सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान | सरिस्का टाइगर रिज़र्व | सरिस्का नेशनल पार्क | Sariska National Park In Hindi | Sariska Tiger Reserve in Hindi| National Parks of India

2004 में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान Sariska National Park के वन विभाग के अधिकारियों में एक खबर आती है की अब इस राष्ट्रीय उद्यान में एक भी बाघ होने का कोई भी संकेत नही मिल रहा है । सरिस्का के वन अधिकारी तुरंत प्रभाव से अभ्यारण में जांच करना शुरू करते है तो उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इस अभ्यारण में बाघ की उपस्थिति का किसी भी तरह को कोई सबूत नहीं मिलता है ।
अधिकारी बाघ के पग के निशान, पेड़ों पर खरोंच के निशान भी ढूंढेने की कौशिश करते है लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सफलता प्राप्त नहीं होती है । 2003 से पहले सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 16, और 2004 में अचानक से बाघों की संख्या शून्य हो जाती है।
सवाल पूछे जाने पर राजस्थान वन विभाग Rajasthan Forest Department के अधिकारी ये जवाब देते है की बाघों को अस्थायी समय अभ्यारण्य से स्थानांतरित कर दिया गया है और मानसून के बाद बाघ अभ्यारण्य में वापस आ जाएंगे । जनवरी 2005 में राजस्थान वन विभाग और प्रोजेक्ट टाइगर के निदेशक ने सरिस्का टाइगर रिज़र्व Sariska Tiger Reserve में “आपातकालीन बाघ गणना” “Emergency Tiger Census” के आदेश जारी किये ।
इस गणना की जिम्मेदारी भारत की खुफिया जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो को दी गई। दो महीने की जांच के बाद जांच एजेंसी ने बाघों के लापता होने का मुख्य कारण इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के अवैध शिकार को जिम्मेदार ठहराया। 2008 में राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण (NTCA) National Tiger Conservation Authority (NTCA) द्वारा एक निर्णय लिया जाता है की सरिस्का में वापस से बाघ को लाया जाएगा।
सरिस्का में दुबारा बाघ लाने के लिए सरिस्का से 240 किलोमीटर दूर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान Ranthambore National Park का चयन किया जाता है। 28 जून 2008 को भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर विमल राज wing commander Vimal Raj रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से सरिस्का टाइगर रिज़र्व में पहले बाघ ( ST-1) स्थानातरण की प्रक्रिया अपने Mi-17 हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट करते है।
उस समय अलग अलग चरणों में रणथम्भौर से कुल 2 बाघ और 3 बाघिन को सरिस्का में स्थानांतरित किया गया दुर्भाग्यवश 15 नवंबर 2010 को सरिस्का में सबसे पहले स्थानांतरित किया गया बाघ (ST-1) मृत पाया गया ।
ST-1 बाघ की मौत को लेकर वन अधिकारियों में अलग अलग अवधारणा है कुछ मानते है की ST-1 बाघ की मौत ज़हर देने से हुई है, और कुछ मानते है की टेरिटरी को लेकर हुई झड़प में इस बाघ की मौत हुई है। अक्टूबर 2018 में की गई गणना के अनुसार सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 18 (5 शावक शामिल) है और दुनिया में बाघ स्थानातरण का सबसे अच्छा उदाहरण भी है।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – History of Sariska National Park In Hindi

एक राष्ट्रीय उद्यान या एक टाइगर रिज़र्व घोसित होने से पहले सरिस्का भारतीय पौराणिक इतिहास Indian mythological का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | महाभारत Mahabharata में जब पांडवों को हस्तिनापुर से निर्वासित कर दिया जाता है तो उसके बाद पांडव Pandavas अपने निर्वासन काल का अंतिम समय अरावली पर्वतमाला में स्थित सरिस्का में बिताते है |
