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    Home»Language»Hindi»काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम 2024 | kaziranga National Park 2024 In Hindi
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    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम 2024 | kaziranga National Park 2024 In Hindi

    24 Mins Read

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    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम 2024 | kaziranga National Park Assam 2024 In Hindi

    भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित असम राज्य के गोलाघाट और कार्बी आंगलोंग जिलों में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान विश्व के दो तिहाई एक सींग वाले गैंडों का घर है। एक राष्ट्रीय उद्यान होने के साथ-साथ काजीरंगा भारत का प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व भी है। इसके अलावा वर्ष 1985 में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को युनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया था।

    काजीरंगा में वर्ष 2018 के मार्च महीने में असम सरकार के वन विभाग और कुछ मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों के द्वारा उद्यान के वन्यजीवों की सयुंक्त रूप से जनगणना आयोजित की गई थी। 2018 में की गई उस जनगणना के अनुसार उद्यान में गैंडों की आबादी 2413 थी। गैंडों की कुल आबादी में 1641 वयस्क गैंडे थे जिनमें से 642 नर गैंडे, 793 मादा गैंडे और 206 अलैगिंक गैंडे शामिल थे।

    वयस्क गैंडों के अलावा उद्यान में  387 उप-वयस्क गैंडे भी थे जिनमें से 116 नर गैंडे, 149 मादा गैंडे और 122 अलैंगिक गैंडे शामिल है। इन सब के अलावा यहाँ पर 385 गैंडों के बछड़े भी थे। वर्ष 2015 में भी यहाँ जब वन्यजीवों की जनगणना की गई थी उस समय इस उद्यान में गैंडों की जनसंख्या 2401 थी।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2006 में टाइगर रिज़र्व भी घोषित कर दिया गया था, वर्तमान में इस उद्यान में  में बाघों की कुल जनसंख्या 118 है। गैंडों और बाघ के अलावा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान हाथी, दलदली हिरण और जंगली भैंसा जैसे वन्यजीवों का भी घर है। देशी और विदेशी पक्षियों के संरक्षण के लिये अभी कुछ समय पहले ही इस राष्ट्रीय उद्यान को बर्डलाइफ इंटरनेशनल संस्था के द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी सरंक्षण क्षेत्र भी घोषित किया गया है।

    हमारे देश के कई प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों की अपेक्षा में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने वन्यजीवों के संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। पूर्वी हिमालय के किनारे पर स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न प्रकार की वनस्पति से भी समृद्ध है। इस वजह से यहाँ पर दिखाई देने वाले प्राकृतिक दृश्य आपको यहाँ पर बांधे रखते है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान यहाँ पाई जाने वाली हाथी घास, घने उष्णकटिबंधीय पेड़ो वाले घने जंगल और दलदली भूमि की वजह से यह राष्ट्रीय उद्यान अपने आप को भारत के अन्य वन्यजीव अभयारण्य से अलग साबित करता है। विभिन्न प्रकार की वनस्पति वाला राष्ट्रीय उद्यान होने के साथ-साथ इस उद्यान का मुख्य जल स्त्रोत ब्रम्हपुत्र नदी है।

    ब्रम्हपुत्र नदी के साथ यहाँ पर कुल चार अन्य नदियां और भी बहती है। नदियों के अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान पानी के कई छोटे-छोटे जल स्त्रोत और भी है। एक राष्ट्रीय उद्यान होने की वजह से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का उल्लेख अनेक पुस्तकों, वृतचित्रों और स्थानीय गीतों में भी किया गया है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1905 में कई गई थी। वर्ष 2005 में इस राष्ट्रीय उद्यान का 100वाँ स्थापना दिवस भी मनाया गया था।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास | kaziranga National Park History In Hindi


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    Rhino with calves in Kaziranga National Park | Click in image for Credits

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अस्तित्व में आने का इतिहास 1904 की एक घटना से जुड़ा हुआ है। 1904 में जब ब्रिटिश भारत के वायसराय लार्ड कर्जन अपनी पत्नी मैरी कर्जन के साथ इस वन क्षेत्र में गैंडे को देखने के लिये आते है। लेकिन किसी कारणवश उन लोगों का इस वन क्षेत्र में एक भी गैंडा नहीं दिखाई देता है।

    इससे दुःखी होकर वायसराय लार्ड कर्जन की पत्नी मैरी कर्जन उन्हें इस वन क्षेत्र में रह रहे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए राजी करती है। इस घटना के कुछ समय के बाद 01 जून 1905 में काजीरंगा के इस वन क्षेत्र के 232 वर्ग किलोमीटर (90 वर्ग मील) के क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया जाता है। इसके बार लगातार तीन वर्षों तक इस आरक्षित वन क्षेत्र के क्षेत्रफल को 152 वर्ग किलोमीटर (59 वर्ग मील) तक बढ़ाते हुए ब्रम्हापुत्र नदी के तटों तक ले जाया जाता है।

