोनों बस्तियों का नाम ब्रिटिश अधिकारीयों के नाम पर रखा गया।
1862-63 में भारत के ब्रिटिश वायसराय लार्ड एल्गिन को यह क्षेत्र इतना पसंद आया की उन्होंने इस जगह जो भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का सुझाव दिया था। 1905 में आये विनाशकारी भूकंप ने इस जगह पर बहुत ज्यादा नुकसान किया था, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भूकंप में 19800 लोग मारे गए थे और हजारों की संख्या में घायल हुए थे।
इस भूकंप में धर्मशाला और मैक्लोडगंज में औपनिवेशिक काल के समय बनी हुई इमारतों और कई प्राचीन धार्मिक स्थल को भी बहुत नुकसान पहुँचा था। 1959 के समय एक और ऐतिहासिक घटनाक्रम यहाँ पर घटित हुआ। तिब्बत के 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जिसमे वह असफल हो गए उसके बाद उन्होंने ने तिब्बत से भाग कर भारत में शरण ली।
1960 में मैक्लोडगंज को तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी बनाया गया। उसके बाद से ही मैक्लोडगंज दलाई लामा को आधिकारिक निवास स्थान बन गया और इसके अलावा तिब्बत से आये हुए अनेक बौद्ध और तिब्बती शरणार्थियों का घर भी बन गया। वर्तमान में मैक्लोडगंज में अनेक बौद्ध मठ बने हुए है और इस वजह से यह छोटा सा पहाड़ी शहर बौद्ध और तिब्बत समुदाय से जुड़े हुए लोगो के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल बन गया।
आज मैक्लोडगंज, धर्मशाला का उपनगर होने के बावजूद भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है और साथ में हिमाचल प्रदेश के एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
डल झील मैक्लोडगंज – Dal Lake McLeodganj in Hindi

मैक्लोडगंज से कुछ ही किलोमीटर के दूरी पर स्थित तोता रानी गाँव मे स्थित डल झील मैक्लोडगंज आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र मानी जाती है। मुख्य शहर मात्र 02 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डल झील की समुद्र से ऊंचाई मात्र 1775 (5823 फ़ीट) है।
झील के आसपास स्थित पहाड़ और घने देवदार के वृक्षों की वजह से यहाँ का शान्त वातावरण आपको झील के किनारे पर कई देर तक रुकने के लिये मजबूर कर देता है। यह झील लगभग 01 हेक्टेयर (10,000 वर्ग मीटर) में फैली हुई है। झील के पास में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है जो कि लगभग 200 वर्ष पुराना माना जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि दुर्वास ने इस झील के किनारे पर भगवान शिव की उपासना की थी।
प्रतिवर्ष सितंबर महीने में झील के किनारे पर स्थित शिव मंदिर में बहुत बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमे स्थानीय निवासियों के अलावा गद्दी समुदाय ले लोग और श्रद्धालु बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है। झील के आसपास का प्राकृतिक वातावरण बेहद मनोरम होने के साथ-साथ झील अनेक प्रकार की मछलियों का आवास भी है।
अपने परिवार, प्रियजनों और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिये यह झील एक आर्दश पर्यटक स्थल मानी जाती है। अगर आपको रोमांच पसंद है तो झील के आसपास स्थित पहाड़ियों में छोटे-छोटे ट्रेक भी बने हुए है। डल झील से नड्डी तक ट्रेक करना और सनसेट पॉइंट से सूर्यास्त होते हुए देखना आपके लिए सुखद अनुभव रहेगा।
डल झील प्रवेश समय – Dal Lake McLeodganj Timings
सुबह 07:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक
डल झील प्रवेश शुल्क – Dal Lake McLeodganj Entry Fee
प्रवेश निःशुल्क
त्रिउंड – Triund