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में 9 वीं और 10 वीं शताब्दी में बने हुए नीलकठ महादेव मंदिर और गढ़-राजोर मंदिर के खँडहर मिलते है जिससे हमें इस जगह के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का पता चलता है|
अभ्यारण के मध्य में बना हुआ कांकवारी किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराजा जय सिंह द्वितीय Maharaja Jai Singh II ने करवाया था जिसे अभी कुछ समय पहले ही पर्यटकों के लिए खोला गया है , विदेशी आक्रांता औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को धोके से पकड़ कर इसी किले में क़ैद करके रखा था ( सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास ही भानगढ़ किला स्थित है, इस किले का निर्माण जयपुर के महाराजा मानसिंह प्रथम Maharaja Mansingh I ने करवाया था और आज यह किला भारत के सबसे शापित जगहों में से एक माना जाता है ) |
भारत की स्वतंत्रता से पहले अलवर के महाराजा इस स्थान को अपने निजी शिकारगाह और मनोरंजन के लिए उपयोग में लिया करते थे, और उस समय के ब्रिटिश साम्राज्य के बड़े अधिकारीयों को खुश करने के लिए यहाँ पर उनके लिए शिकार और उनके मनोरंजन का आयोजन किया करते थे |
भारत की स्वतंत्रता बाद भी यह वन क्षेत्र अलवर राज्य का सरंक्षित वन क्षेत्र था, 1955 में भारत सरकार ने इस वन क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण घोषित कर दिया और उसके बाद इस जगह पर शिकार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया (प्रतिबन्ध के बाद भी यह सरंक्षित वन 2004 में बाघ विहीन हो गया था ), कुछ सालों के बाद 1978 में सरिस्का को भारत के प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया और इस जगह को टाइगर रिज़र्व का दर्जा दे दिया गया |
जब सरिस्का को टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था तब यह अभ्यारण्य भारत का 11वां टाइगर रिज़र्व क्षेत्र था जिसे 1990 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया |
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक स्थिति – Geography of Sariska Tiger Reserve in Hindi
लगभग 866 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ यह राष्ट्रीय उद्यान भारत का 11वां बाघ अभ्यारण्य है, यह अभ्यारण्य दुनिया का प्रथम ऐसा राष्ट्रीय उद्यान जहाँ पर सफलतापूर्वक बाघ स्थानांतरण किया गया है। इस वन क्षेत्र की समुदतल से ऊंचाई 300 मीटर है और अरावली पर्वतमाला में स्थित होने के कारण यहाँ कुछ पहाड़ो की ऊंचाई 722 मीटर है।
राजस्थान में स्थित यह वन्यजीव अभ्यारण्य बारिश के लिए मानसून पर निर्भर है, अभ्यारण्य में सालाना औसतन 700 मिमी बारिश होती है। अरावली पर्वतमाला में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति में ढोक, सालार, कडाया, ढाक, गोल, बेर, खैर, बरगद, अर्जुन जैसे वृक्ष और पौधे देखने को मिलते है इसके अलावा यहाँ झाड़-झंखाड़ वाले जंगल, शुष्क पतझड़ी जंगल, घास के मैदान और चट्टानी पहाड़ियाँ दिखाई देती हैं।
उद्यान में तांबे जैसा खनिज पाया जाता है लेकिन एक सरंक्षित वन होने के कारण यहाँ पर ताँबे के खनन पर प्रतिबंधित है । इस राष्ट्रीय उद्यान में संगमरमर पत्थर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसके खनन पर सुप्रीम कोर्ट ने 1991 में प्रतिबंध लगा दिया था ( सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद भी यहाँ पर संगमरमर पत्थर का खनन अवैध रूप से किया जाता है।
अवैध खनन के कारण यहाँ के पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है और मनुष्य और वन्यजीवों के बीच टकराव का कारण भी बन रहा है)। (even after the Supreme Court ban, marble stone is mined illegally here. Due to illegal mining There is a lot of damage to the environment and is also causing a confrontation between humans and wildlife).