    1908 आते-आते काजीरंगा को आरक्षित वन घोषित कर दिया जाता है। 1916 में इस आरक्षित वन क्षेत्र का नाम एक बार दोबारा बदल दिया जाता है। इस बार इस उद्यान का नाम बदलकर काजीरंगा खेल अभ्यारण्य कर दिया जाता है। इसके बाद 1938 तक इस उद्यान में अंग्रेज अधिकारियों के द्वारा बहुत ज्यादा मात्रा में शिकार किया गया जिस वजह से यहाँ रहने वाले कई वन्यजीवों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर आ गई।

    1938 में इस उद्यान में एकबार फिर से शिकार पर पाबंदी लगा दी गई और इस बार इस आरक्षित वन में पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति दी जाने लगी। भारत के स्वंतंत्र होने के बाद वर्ष 1950 में उस समय की वन सरक्षंणवादी पी. डी. स्ट्रेसी ने इस उद्यान से जुड़े हुए शिकार के शब्द को हटाने के लिये काजीरंगा खेल अभ्यारण्य का नाम दोबारा से बदलकर काजीरंगा वन्यजीव अभ्यारण्य कर दिया।

    वर्ष 1954 में काजीरंगा में लगभग विलुप्त हो चुके गैंडे जैसे वन्यजीव को बचाने के लिए असम (गैंडा) विधेयक पारित किया गया जिसमें गैंडे के अवैध शिकार पर बहुत भारी जुर्माना लगाया गया था। इस विधेयक के पास होने के 14 वर्ष के बाद वर्ष 1968 में असम की तत्कालीन राज्य सरकार ने असम राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम पारित किया जिसके तहत काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया।

    इसके बाद 11 फरवरी 1974 को केंद्र सरकार ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के 430 वर्ग किलोमीटर (166 वर्ग मील) के वन क्षेत्र को आधिकारिक तौर राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दे दिया। इसके बाद वर्ष 1985 में राज्य सरकार और वन विभाग द्वारा गैंडों के संरक्षण के लिये किये गए प्रयासों और यहाँ के अद्वितीय प्राकृतिक परिदृश्य के वजह से यूनेस्को ने इस राष्ट्रीय उद्यान को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण कैसे हुआ – How Kaziranga National Park Got Its Name In Hindi

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    Sunset in Kaziranga National Park | Ref img

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के नामकरण के पीछे स्थानीय निवासियों से बहुत सारे किस्से और कहानियाँ सुनी जाती है इसके अलावा इतिहासकारों द्वारा अपनी अलग- अलग पुस्तकों में इस उद्यान के नामकरण से जुड़े हुए अनेक घटनाक्रमों का वर्णन किया गया है। स्थानीय निवासियों के द्वारा इस उद्यान के नामकरण से जुड़ी हुई किवंदतियां भी बहुत सुनी जाती है।

    किवदंती के अनुसार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान वन क्षेत्र के पास में स्थित एक गाँव की रावंगा नाम की लड़की को कार्बी आंगलोंग गाँव के काजी नाम के लड़के से प्रेम हो जाता है। लेकिन किसी कारणवश इन दोनों ही प्रेमियों के परिजनों को उनका यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसी वजह से रावंगा और काजी नाम के यह दोनों प्रेमी एक दिन जंगल मे चले जाते है और ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद दोनों ही गाँव के लोगों ने कभी भी रावंगा और काजी इन दोनों को दोबारा नहीं देखा।

    इसी वजह से गाँव वालों ने मिलकर इस जंगल का नाम काजीरंगा रख दिया। सोलहवीं शताब्दी में वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े हुए संत श्रीमंत शंकरदेव से जुड़ी हुई कथा भी यहाँ के स्थानीय निवासियों से सुनी जाती है। कहा जाता है कि एक बार संत श्रीमंत शंकरदेव ने यहाँ रहने वाले निसंतान दंपति जिनका नाम काजी और रंगाई था, को यह आशीर्वाद दिया कि यदि वह इस वन क्षेत्र में एक बड़ा तालाब खोदते है।

    तो उन्हें बहुत ही भाग्यशाली संतान की प्राप्ति होगी और साथ में ही सदा के लिये उन दोनों का नाम भी अमर हो जाएगा। अब कुछ इतिहासकारों ने भी इस वन क्षेत्र से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम का वर्णन अपनी पुस्तकों में भी किया है। एक इतिहासकार के अनुसार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के नामकरण का उल्लेख कई इतिहास के कई अभिलेखों में किया गया है।