हिमालय की धौलाधार पर्वतशृंखला में स्थित त्रिउंड एक खूबसूरत और छोटा हिल स्टेशन है। मैक्लोडगंज से त्रिउंड की दुरी मात्र 09 किलोमीटर है। त्रिउंड की समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 2828 मीटर (9278 फ़ीट) है। त्रिउंड ट्रेक से धौलाधर पर्वतशृंखला और काँगड़ा वेली के बेहद सुन्दर दृश्य दिखाई देते है इस वजह से यह ट्रेक लगभग सभी ट्रेकर्स और पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है।
त्रिउंड ट्रेक हिमालय में स्थित सबसे आसान ट्रेक में से एक जाता है इस वजह से भी यहाँ पर आपको ट्रेकर्स के अलावा बहुत सारे पर्यटक भी दिखाई दे सकते है। त्रिउंड ट्रेक पूरा करने में एक प्रोफेशनल ट्रेकर को धर्मकोट से 2 घंटे लगते है और एक आम पर्यटक को 5-6 भी लग सकते है। त्रिउंड ट्रेक करते समय आप की रास्ते में देवदार, ओक और रोडोडेंड्रोन के पेड़ो के घने जंगल आते है जो को आप को ट्रेक्किंग और भी रोमांचक बना देते है।
त्रिउंड ट्रेक पूरा करने के दो रास्ते बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है पहला तो मैक्लोडगंज से शुरू होता है और दूसरा धर्मकोट से शुरू होता है। मैक्लोडगंज में स्थित भागसूनाथ मंदिर और भागसू वॉटरफॉल से त्रिउंड का ट्रेक शुरू होता है जो की थोड़ा कठिन माना जाता है। धर्मकोट से शुरू होने वाला ट्रेक गालु मंदिर होते हुए जाता है जो की त्रिउंड तक पहुँचने के लिए थोड़ा आसान रास्ता माना जाता है।
धर्मकोट से त्रिउंड ट्रेक की दुरी भी 07 किलोमीटर के आसपास रहती है। अधिकांश ट्रेकर्स त्रिउंड में रात के समय कैंपिंग करना बहुत पसंद करते है क्योंकि यहाँ से रात के समय काँगड़ा वेली में स्थित धर्मशाला और काँगड़ा शहर के बहुत सुन्दर दृश्य दिखाई देते है अगर आप को फोटोग्राफी पसंद है तो आप रात के समय यहाँ से बहुत सुन्दर स्टारट्रेल की फोटो ले सकते है।
आप की किस्मत अच्छी रही तो आप त्रिउंड से मिल्की वे की भी फोटो ले सकते है। त्रिउंड ट्रेक की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे…
त्सुगलाक्खांग – Tsuglagkhang in Hindi

मैक्लोडगंज के मुख्य शहर से त्सुगलाक्खांग(Tsuglagkhang) की दुरी मात्र 05 किलोमीटर है। त्सुगलाक्खांग मंदिर तिब्बत समुदाय के लोगो के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। जिन पर्यटकों को बौद्ध और तिब्बत की संस्कृति को नजदीक से जानने की इच्छा होती है वह लोग अपनी मैक्लोडगंज की यात्रा के समय त्सुगलाक्खांग काम्प्लेक्स की यात्रा जरूर करते है।
त्सुगलाक्खांग परिसर में दलाई लामा का निवास स्थान बना हुआ है और इसके अलावा यहाँ मंदिर, नामग्याल मठ और तिब्बत की संस्कृति से जुड़ा हुआ एक संग्रहालय भी बना हुआ है।पर्यटक त्सुगलाक्खांग परिसर में दलाई लामा के निवास स्थान के अलावा इस परिसर में बनी हुई सभी इमारतों में घूम सकते है। त्सुगलाक्खांग काम्प्लेक्स में भगवान बुद्ध की और चेनरेज़िग और गुरु रिन्कोचे की सुन्दर मूर्तियाँ बनी हुई है।
परिसर में बने हुए संग्रहालय के अंदर पर्यटकों के लिए तिब्बती संस्कृति और कला से जुडी हुई अनेक वस्तुएं प्रदर्शित की गई है जैसे – मिटटी के बर्तन, ऐतिहासिक दस्तावेज, पेंटिंग और हस्तशिल्प से बनी हुई वस्तुएं।
त्सुगलाक्खांग प्रवेश समय – Tsuglagkhang Timings
सुबह 05:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक
त्सुगलाक्खांग प्रवेश शुल्क – Tsuglagkhang Entry Fee
प्रवेश निःशुल्क
भागसू फॉल्स मैक्लोडगंज – Bhagsu Waterfall McLeodganj in Hindi