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव – Wildlife of Sariska wildlife sanctuary in Hindi

बाघों के लिए प्रसिद्ध इस राष्ट्रीय उद्यान में अक्टूबर 2018 की बाघ गणना के अनुसार कुल 18 बाघ है, लेकिन ऐसा नहीं की यहाँ सिर्फ बाघ ही पाये जाते है भारत का यह राष्ट्रीय उद्यान हमेशा से वन्यजीवों का एक प्राकर्तिक निवास रहा है, और इन वन्यजीवों में कुछ शिकारी जानवर है और कुछ शिकार होने वाले जानवर है ।
यहां पाये जाने वाले वन्यजीवों में आप को जंगली बिल्ली, भारतीय तेंदुआ, गोल्डन सियार, नीलगाय, धारीदार लकड़बग्गा, कैराकल, जंगली सुअर, हिरण, लोमड़ी, सांभर, चीतल,रीसस मकाक, लंगूर जैसे शानदार वन्य प्राणी देखने को मिलते है।
पक्षियों के निवास के लिए इस अभ्यारण्य का वातावरण बहुत अनुकूल है इस उद्यान में आपको प्रवासी और देशी पक्षियों का संगम देखने को मिलता है भारतीय मोर, झाड़ी बटेर, गोल्डन-समर्थित कठफोड़वा, भारतीय ईगल-उल्लू, ग्रे पार्ट्रिज, व्हाइट-थ्रोटेड किंगफिशर, ट्रीपी, सैंडग्रास, क्रेस्टेड सर्प ईगल जैसे देशी और विदेशी पक्षी देखने को मिलते है।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में करने के लिए चीजें – Things to do in Sariska National Park in Hindi

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में सफारी – Sariska National Park Safari In Hindi
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के लिए वन विभाग जीप सफारी और कैंटर सफारी की सुविधा उपलब्ध करवाता है, मंगलवार और शनिवार को पर्यटको को निजी वाहन के साथ प्रवेश की अनुमति दी जाती है।
जीप सफारी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान – Jeep Safari Sariska National Park in Hindi
पार्क में घूमने का सबसे सुविधाजनक वाहन जीप सफारी है, जीप में एक साथ 6 लोग बैठने की क्षमता होती है, एक छोटे पर्यटक समूह के लिए इस वन्यजीव अभ्यारण्य को नजदीक से देखने के लिए जीप की सफारी सबसे उपयुक्त वाहन है, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के लिए बाघ और वन्य प्राणियों की तश्वीर लेने के लिए जीप सबसे अच्छा वाहन है|
कैंटर सफारी सरिस्का टाइगर रिज़र्व – Canter Safari Sariska Tiger Reserve in Hindi
अगर अपने पूरे परिवार के साथ या अपने पूरे दोस्तों के साथ इस राष्ट्रीय उद्यान को देखने आये है तो आप के लिए इस अभ्यारण्य को देखने के लिए कैंटर सफारी से अच्छा कोई दूसरा वाहन नहीं हो सकता, कैंटर इस राष्ट्रीय उद्यान के लगभग सभी क्षेत्रों में जाता है। कैंटर में एक समय में एक साथ 20 लोग सफारी का आनंद ले सकते है।
नोट | Note:- पर्यटन सीजन के समय इस राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटक ज्यादा संख्या में आते है , इस लिए उद्यान में आने से पहले सफारी की ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते है।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश का समय – Sariska National Park Timings in Hindi
सरिस्का नेशनल पार्क पूरे सप्ताह सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 8:00 बजे तक खुला रहता है।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान सफारी समय सारणी – Safari Timing Sariska Tiger Reserve in Hindi
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में प्रतिदिन सफारी के लिए दो स्लॉट निर्धारित किये गए है । पहली सफारी सुबह 6:00 से शरू होती है और 9:00 बजे तक होती है और दूसरी सफारी दोपहर को 3:00 बजे शरू होती है और शाम को 6:00 बजे समाप्त होती है। गर्मियों के मौसम में सुबह की सफारी लेना ज्यादा अच्छा रहेगा, राजस्थान में गर्मियों के मौसम में दिन का समय बहुत ज्यादा गरम होता है।
नोट | Note:-
01 मौसम के अनुसार सफारी का समय बदल सकता है।
02 पार्क की सफारी3:00 से 3 :30 घंटे की होती है।
03 मानसून के मौसम में जुलाई से अक्टूबर तक पार्क में सफारी बंद रहती है हालाँकि मंगलवार और शनिवार को पांडुपोल में हनुमानजी के मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते है।
Period |
Morning shift |
Evening shift |
April 1st to May 15th |
6:00AM to 9:30AM |
3:00 PM to 6:30 PM |
May 16th to June 30th |
6:00AM to 9:30AM |
3:30 PM to 7:00 PM |
October 1st to October 31st |
6:30AM to 10:00AM |
2:30 PM to 6:00 PM |
November 1st to January 31st |
7:00AM to 10:30AM |
2:00 PM to 5:30 PM |
Feburary1st to March 31st |
6:30AM to 10:00AM |
2:30 PM to 6:00 PM |
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश शुल्क – Sariska National Park Entry Fees in Hindi
Category |
ENT-FEE |
FOU-FEE |
I.P.C-FEE |
Indians |
Rs75/- (Per Person) |
Rs 10/- |
Rs 20/- |
Froeginrs |
Rs500/- (Per Person) |
Rs 50/- |
Rs 20/- |
Indians student |
Rs20/- (Per Student) |
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Gypsy/Canter |
Rs 250/- |
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Movie Camera |
Rs 600/- Indians |
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Camera( 8MM-16MM) |
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