    इतिहासकार के अनुसार सत्रहवीं शताब्दी में अहोम राजा प्रताप सिंह जब इस वन क्षेत्र का दौरा कर रहे होते है तो वो यहां मिलने एक मछली के स्वाद से बड़े प्रसन्न हुए । राजा ने अपने सेवकों से पूछा कि मछली कहाँ से आई है तब उन्हें जवाब मिलता है की मछली काजीरंगा से आई है। कहते है कि उस समय की स्थानीय बोलचाल की भाषा मे काजीरंगा का अर्थ होता था “लाल बकरियों (हिरण) की भूमि“ ।

    इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि काजीरंगा नाम कार्बी भाषा के काजिर-ए-रोंग नाम के शब्द से प्रभावित है। काजिर-ए-रोंग का शाब्दिक अर्थ होता है “काजीर का गाँव”। कार्बी जनजाति के लोगों के बीच मे काजीर नाम की एक बालिका का नाम भी बड़ी प्रमुखता से लिया जाता है।

    कहा जाता है कि काजीर नाम की महिला ने काजीरंगा वन क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्र पर कई वर्षों तक शासन किया था। काजीरंगा और इसके आसपास के क्षेत्र में कार्बी शासनकाल से जुड़े हुए मोनोलिथ के टुकड़े पुरातत्व विभाग को यहाँ खुदाई के दौरान मिले है जो इतिहासकारों के इस दावे को और भी पुख्ता करते है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का भूगोल – Kaziranga National Park Geography In Hindi


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    Kaziranga National Park Map | Click in image for Credits

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान वर्तमान में असम के तीन जिलों गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और नागांव जिले में स्थित है। लगभग 430 वर्ग किलोमीटर (166 वर्ग मील) में फैला हुआ यह राष्ट्रीय उद्यान पूर्व से पश्चिम दिशा में 40 किलोमीटर (25 मील) लंबा है और उत्तर से दक्षिण दिशा में 13 किलोमीटर (8 मील) चौड़ा है।

    वर्तमान में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का कुल भू-भाग 378 वर्ग किलोमीटर (146 वर्ग मील) है, क्योंकि की हाल के वर्षों में लगभग 51 वर्ग किलोमीटर (20 वर्ग मील) का भू-भाग ब्रम्हापुत्र पुत्र नदी में कटाव की वजह से खो गया है। उद्यान का अधिकतम भू-भाग में मैदानी इलाकों में ही फैला हुआ है इसके अलावा उद्यान में स्थित कार्बी आंगलोंग हिल्स की ऊंचाई मात्र  40 मीटर ( 131 फ़ीट) से लेकर 80 मीटर (262 फ़ीट) ही है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ब्रम्हापुत्र नदी के अलावा डिफ्लू, मोरा धनसिरी और मोरा डिफ्लू नाम की तीन अन्य नदियाँ प्रमुखता से बहती है। यहाँ बहने वाली नदियों में कटाव और गाद के जमाव की वजह से उद्यान का अधिकांश क्षेत्र उपजाऊ है और इसका एक और मुख्य कारण उद्यान का अधिकांश भू-भाग समतल होना भी  है।

    काजीरंगा का कुछ क्षेत्र जमीन से ऊँचाई पर स्थित है, ऐसी जगहों को यहाँ के लोग चैपोरी कह कर बुलाते है। यहाँ पर जब भी बाढ़ की स्थित बन जाती है उस समय उद्यान के अधिकांश वन्यजीव अपनी सुरक्षा के लिये ऐसी ऊँचाई वाली जगहों पर चले जाते है। काजीरंगा में मानसून के समय बहुत ज्यादा बारिश होती है इसलिये यहाँ रहने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारतीय सेना ने इस उद्यान में कई झोपड़ियों का निर्माण भी किया है।

    यह राष्ट्रीय उद्यान भौगोलिक रूप से उप-हिमालयी बेल्ट के सबसे बड़े सरंक्षित भू-भागों में से एक है, और इसी वजह से आप को यहाँ पर सबसे अधिक वन्यजीवन की विविधता भी देखने को मिल सकती है। उद्यान में अधिकतम वन्यजीवन में विविधता होने की वजह से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को “जैव विविधता हॉटस्पॉट” के रूप में भी वर्णित किया जाता है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान इंडोमालयन क्षेत्र में स्थित और इसी वजह से ब्रम्हापुत्र घाटी में स्थित इस उद्यान का भू-भाग उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले जंगल से भरा हुआ हैं। इसके अलावा पार्क में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय घास के मैदान भी बने हुए जिनमें तराई-द्वार और सवाना घास प्रमुख है।