मुख्य शहर से मात्र कुछ ही दुरी पर स्थित भागसू वॉटरफॉल मैक्लोडगंज में पर्यटकों के आर्कषण का सबसे बड़ा केंद्र है। धौलाधार पर्वतशृंखला में स्थित भागसू वॉटरफॉल पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखा जाता है। भागसू वॉटरफॉल की ऊंचाई 30 फ़ीट है और मानसून के मौसम में यह वॉटरफॉल अपने पुरे वेग से गिरता है।
मानसून के मौसम में झरने के आसपास के क्षेत्र में चारों तरफ हरियाली फेल जाती है इस वजह से यह झरना और खूबसूरत हो जाता है। वर्ष के इस समय जब बादल वॉटरफॉल और पहाड़ों से टकराते है तो वो दृश्य देखने लायक होता है। भागसू वॉटरफॉल से मैक्लोडगंज के बड़े ही खूबसूरत दृश्य दिखाई देते है। स्थानीय निवासियों के लिए भागसू वॉटरफॉल का धार्मिक महत्व भी है, इस झरने की धारा शहर में स्थित भागसूनाथ मंदिर तक जाती है।
भागसू वॉटरफॉल तक पहुँचने के लिए रैंप और सीढियाँ बनी हुई है, मात्र कुछ मिनट की चढाई के बाद पर्यटक इस झरने तक पहुँच सकते है। भागसू झरने के आसपास पर्यटकों के खाने-पीने के लिए छोटे-छोटे रेस्टोरेंट भी बने हुए है। अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ भागसू वॉटरफॉल के पास समय बिताना आप की लिए बेहद सुखद अनुभव रहेगा।
कुछ समय पहले तक इस झरने में पर्यटकों को स्नान करने की अनुमति थी लेकिन अभी कुछ वर्षो में हुई दुर्घटनाओं की वजह से वर्तमान में झरने में नहाने पर पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी गई है।
भागसू फॉल्स प्रवेश समय – Bhagsu Waterfall Timings
दिन के किसी भी समय
भागसू फॉल्स प्रवेश शुल्क – Bhagsu Waterfall Entry Fee
प्रवेश निःशुल्क
भागसुनाग मंदिर – Bhagsunag Temple in Hindi

मैक्लोडगंज में स्थित भागसूनाग मंदिर स्थानीय निवासियों में आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है, और यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण मध्ययुगीन काल मे करवाया गया था। मैक्लोडगंज और आसपास रहने वाले हिन्दू और गोरखा समुदाय के लोगों में यह मंदिर एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है।
मंदिर परिसर में एक छोटा और सुंदर तालाब भी बना हुआ है। तालाब में कुल 06 शेर के मुहँ बने हुए है जिनमें से भागसू झरने का पानी निरंतर गिरता रहता है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि तालाब के पानी में कई प्रकार की बीमारियों का उपचार करने की क्षमता है। मंदिर परिसर में दो मंजिला विश्रामगृह भी बना हुआ है, यहाँ पर मंदिर के दर्शन करने आये हुए श्रद्धालुओं के आराम करने की व्यवस्था की गई है।
मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार भागसूनाग मंदिर का निर्माण राजा भागसू के द्वारा करवाया था। कहा जाता है की राजा भागसू ने एक बार नाग देवता की अनुमति के बिना नाग डल झील से पानी चुरा लिया था। उसके बाद नाग देवता और राजा भागसू के बीच मे एक लड़ाई हुई जिसमे राजा भागसू ने नाग देवता से क्षमा मांगते हुए भागसूनाग मंदिर का निर्माण करवाया था।
भागसूनाग मंदिर दर्शन का समय – Bhagsunag Temple Timings
सुबह 05:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक
शाम 04:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक
भागसूनाग मंदिर प्रवेश शुल्क – Bhagsunag Temple Entry Fee
प्रवेश निःशुल्क
नामग्याल मठ – Namgyal Monastery In Hindi

मैक्लोडगंज से मात्र 03 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नामग्याल मठ तिब्बत समुदाय के लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। मैक्लोडगंज में स्थित नामग्याल मठ तिब्बत समुदाय के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का निवास स्थान भी है, और इसके अलावा तिब्बत समुदाय के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है।
धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थित नामग्याल मठ के परिसर का वातावरण बेहद शांत है इस वजह से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। नामग्याल मठ दलाई लामा के मंदिर के रूप में भी श्रद्धालुओं में बहुत प्रसिद्ध है। यह मठ 14वें दलाई लामा का व्यक्तिगत मठ भी है।
नामग्याल मठ की स्थापना 1564 से 1565 के बीच में द्वितीय दलाई लामा ने तिब्बत के भिक्षुओं और उनके धार्मिक मामलों में सहायता करने के लिए की थी। वर्तमान समय मे मठ में रहने वाले भिक्षु तिब्बत के सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखने के लिए और बौद्ध धर्म की दार्शनिक महत्व को सीखने के लिए काम करते है।
यह मठ नामग्याल तांत्रिक महाविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है, यहाँ पर वर्तमान में 200 भिक्षु शिक्षा प्राप्त कर रहे है। यहाँ रहने वाले सभी भिक्षु मठ की प्रथाओं, कौशल और परंपराओं की रक्षा करने की दिशा में निरंतर अभ्यास करते रहते है।
यहाँ स्थित महाविधालय में अनुष्ठान जप, तिब्बती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन, बौद्ध दर्शन, सूत्र और तंत्र के ग्रंथ, रेत मंडल, और नृत्य सभी बौद्ध धर्म से जुड़े हुए विषय भिक्षुओं के पाठ्यक्रम में शामिल किये गए हैं।
नामग्याल मठ प्रवेश का समय – Namgyal Monastery Timings
सुबह 05:00 बजे से रात को 08:30 बजे तक
नामग्याल मठ प्रवेश शुल्क – Namgyal Monastery Entry Fee
प्रवेश निःशुल्क
इन्द्रहार पास – Indrahar Pass in Hindi

इन्द्रहार पास मैक्लोडगंज से मात्र 08 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। हिमालय के धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थिर इन्द्रहार पास की समुद्रतल से ऊंचाई मात्रा 4342 मीटर (14245 फ़ीट) है। मैक्लोडगंज और धर्मशाला के पास में स्थित इन्द्रहार पास ट्रेकिंग और रोमांच पसंद करने वाले लोगों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
ऐसा माना जाता है कि इन्द्रहार पास से धौलाधार पर्वतश्रृंखला के अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देते है। इन्द्रहार पास भौगोलिक रूप से हिमाचल के कांगड़ा और चंबा जिले की सीमा का भी निर्धारण करता है। मैक्लोडगंज और धर्मशाला के पास स्थित ये दर्रा यहाँ के सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग स्पॉट में से एक माना जाता है।
अप्रैल से लेकर अक्टूबर महीने का समय इस दर्रे पर ट्रैकिंग करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। नवंबर से लेकर मार्च महीने तक इस इलाके में बहुत तेज बर्फबारी होती है इस वजह से यहाँ पर ट्रैकिंग करना बेहद खतरनाक होता है इसलिए साल के इन महीनों में यहाँ पर ट्रैकिंग नहीं की जाती है। इन्द्रहार पास की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें…
हनुमान टिब्बा – Hanuman Tibba in Hindi

मैक्लोडगंज से हनुमान टिब्बा की दूरी मात्र 63 किलोमीटर है। हिमालय की धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थित हनुमान टिब्बा पर्वत धौलाधार का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। हनुमान टिब्बा धौलाधार पर्वतश्रृंखला का सबसे आखिरी पर्वत है और इसके बाद से ही हिमालय की पीरपंजाल पर्वतश्रृंखला की शुरुआत होती है।
हनुमान टिब्बा की समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 5982 मीटर (19626 फ़ीट) है। पिरामिड आकार के हनुमान टिब्बा की यात्रा को पूरा करने में लगभग 15 दिन का समय चाहिए। अगर आप शारीरिक रूप से सक्षम है तभी आप हनुमान टिब्बा की यात्रा को पूरा कर सकते है।
अधिकांश पर्वतारोही हनुमान टिब्बा के शितिधर शिखर तक ही पहुँच पाते है। शितिधर शिखर की समुद्रतल से ऊँचाई 15,700 के पास है। शितिधर शिखर के बाद कि चढ़ाई पूरी तरह से खड़ी चढ़ाई है और जानलेवा है। अभी तक बहुत से लोगों ने हनुमान टिब्बा के शिखर तक पहुंचने की कौशिश की है लेकिन अभी तक किसी को सफलता प्राप्त नहीं हुई है। हनुमान टिब्बा के रूट की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें…
मैक्लोडगंज का स्थानीय बाज़ार – Local Market in Mcleodganj in Hindi