    उद्यान के इन घास के मैदानों में मॉनसून के मौसम में बाढ़ के आने का खतरा बना रहता है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्र में आपको चाय के बागान से घिरे हुए है। उद्यान के पास में स्थित यह चाय के बागान असम की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देते है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव – Kaziranga National Park Fauna In Hindi

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    Elephant in Kaziranga National Park | Ref img

    काजीरंगा नेशनल पार्क 35 महत्वपूर्ण स्तनधारी प्रजाति के वन्यजीवों के प्रजनन के लिये उपयुक्त माना जाने वाला सरंक्षित वन क्षेत्र है। इन 35 स्तनधारी प्रजाति के वन्यजीवों में 15 प्रजातियों के वन्यजीव IUCN Red List के अनुसार विलुप्त होने के कगार पर है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मुख्य रूप से एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये पूरी दुनिया मे प्रसिद्ध है। इस राष्ट्रीय उद्यान में  एक सींग वाले गैंडों की संख्या 2018 की जनगणना के अनुसार 2413 है।

    गैंडों के अलावा उद्यान में जंगली एशियाई जल भैंस की संख्या 1666, बंगाल बाघ की संख्या 118 और पूर्वी दलदली हिरण की सनक 468 है। इन सबके अलावा इस उद्यान में भारतीय हाथी की जनसंख्या 1940, 58 सांभर और 1300 गौर भी शामिल है। काजीरंगा नेशनल पार्क में पूरी दुनिया के 57% से भी ज्यादा जंगली जल भैसों की आबादी पाई जाती है, जो की पूरी दुनिया मे सबसे ज्यादा है।

    इस उद्यान के सबसे बड़े पाँच वन्यजीवों में रॉयल बंगाल टाइगर, एक सींग वाला गैंडा, एशियाई हाथी, दलदली हिरण और जंगली भैंसा शामिल है। इन पांचों वन्यजीवों को यहाँ पर “बिग फाइव” भी कह कर संबोधित किया जाता है। भारत और दुनिया के अन्य देशों के वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ-साथ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को भी बाघ और तेंदुए जैसे शिकारी वन्यजीवों के प्रजनन के लिये बहुत उपयुक्त माना गया है। इसी वजह से वर्ष 2006 में काजीरंगा को टाइगर रिज़र्व भी घोषित किया गया था।

    वर्तमान में इस उद्यान में लगभग 118 बाघों की आबादी पाई जाती है। एक सर्वे के अनुसार उद्यान के प्रति 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 1 बाघ पाया जाता है। बाघ और तेंदुआ के अलावा इस पार्क में बिल्लियों की भी अनेक प्रजातियां पाई जाती है जिनमें मछली पकड़ने वाली बिल्ली, जंगली बिल्ली और तेंदुआ बिल्ली शामिल है।

    उद्यान में छोटे स्तनधारी वन्यजीव भी बहुत बड़ी संख्या में पाए जाते है इनमें प्रमुख रूप से भारतीय ग्रे नेवला, हिस्पिड खरगोश, बड़े भारतीय सिवेट, बंगाल लोमड़ी, छोटे भारतीय नेवले, छोटे भारतीय सिवेट, चीनी पैंगोलिन, चीनी फेर्रेट बेजर, हॉग बेजर, गोल्डन सियार, भारतीय पैंगोलिन और सुस्ती भालू आदि शामिल है। भारत मे पाई जाने वाली 14 प्राइमेट प्रजातियों में से 09 प्राइमेट प्रजातियां काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।

    इनमें प्रमुख रूप से कैप्ड लंगूर, असमिया मकाक, सुनहरा लंगूर और हुलॉक गिब्बन जो कि सिर्फ भारत मे ही पाया जाता है। इन सबके के अलावा आपको इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगली सुअर, हॉग हिरण और भारतीय मंटजैक भी दिखाई दे सकते है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान लगभग विलुप्त हो चुकी गंगा डॉल्फिन का घर भी है। वन्यजीवों के अलावा आपको यहाँ पर सरीसृप भी बड़ी मात्रा में दिखाई दे सकते है।

    उद्यान  में विश्व के दो सबसे बड़े साँप जालीदार अजगर और रॉक अजगर निवास करते है, और इसके अलावा दुनिया का सबसे जहरीले साँपों में किंग कोबरा, भारतीय कोबरा, रसेल वाइपर, करैत और मोनोकोल्ड कोबरा भी इसी राष्ट्रीय उद्यान में निवास करते है। साँपो के अलावा उद्यान  में आपको छिपकलियों की भी कई प्रजातियां दिखाई देती है जिसमें एशियन वॉटर मॉनिटर और बंगाल मॉनिटर प्रमुख है।

    कछुओं की लगभग 15 प्रजातियों के यह राष्ट्रीय उद्यान घर माना जाता है। उद्यान  में बहने वाली नदियों में लगभग 42 प्रकार की मछलियों की प्रजातियाँ निवास करती है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Bird in Kaziranga National Park In Hindi

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    Birds in Kaziranga National Park | Ref img

    बर्डलाइफ इंटरनेशनल के अनुसार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को एक महत्वपूर्ण देशी और विदेशी पक्षियों के संरक्षण क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। यह राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न प्रकार के देशी और विदेशी पक्षियों का घर भी है यहाँ पर आपको अनेक प्रवासी पक्षी जैसे वाटर बर्ड्स, प्रेडटर्स, स्कावेंजर्स और गेम बर्ड्स आदि दिखाई दे जाते है।

    मध्य एशिया में पड़ने वाली तेज ठंड की वजह से बहुत सारे पक्षी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में चले आते है। मध्य एशिया से आने वाले पक्षियों में  लैसर वाइट-फ्रण्टेड गूस, फेरुगिनस डक, बायर्स पोचार्ड डक, लैसर एडजुटेंट, ग्रेटर एडजुटेंट, ब्लैक-नेकेड स्टोर्क और एशियन ओपनबिल स्टोर्क आदि शामिल है।

    यहाँ बहने वाली नदियों के किनारों पर आपको सफेद पेट वाला बगुला, स्पॉट-बिल पेलिकन, बेलीथ का किंगफिशर, डालमेटियन पेलिकन, ब्लैक-बेलिड टर्न और नॉर्डमैन का ग्रीनशैंक आदि आराम करते हुए दिखाई दे सकते है। पार्क में शिकार करने वाले पक्षियों की प्रजातियां भी दिखाई देती है जिनमें दुर्लभ ईस्टर्न इम्पीरियल, वाइट टेल्ड, ग्रेटर स्पॉटेड, पलास फिश ईगल, लैसर केस्ट्रल और ग्रे-हेडेड फिश ईगल आदि।

    एक समय था जब काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान गिद्धों की सात प्रजातियों के घर हुआ करता था। लेकिन वर्तमान में अधिकांश गिद्धों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है। विशेषज्ञ इसका मुख्य कारण गिद्धों द्वारा डाइक्लोफेनाक युक्त जानवरों के शवों का खाया जाना मानते है। अभी के समय आपको उद्यान  में सिर्फ भारतीय गिद्ध, भारतीय सफेद दुम वाले गिद्ध और दुबले-पतले गिद्ध ही दिखाई देते है।

    गेम बर्ड्स प्रजाति के पक्षियों में बंगाल फ्लोरिकन, दलदली फ्रेंकोलिन और पीला-छाया कबूतर शामिल हैं। इन सबके अलावा यहाँ पर अनेक विलुप्त प्रायः प्रजाति के पक्षी भी देखे जा सकते है जिनमें माल्यार्पण हॉर्नबिल, ग्रेट इंडियन हार्नबिल, जेर्डन बब्बलर और मार्श बब्बलर आदि।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति – Kaziranga National Park Flora In Hindi

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    Kaziranga National Park Flora | Ref Img

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में आपको मुख्य रूप से जलोढ़ जलमग्न घास के मैदान, उष्णकटिबंधीय नम मिश्रित पर्णपाती वन, जलोढ़ सवाना वुडलैंड्स और उष्णकटिबंधीय अर्ध-सदाबहार वन ये चार प्रकार की वनस्पति दिखाई देती है। 1986 में लैंडसैट नामक संस्था ने उद्यान  में स्थित वनस्पति कवरेज पर रिसर्च की।

    उस रिसर्च के दौरान उद्यान  में वनस्पति प्रतिशत के जो आकंड़े सामने आए उसके अनुसार पार्क में लंबी घास 41%, छोटी घास 11%, खुला जंगल 29%, दलदल 4%, नदियाँ और जल निकाय 8%, और रेत 6% है। उद्यान  का पश्चिमी भाग कम ऊँचाई पर स्थित है इसी वजह से आपको उद्यान  के पश्चिमी भाग में बड़े घास के मैदान दिखाई देंगे।

    निचले मैदानी इलाकों में स्थित छोटी घास बील या फिर बाढ़ की वजह से बने तालाबों को कवर करती है। उद्यान  का पूर्वी भाग ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से आपको यहाँ पर हाथी घास, गन्ना, भाला घास और ईख जैसे लंबे पौधे दिखाई दे जाते है। घास के मैदानों में आपको कहीं-कहीं पर छाया प्रदान करने वाले पेड़ जैसे भारतीय आवंला, कुंभ, कपास के पेड़ और हाथी सेब आदि दिखाई देते है।

    इन सब के अलावा उद्यान  के कंचनजुरी, पनबारी और तमुलीपाथर जोन में स्थित सदाबहार जंगलों में तलौमा हॉजसोनी, फिकस रुम्फी, अपानमिक्सिस पॉलीस्टाच्या, सिनामोमम बेजोलघोटा, डिलेनिया इंडिका, गार्सिनिया टिनक्टोरिया, और साइज़ियम के विभिन्न प्रजाति के पेड़ शामिल हैं। और बागुरी, बिमाली और हल्दीबाड़ी जोन में स्थित अधिकांश वनस्पति उष्णकटिबंधीय अर्ध-सदाबहार वन हैं।

    उद्यान  में लेगरस्ट्रोमिया स्पेशोसा, ली इंडिका, झाड़ियाँ, स्टेरकुलिया यूरेन्स, ग्रेविया सेरुलाटा, ब्रिडेलिया रेटुसा, अल्बिज़िया प्रोसेरा, डुआबंगा ग्रैंडिफ़्लोरा, अपानिया रूब्रा, क्रेटवा यूनीलोक्यूलिस और मलोटस फ़िलिपेंसिस जैसे पेड़- पौधे भी शामिल है। उद्यान  में स्थित नदियों, झीलों और तालाबों में भी विभिन्न प्रकार की जलीय वनस्पति देखने को मिलती है।

    उद्यान  के जल स्रोतों में आक्रामक कुंभी सबसे ज्यादा होती है जिसे बाढ़ की स्थित बनने के दौरान साफ कर दिया जाता है ताकि वन्यजीवों को किसी प्रकार की हानि ना हो। इसके अलावा कुंभी के अन्य प्रजातियों में मिमोसा इनविसा भी पाई जाती है जो कि शाकाहारी वन्यजीवों के लिये बहुत हानिकारक है, इसे वर्ष 2005 में वन्यजीव ट्रस्ट की सहायता से साफ कर दिया गया था।

    काजीरंगा नेशनल पार्क के सफारी ज़ोन – Kaziranga National Park Safari Zone in Hindi


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    One horn Rhino in Kaziranga National Park | Click on image for credits

    क्षेत्रफल के हिसाब से कांजीरंगा नेशनल पार्क मात्र 430 वर्ग किलोमीटर (166 वर्ग मील) के क्षेत्र में ही फैला हुआ है। इतना कम क्षेत्रफल होने के बावजूद भी यह राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीवन और वानस्पतिक रूप से बेहद समृद्ध है। पर्यटन के हिसाब से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को 04 जोन में बांटा गया है।  काजीरंगा नेशनल पार्क के चारों जोन को सेंट्रल जोन ( कोहोरा जोन), वेस्टर्न जोन ( बगोरी जोन), ईस्टर्न जोन ( अगरतोली जोन) और बुरपहर जोन के नाम से जाना जाता है।

    सेंट्रल जोन – Central Zone

    प्रवेश द्वार – कोहोरा

    सफारी का समय – सुबह 07:00 बजे से 09:45 बजे तक और शाम को 1:00 से 02:45 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)

    सफारी का प्रकार – जीप सफारी / एलीफैंट सफारी 

    सफारी रूट – मिहिमुख-कठपोरा-दफलांग-डिफोलू रिवर बैंक-मोना बील-करासिंग एंड बैक

    सफारी की लम्बाई – 27 KM

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के सेंट्रल जोन का प्रवेश द्वार उद्यान के पास में स्थित कोहोरा नाम के छोटे से कस्बे से मात्र 02 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सेंट्रल जोन में सफारी की शुरुआत मिहिमुख राइडिंग टावर नाम की एक जगह से होती है जो कि उद्यान  के इस हिस्से में की जाने वाली एलीफैंट सफारी का शुरुआती पॉइंट भी माना जाता है।

    सेंट्रल जोन में आप जीप सफारी और एलीफैंट सफारी दोनों का ही आनंद ले सकते है। उद्यान  के इस हिस्से में जीप सफारी की अवधि 02 घंटे है और एलीफैंट सफारी की अवधि 01 घंटा है। सेंट्रल जोन के प्रवेश द्वार पर बने हुए टिकट काउंटर पर जीप सफारी और एलीफैंट सफारी की लिये टिकट उपलब्ध हो जाएगा।

    वेस्टर्न जोन – Western Zone

    प्रवेश द्वार – बागोरी

    सफारी का समय – सुबह 07:00 बजे से 09:45 बजे तक और शाम को 1:00 से 02:45 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)