मैक्लोडगंज का स्थानीय बाजार बौद्ध, तिब्बत और हिमाचल की संस्कृति से जुड़ी हुई कलाकृतियों से भरा पड़ा है। मैक्लोडगंज आने पर आप यहाँ के स्थानीय बाजार से अपने लिए या फिर किसी मित्र या अपने परिवार के सदस्यों के लिए बहुत सुंदर स्मृति चिन्ह उपहार के रूप में दे सकते है।
यहाँ के स्थानीय बाजार से आप घर की सजावट करने के लिए और अपने प्रियजनों को उपहार देने के लिए कई धार्मिक कलाकृतियां और हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुएँ भी खरीद सकते है। मैक्लोडगंज की कुछ दुकानों से आप हिमाचल में पहने जाने वाले परंपरागत कपड़े और ऊनी कपड़ें भी खरीद सकते है। मैक्लोडगंज घूमने आने वाले अधिकांश यात्री हिमाचली टोपी को खरीदना भी खूब पसन्द करते है।
मैक्लोडगंज की स्थानीय बाजारों में मिलने वाली वस्तुओं में कालीन और तिब्बती चटाई, चांदी और पत्थर से बने हुए गहने, स्थानीय हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुयें, धातु और लकड़ी पर की गई महीन नक्काशी के आइटम, थांगका चित्र (रेशम के कपड़े पर बने हुए कैनवास पर चमकीले चित्र), तिब्बती संस्कृति से जुड़ी हुई कलाकृतियां, हिन्दू देवताओं और बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई मूर्तियाँ, मंडला चित्र और ऊनी शॉल पर्यटकों के द्वारा बेहद पसंद किए जाते है।
इन सब के अलावा यहाँ पर पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली वस्तुओं में से आप प्रार्थना के पहिये और प्रार्थना झंडे लेकर जाना ना भूले। मैक्लोडगंज में दूसरे देश से आये हुए लोगों ने भी दुकानें खोल रखी है यहाँ पर वह लोग अपने देश से जुड़ी हुई वस्तुओं को बेचते हुए दिखाई दे जाते है।
मैक्लोडगंज का स्थानीय भोजन – Local Food in Mcleodganj in Hindi

अगर आप मैक्लोडगंज घूमने आए है तो आप को यहाँ पर मिलने वाले तिब्बती और हिमाचली भोजन को जरूर ट्राय करना चाहिए।मैक्लोडगंज में स्ट्रीट फूड स्टॉल और रेस्टोरेंट दोनों ही मिल जाएंगे ये आप पर निर्भर करता है कि आप कहाँ बैठ कर खाना पसंद करते है। स्थानीय भोजन के अलावा यहाँ पर आप नेपाली, कश्मीरी, इतावली, बेल्जियम, इजराइल, चीनी, भूटानी और स्कोटिश डिशेज भी मिल जाएगी।
इन सब के अलावा यहाँ पर कई कोरियाई और जापानी रेस्टोरेंट भी बने हुए है। लेकिन इन सब के बावजूद भी अधिकांश पर्यटक यहाँ पर स्थानीय और तिब्बती भोजन को पसंद करते है। मैक्लोडगंज में भागसू रोड, जोगीवारा और टेम्पल रोड कुछ ऐसी जगह जहाँ पर आपको यहाँ के सबसे अच्छे स्ट्रीट फूड की स्टॉल और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे।
थेनथुक, मोमोज, तिब्बती नूडल्स और ब्रेड, बोक चोय सूप, थुपका, शुशी/किम्बैप, इटैलियन फूड, एप्पल साइडर, वेज फूड और फलाफल यह कुछ ऐसे फ़ूड है जिनको यहाँ के रेस्टोरेंट और स्ट्रीट फूड में बड़े अच्छे तरीके से बनाया जाता है, अपनी मैक्लोडगंज की यात्रा के समय आप इनमें से कुछ भी खा सकते है।
बस आप को इतना ध्यान रखना है कि यदि आप शाकाहारी है तो आप यह पता कर लेना है आप जो भी खा रहे है वह वेज है या फिर नॉन वेज। एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से मैक्लोडगंज का फ़ूड मार्केट थोड़ा महँगा है।
मैक्लोडगंज में कहाँ ठहरें – Hotels in Mcleodganj in Hindi