    सफारी का प्रकार – जीप सफारी / एलीफैंट सफारी 

    सफारी रूट – डोंगाबील-रोमान-राजापुखुरी-मोनाबील एंड बैक

    सफारी की लम्बाई – 22 KM

    काजीरंगा नेशनल पार्क के वेस्टर्न जोन के प्रवेश द्वार का नाम बागोरी है। वास्तव में बागोरी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित एक जगह है जहाँ पर बागोरी पर्यटन कार्यालय भी बना हुआ है। बागोरी पर्यटन कार्यालय को वेस्टर्न जोन का स्टार्टिंग पॉइंट भी माना जाता है। वेस्टर्न जोन काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का एक ऐसा जोन है जहाँ पर आपको एक सींग वाला गैंडा दिखाई देने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है।

    इसलिए जो पर्यटक इस उद्यान में गैंडा देखने के लिये आते है वो लोग अधिकतर वेस्टर्न जोन को ही ज्यादा पसंद करते है। वेस्टर्न जोन में पर्यटको के लिये जीप सफारी और एलीफैंट सफारी सुविधा उपलब्ध है। काजीरंगा नेशनल पार्क में एलीफैंट सफारी के लिये वेस्टर्न जोन को सबसे उपयुक्त माना जाता है।

    ईस्टर्न जोन – Eastern Zone

    प्रवेश द्वार – अगरतोली

    सफारी का समय – सुबह 07:00 बजे से 09:45 बजे तक और शाम को 1:00 से 02:45 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)

    सफारी का प्रकार – जीप सफारी 

    सफारी रूट – अगरतोली सोहोला बील-रोंगामोटिया-मकलुंग-तुरतुरोनी-धोबा एंड बैक

    सफारी की लम्बाई – 23 KM

    ईस्टर्न जोन का प्रवेश द्वार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित अगरतोली नाम के एक छोटे से कस्बे के पास स्थित है।  प्रवेश द्वार के पास बना हुआ पर्यटन कार्यालय उद्यान  में प्रवेश का स्टार्टिंग पॉइंट भी माना जाता है।

    उद्यान  के इस हिस्से में बहुत सारे छोटे-बड़े जल निकाय बने हुए है इस वजह से  ईस्टर्न जोन में आपको जीप सफारी के अलावा बोट सफारी का अवसर भी मिलता है। ईस्टर्न जोन में आपको अनेक प्रकार के देशी और विदेशी पक्षी भी देखने को मिल सकते है।

    बुरापहार जोन – Burapahar Zone

    प्रवेश द्वार – घोड़ाकाटी गांव

    सफारी का समय – सुबह 07:00 बजे से 09:45 बजे तक और शाम को 1:00 से 02:45 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)

    सफारी का प्रकार – जीप सफारी

    सफारी रूट – घुरकाती-पोताही बील-डिफोलु-फुलोगुरी-तुनीकती

    सफारी की लम्बाई – 16 KM

    घोड़ाकाटी गांव से आप काजीरंगा नेशनल उद्यान के बुरापहार जोन में प्रवेश कर सकते है। बुरापहार जोन में सफारी का स्टार्टिंग पॉइंट राइनोलैंड पार्क है। उद्यान का यह क्षेत्र मुख्य रूप से पहाड़ों से घिरा हुआ है। उद्यान का यह भाग पक्षी प्रेमियों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा आपको यहाँ पर उद्यान की  प्राकृतिक सुंदरता भी भरपूर देखने  मिलती है।

    बुरापहार जोन में आप जीप सफारी और एलीफैंट सफारी का आनंद ले सकते है, इसके अलावा आप उद्यान के इस हिस्से में ट्रैकिंग का आनंद  भी ले सकते है।

    नोट:- 01 उद्यान में हाथी सफारी की अवधि सिर्फ 01 घंटा है। 

    02 उद्यान में जीप सफारी की अवधि सिर्फ 02 घंटा है। 

    03 उद्यान में प्रवेश से पहले उद्यान से जुड़े हुए सभी तरह के नियमों के बारे में जानकारी कर लेवें। 

    04 प्रत्येक जीप सफारी को सशस्त्र वन रेंजर द्वारा अनुरक्षित किया जाता है और बिना एस्कॉर्ट के किसी भी वाहन को पार्क में जाने की अनुमति नहीं है।

    05 कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के टिकट प्रत्येक जोन के प्रवेश द्वार पर बने हुए कार्यालय से प्राप्त किये जा सकते है। 

    06 काजीरंगा नेशनल पार्क में किसी भी प्रकार की ऑनलाइन टिकट बुक नहीं होती है। अधिक  जानकारी के लिए उद्यान की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें। 

    ( https://nagaon.gov.in/frontimpotentdata/kaziranga-national-park  )

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kaziranga National Park Weather In Hindi

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    Kaziranga National Park | Ref img

    वैसे तो आपको काजीरंगा नेशनल पार्क में पूरे साल एक जैसा मौसम देखने को मिलता है। यहाँ पर ना तो सर्दियां ज्यादा ठंडी होती है और ना ही गर्मियां ज्यादा गर्म होती है। सर्दियों के मौसम में इस नेशनल पार्क का न्यूनतम तापमान 10° डिग्री तक जाता है और गर्मियों में अधिकतम तापमान 35° डिग्री तक जाता है।

    लेकिन मानसून के मौसम में यहाँ पर बहुत ज्यादा बारिश होती है, ऐसा अनुमान है कि पूरे मानसून के मौसम में यहाँ पर लगभग 2220 मिली मीटर तक बारिश हो जाती है। इतनी ज्यादा बारिश की वजह से यहाँ पर हर साल बाढ़ के हालात बन जाते है, और इतनी अधिक बारिश की वजह से अधिकांश वन्यजीव ऊंचाई वाले स्थानों की तरफ चले जाते है।

    जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश की वजह से उद्यान में बहने वाली ब्रम्हापुत्र नदी का जल स्तर बढ़ जाता है, और पार्क के पश्चिमी भाग तीन-चौथाई हिस्सा नदी के बढ़े हुए जलस्तर में डूब जाता है। आकंड़ों के अनुसार 03 अगस्त 2016 काजीरंगा नेशनल पार्क का 70% हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया था। इस वजह से पार्क के अधिकांश वन्यजीव ऊंचाई वाले स्थानों की और पलायन कर गए थे। जबकि 2012 में आई बाढ़ में उद्यान के लगभग 540 वन्यजीवों की जान चली गई थी।

    मारे गए वन्यजीवों में 13 गैंडे भी शामिल थे और सबसे ज्यादा संख्या में हॉग डीयर मारे गए थे। गर्मियों के मौसम में कई बार इस उद्यान में सूखे की समस्या भी देखी गई है जिस वजह से कई बार वन्यजीवों के लिये उद्यान में भोजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

    गर्मियों में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kaziranga National Park Weather In Summer

    मार्च से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 35℃ / न्यूनतम: लगभग 17℃

    मानसून में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kaziranga National Park Weather In Monsoon

    जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 32℃ / न्यूनतम: लगभग 25℃

    (मानसून के मौसम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पार्क पर्यटकों के लिये बंद रहता है।)

    सर्दियों में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kaziranga National Park Weather In Winter

    अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 30℃ / न्यूनतम: लगभग 10℃ और कम।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय – Kaziranga National Park Best Time To Visit In Hindi

    काजीरंगा नेशनल पार्क घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से लेकर अप्रैल महीने तक का माना जाता है। भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा असम में मानसून और पूर्व-मॉनसून के समय बहुत ज्यादा बारिश होती है इसलिये यह नेशनल पार्क साल में लगभग 5-6 महीने के लिये पर्यटकों के लिये बंद रहता है।

    पार्क में लगभग 2000 मिलीमीटर से भी ज्यादा बारिश होती है इसलिये इस समय उद्यान का अधिकांश हिस्सा पानी मे डूब जाता है उसके बाद अक्टूबर महीने में जब बारिश रुक जाती है तब बाढ़ का पानी नीचे उतरना शुरू हो जाता है। इसी वजह से नवंबर से लेकर अप्रैल महीने का समय काजीरंगा नेशनल पार्क में घूमने का सबसे ज्यादा अच्छा समय माना जाता है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान खुलने का समय – Kaziranga National Park Opening Time In Hindi

    काजीरंगा नेशनल पार्क 01 नवंबर से लेकर 30 अप्रैल तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। मई महीने में अगर पूर्व-मॉनसून की बारिश कम होती है तो उद्यान खुला मिल सकता है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है।

    काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान बंद होने का समय – Kaziranga National Park Closing Time In Hindi

    01 मई से लेकर 31 अक्टूबर तक काजीरंगा नेशनल पार्क पर्यटकों के लिये बंद रहता है। बाकी अगर बारिश कम होती है तो पार्क जून महीने में पर्यटकों के लिये बंद कर दिया जाता है और सितंबर महीने के अंतिम सप्ताह में पर्यटकों के लिये खोला भी जा सकता है। लेकिन यह पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन और होने वाली मानसून की बारिश पर निर्भर करता है।

    नोट:- 01 काजीरंगा नेशनल पार्क को पर्यटकों के लिये खोलने और बंद करने का पूरा अधिकार स्थानीय प्रशासन के पास सुरक्षित है। 

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