अगर आप धर्मशाला घूमने का प्लान कर रहें है तो आप अपर धर्मशाला(मैक्लोडगंज) घूमने जरूर जाएँगे। धर्मशाला में बने हुए होम स्टे और होटल्स मैक्लोडगंज की बजाय थोड़े ज्यादा महंगे है। अगर आप एक टूरिस्ट है तो आप के लिए धर्मशाला में रुकना ज्यादा सही होगा क्योंकि धर्मशाला में कुछ बड़े होटल्स भी बने हुए है।
लेकिन अगर आप एक ट्रेवलर है या फिर एक बेकपकर है तो फिर आपको मैक्लोडगंज या कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मकोट में रुकना चाहिए। यहाँ के होटल्स और होम स्टे में धर्मशाला से कम पैसे देकर रुक सकते है। इसके अलावा अगर आप धर्मशाला को एक्सप्लोर करने आये है या फिर ट्रैकिंग करने आये है तो आप को मैक्लोडगंज या धर्मकोट ही रुकना पड़ेगा क्योंकि धौलाधार के सभी ट्रेक इन दोनों जगह से ही शुरू होते है।
अगर ऑफ सीजन में आप मैक्लोडगंज घूमने आ रहे है तो आप यहाँ आकर अपने लिए रूम बुक करवा सकते है नहीं तो ऑनलाइन हॉटेल बुकिंग वेबसाइट से भी अपने लिए रूम बुक करवा सकते है। पीक सीजन में यहाँ के सभी हॉटेल बुक हो जाते है और थोड़ा महँगे भी। इसलिए पीक सीजन में यहाँ आने से पहले आप अपने लिए हॉटेल बुक करवा कर आये तो आप के लिए अच्छा रहेगा।
मैक्लोडगंज घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit McLeodganj

आप साल के किसी भी समय मैक्लोडगंज घूमने आ सकते है। मार्च से लेकर जून के महीने में यहाँ का माहौल बहुत खुशनुमा रहता है। और मानसून के मौसम में धौलाधार से टकराते हुए बादल आपको एक अलग ही एहसास करवाते है, मानसून के समय ही भागसू वॉटरफॉल अपने पूरे वेग से बहता है।
अगर आप को बर्फ पसन्द है तो आप दिसंबर से लेकर फरवरी के महीने में आप मैक्लोडगंज घूमने आ सकते है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कब मैक्लोडगंज घूमने आना पसंद करते है बाकी यह शहर आप के स्वागत के लिये हमेशा तैयार खड़ा है।
मैक्लोडगंज कैसे पहुंचे – How to reach McLeodganj in Hindi

फ्लाइट से मैक्लोडगंज कैसे पहुंचे – How to reach McLeodganj by Flight in Hindi
गग्गल हवाई अड्डा मैक्लोडगंज के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। मैक्लोडगंज से गग्गल हवाई अड्डे की दुरी मात्र 18.5 किलोमीटर है ( Gaggal airport to McLeodganj distance )। इसके अलावा पठानकोट हवाई अड्डे से मैक्लोडगंज की दुरी मात्र 95 किलोमीटर है ( Pathankot airport to McLeodganj distance )।
चंडीगढ़ अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मैक्लोडगंज की दुरी मात्र 250 किलोमीटर है ( Chandigarh International airport to McLeodganj distance )। इन तीनों शहरों से आप कैब सर्विस के द्वारा मैक्लोडगंज बड़ी आसानी पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से मैक्लोडगंज कैसे पहुँचें – How to reach McLeodganj by Road in Hindi
अगर आप सड़क मार्ग से मैक्लोडगंज आना चाहते है तो आप पठानकोट, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों से बस और कैब सर्विस के द्वारा धर्मशाला तक पहुंच सकते है। धर्मशाला सड़क मार्ग से इन सभी शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। धर्मशाला पहुँच कर आप स्थानीय निजी बस सर्विस चलती है।
इन बसों के सहायता से आप मैक्लोडगंज बड़ी आसानी से पहुँच सकते है। बसों के अलावा धर्मशाला से मैक्लोडगंज तक साझा टैक्सी सेवा भी उपलब्ध रहती है। धर्मशाला से मैक्लोडगंज की दुरी मात्र 09 किलोमीटर है ( Dharmshala to McLeodganj distance )।
ट्रेन से मैक्लोडगंज कैसे पहुँचे – How to reach McLeodganj by Train in Hindi
मैक्लोडगंज के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काँगड़ा रेलवे स्टेशन है। काँगड़ा रेलवे स्टेशन से मैक्लोडगंज की दुरी मात्र 25 किलोमीटर है ( kangra railway station to McLeodganj distance )। अगर आप ट्रैन से मैक्लोडगंज आना चाहते है तो पठानकोट रेलवे स्टेशन सबसे उपयुक्त जाता है।
पठानकोट रेलवे स्टेशन से मैक्लोडगंज की दुरी मात्र 90 किलोमीटर है ( Pathankot railway station to McLeodganj distance )।
मैक्लोडगंज के पास घूमने के जगह – Places to Visit near McLeoadganj in Hindi
धर्मशाला Part-01 ,धर्मशाला Part-02, खज्जियार , डलहौज़ी Part-01, डलहौज़ी Part-02, चम्बा , मणिमहेश , मैक्लोडगंज Part-02
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )