उदयपुर के 40 दर्शनीय स्थल 2024 | 40 Best Places to Visit Udaipur in Hindi 2024 | Udaipur Tourist Places in Hindi | Udaipur in Hindi | Udaipur Tourism in Hindi | Things to do in Udaipur in  Hindi 2024 | Part – 01

उदयपुर का इतिहास – History of Udaipur in Hindi

झीलों की नगरी उदयपुर जिसे की पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है । इस खूबसूरत शहर की स्थापना से पहले यहाँ पर 5000 वर्ष पुरानी आयड़ सभ्यता से जुड़े हुए कुछ अवेशष पाये गए है। इससे यह पता चलता है की उदयपुर के मूल शहर की स्थापना से पहले भी यहाँ पर एक पूरा विकसित प्राचीन शहर हुआ करता था।

आयड़ नदी के किनारे पर बसे हुए उदयपुर की स्थापना महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने 1559 में की थी। हालांकि की कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है की उदयपुर की स्थापना 15 अप्रैल 1553 आखातीज के दिन की गई। एक खंडहर में तब्दील हो चुका उदयपुर का सबसे पुराना मोतीमहल इस बात की पुष्टि भी करता है।

कुछ इतिहासकारों का मानना है की महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर में सबसे पहले जिस महल का निर्माण करवाया उसे मोतीमहल कहा जाता है (वर्तमान में मोतीमहल की देखरेख की जिम्मेदारी मोतीमगपरी ट्रस्ट के पास है)। महाराणा उदयसिंह द्वारा उदयपुर के निर्माण से जुड़ी हुई कई अलग-अलग कथाएँ यहाँ पर बहुत प्रचलित है।

महाराणा उदयसिंह उदयपुर से पहले चित्तौड़गढ़ से मेवाड़ का शासन संचालित किया करते थे। लेकिन चित्तौड़गढ़ पर मुगलों के लगातार आक्रमणों से बचने के लिए अरावली पर्वतमाला से चारों तरफ घिरे हुए इस स्थान को जिसे आज उदयपुर कहा जाता है को मेवाड़ की नई राजधानी के रूप में चुना।

मोतीमहल के निर्माण से जुड़ी हुई एक कथा के अनुसार एक बार महाराणा उदयसिंह अपने पोते अमरसिंह के जन्म के बाद मेवाड़ के ईष्ट देवता और शासक एकलिंगजी भगवान के दर्शन हेतु कैलाशपुरी आये हुए थे|  तब उन्हें आयड़ नदी के आसपास का क्षेत्र मेवाड़ की नई राजधानी के रूप में और मुगलों के आक्रमणों से सुरक्षित लगा। उसके बाद महाराणा उदयसिंह ने इस स्थान पर नया शहर बसा ने के लिए सबसे पहले मोतीमहल का निर्माण किया।

उदयपुर की झीलें – Lakes in Udaipur in Hindi

Lakes in Udaipur

अरावली पर्वतमाला की गोद में स्थित उदयपुर शहर को भारत में झीलों का शहर कहा जाता है, कुछ लोग उदयपुर को पूर्व का वेनिस भी कहते है। उदयपुर में कुल सात झील है, इसके अलावा उदयपुर के आसपास के क्षेत्रों में 10-15 छोटी और बड़ी झील और तालाब है। उदयपुर में स्थित सात झीलों में से पाँच झील मानव निर्मित है।

समय समय पर उदयपुर के शासकों द्वारा बाढ़ और पानी की समस्या से निपटने के लिए छोटे-छोटे बांध का निर्माण करवाया गया तथा इन इन बांध के पानी को एकत्रित करने के लिए उदयपुर में इतनी ज्यादा संख्या में झील निर्माण करवाया गया। उदयपुर में स्थित इन सात झीलों में से कुछ झीलों का पानी आज भी उदयपुर शहर के पानी आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत है।

फतेहसागर झील उदयपुर – Fateh sagar Lake Udaipur in Hindi

Fatehsagar Lake Udaipur

उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित मानव निर्मित फतेहसागर झील दूसरी सबसे बड़ी झील है। इस मानव निर्मित झील का निर्माण 1687 में उदयपुर के महाराणा जय सिंह ने करवाया था, झील के निर्माण के 200 वर्ष बाद 1888 में यहाँ पर एक बहुत बड़ी बाढ़ आई जिस वजह से उदयपुर में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ।

उस समय दोबारा बाढ़ की भयानक परिस्थिति से बचने के लिए तत्कालीन महाराणा फतेह सिंह ने झील पर कनॉट बांध का  निर्माण करवाया और झील को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया। बाद में महाराणा फतेह सिंह के सम्मान में इस झील को फतेहसागर के नाम से पुकारा जाने लगा। उदयपुर शहर की सबसे प्रमुख झीलों में से एक फतेहसागर झील तीन छोटे-छोटे द्वीपों में बंटी हुई है।

पहले द्वीप को नेहरू पार्क के नाम से जाना जाता है यहाँ पर खाने पीने के लिए रेस्टोरेंट बना हुआ है और इसके अलावा एक छोटा चिड़ियाघर भी बना हुआ है, परिवार और बच्चों के मनोरंजन के लिए नेहरू पार्क सबसे उपयुक्त जगहों में से एक हैं। दूसरे द्वीप पर झील को आकर्षक बनाने के लिए एक वाटर जेट फव्वारा और एक सार्वजनिक उद्यान का निर्माण किया गया है।

झील के तीसरे द्वीप पर सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक सौर वैधशाला का निर्माण किया गया है। एक शांत वातावरण में लम्बे समय तक बैठने के लिए और फोटाग्राफी का आनंद लेने के लिये भी फतेहसागर झील का प्राकृतिक वातावरण उदयपुर में सबसे अच्छी जगह है। सुबह और शाम के वक़्त उदयपुर के स्थानीय निवासी फतेहसागर झील पर टहलने के लिए आना पसंद करते है। झील पर पूरे वर्ष में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम और संगीत संध्या का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और आपकी फतेहसागर झील की यात्रा को यादगार बनाने के लिए झील पर घूमने आने वाले पर्यटक बोटिंग कर सकते है और स्पीड बोट का भी आनंद ले सकते है। फतेहसागर झील पर आप दिन के किसी भी समय जा सकते है लेकिन अगर आप को बोटिंग का आनंद लेना है तो सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक जाना सबसे उपयुक्त समय रहेगा।

फतेहसागर झील उदयपुर देखने का समय – Fateh sagar Lake Udaipur Timings in Hindi

दिन में किसी भी समय।

फतेहसागर झील उदयपुर में बोटिंग चार्ज – Fateh sagar Lake Udaipur Boating Charges in Hindi

भारतीय पर्यटक :- 15-30 INR

विदेशी पर्यटक:- 60- 125 INR

मोटरबोट:-

वयस्क :- 200 INR

बच्चों के लिए :- 100 INR

स्पीड बोट:-

प्रति व्यक्ति :- 200 INR

(स्पीड बोट को चलाने की अवधि 30 मिनट रहती है। स्पीड बोट की राइड सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 4:30 बजे तक ही करवाई जाती है।)

नोट:- बोटिंग, मोटर बोट और स्पीड बोट के शुल्क और समय में किसी भी समय बदलाव किया जा सकता है।

फतेहसागर झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Fateh sagar Lake Udaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

महाराणा प्रताप स्मारक उदयपुर – Maharana Pratap Memorial Udaipur in Hindi

Maharana Pratap Memorial Udaipur

महाराणा भगतसिंह ने 18वीं शताब्दी में महाराणा प्रताप और उनके विश्वसनीय घोड़े चेतक के सम्मान में फतेहसागर झील के पास स्थित मोती मगरी की छोटी सी पहाड़ी (जिसे पर्ल हिल में कहते है) पर इस शानदार स्मारक का निर्माण करवाया। वर्तमान में  इस स्मारक को प्रताप स्मारक या फिर महाराणा प्रताप मेमोरियल के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्मारक में स्थापित महाराणा प्रताप और उनके स्वामिभक्त घोड़े के प्रतिमा आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। प्रतिमा की ऊँचाई जमीन से 11 फ़ीट है और इसका वजन 70 टन है। स्मारक में महाराणा प्रताप और उनके सहयोगियों से जुड़ा हुआ एक संग्रहालय भी बना हुआ है। संग्रहालय में मेवाड़ के समृद्ध इतिहास की जानकारी के साथ महाराणा प्रताप और उनके सहयोगियों द्वारा लड़े गए हल्दीघाटी के युद्ध का सचित्र विवरण एकदम जीवंत तरीके से किया गया है।

स्मारक के पास ही एक जापानी रॉक गार्डन भी बनाया हुआ जिसे आप कुछ समय निकाल कर देख सकते है। महाराणा प्रताप की प्रतिमा के पीछे की तरफ उदयपुर में बनी सबसे पहली इमारत मोतीमहल स्थित है। वर्तमान में मोतीमहल पूरी तरह से खंडहर बन चुका है लेकिन यहाँ सिसोदिया राजपूतों के ईष्टदेव एकलिंगजी एक छोटा से मंदिर बना हुआ है और शाम के समय मोतीमहल पर लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है।

पर्यटन विभाग द्वारा स्मारक और लाइट एंड साउंड के प्रवेश शुक्ल में बदलाव संभव है।

महाराणा प्रताप स्मारक उदयपुर में प्रवेश का समय – Maharana Pratap Memorial Udaipur Timings in Hindi

यह स्मारक पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है।

महाराणा प्रताप स्मारक उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Maharana Pratap Memorial Udaipur Entry Fee in Hindi

भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 20/- रुपये लिया जाता है और छात्रों से प्रवेश शुल्क 10/- रुपये लिया जाता है। विदेशी पर्यटकों के लिये प्रवेश शुल्क 50/- रुपये निर्धारित किया गया है।

महाराणा प्रताप स्मारक उदयपुर में लाइट एंड साउंड शो का समय – Maharana Pratap Memorial Udaipur Light And Sound Show Timings in Hindi

लाइट एंड साउंड शो गर्मियों में रात को 8:15 बजे शुरू किया जाता है और सर्दियों में रात को 7:30 बजे शुरू होता है।

महाराणा प्रताप स्मारक उदयपुर में लाइट एंड साउंड शो में प्रवेश शुल्क – Maharana Pratap Memorial Udaipur Light And Sound Show Entry Fee in Hindi

लाइट एंड साउंड शो की प्रति व्यक्ति टिकट 35/- रुपये ली जाती है।

पिछोला झील उदयपुर – Pichola Lake Udaipur in Hindi

Pichola Lake Udaipur

1362 ईस्वी में उदयपुर की स्थापना से पहले राणा लखा ने पिछोली गांव के पास पिछोला झील का निर्माण करवाया। यहाँ के रहने वाले छीतरमल बंजारा नाम के व्यक्ति ने महाराणा के कहने पर इस झील का निर्माण किया। बाद में जब महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने इस स्थान पर उदयपुर को बसाना शुरू किया तब उन्होंने पिछोला झील का भी विस्तार किया। पिछोला झील भी फतेहसागर झील की तरह चार छोटे-छोटे द्वीपों में बंटी हुई है।

झील के मध्य भाग में जग निवास बना हुआ है जो की वर्तमान में एक फाइव स्टार होटल ताज लेक पैलेस के नाम से प्रसिद्ध है। दूसरे द्वीप में जग मंदिर बना हुआ है। तीसरे द्वीप पर मोहन मंदिर बना हुआ है, मोहन मंदिर में सालाना गणगौर उत्सव का आयोजन किया जाता है। चौथे और अंतिम द्वीप पर अरसी विलास बना हुआ है।

अरसी विलास एक छोटा महल है और साथ में यह महल उस समय गोलाबारूद के गोदाम रूप में उपयोग किया जाता था। राजस्थान की अन्य मानव निर्मित झीलों की तरह पिछोला झील भी मीठे पानी की कृत्रिम झील है। झील कुल 696 हैक्टेयर में फैली हुई है और इसकी गहराई लगभग 8.5 मीटर है। समय-समय पर झील के समीप महलों, मंदिरों और घाटों का निर्माण कार्य चलता रहा है।

उदयपुर के सिटी पैलेस के सबसे खूबसूरत दृश्य पिछोला झील से ही दिखाई देते है। पिछोला झील देखने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। लेकिन अगर आप पिछोला झील में बोट की सवारी करना चाहते है तो इसके लिए आप को सामान्य से कई गुना ज्यादा बोट की सवारी का शुल्क देना पड़ेगा।

पिछोला झील पर बोट सवारी और प्रवेश शुल्क पर स्थानीय प्रशासन के द्वारा सीजन के अनुसार बदलाव किया जा सकता है।

पिछोला झील उदयपुर में प्रवेश का समय- Pichola Lake Timings Udaipur in Hindi

पिछोला झील पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह खुली रहती है, पर्यटक सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक पिछोला झील घूमने जा सकते है।

पिछोला झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Pichola Lake Entry Fee Udaipur in Hindi

प्रवेश निःशुल्क ।

पिछोला झील उदयपुर में बोटिंग चार्ज – Pichola Lake Boating Charges Udaipur in Hindi

अगर आप दिन के समय पिछोला झील में बोट की सवारी करते है तो वयस्क से शुल्क 400/- रुपये लिया जाता है और बच्चों से 200/- रुपये शुल्क लिया जाता है। शाम के समय बोट की सवारी जिसे यहाँ पर सनसेट बोट राइड कहते है का शुल्क वयस्क से 700/- रुपये और बच्चों के लिए 400/- रुपये निर्धारित किया गया है।

पिछोला झील उदयपुर में बोटिंग का समय – Pichola Lake Boating Timings Udaipur in Hindi

झील पर बोट की सवारी करने का समय सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक निर्धारित किया गया है।

सिटी पैलेस उदयपुर – City Palace Udaipur in Hindi

City Palace Udaipur

पिछोला झील के एक दम समीप स्थित उदयपुर के सबसे बड़े पर्यटक स्थल और भारत के सबसे शानदार महलों में से एक सिटी पैलेस का निर्माण उदयपुर की स्थापना के बाद महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने शुरू कर दिया था। लेकिन आज हम लोग वर्तमान मे जो सिटी पैलेस उदयपुर में देखने जाते है उसको पूरा बनाने में सिसोदिया राजपूत परिवार की 22 पीढ़ियों के राजाओं का योगदान है।

इस तरह से सिटी पैलेस को अपना वर्तमान स्वरूप पाने में कुल 400 साल लग गए। वर्तमान में सिटी पैलेस में कुल 11 छोटे बड़े महल बने हुए है। सिटी पैलेस में एक आम पर्यटक को घूमने के लिए लगभग 4-5 घंटे का से चाहिए लेकिन अगर आप के पास सिटी पैलेस से जुड़ी हुई कोई पूर्व जानकारी नहीं है तो शायद आप सिटी पैलेस में बहुत कुछ देखने से चूक सकते है। आप चाहे तो सिटी पैलेस में गाइड को हायर सकते हैं जिसके लिये आप को 200 से 250 रुपये तक देने पड़ सकते है।

या फिर आप सिटी पैलेस की सम्पूर्ण जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करके सिटी पैलेस की पूरी ट्रेवल गाइड एक दम निःशुल्क प्राप्त कर सकते है। सिटी पैलेस की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

जग महल / जग निवास / ताज लेक पैलेस – उदयपुर  – Jag Mahal / Jag Niwas / Taj Lake Palace Udaipur in Hindi

Taj Lake Palace, Udaipur

1746 में उदयपुर के तत्कालीन महाराणा जगत सिंह ने अपने और राजपरिवार के अन्य सदस्यों के लिए ग्रीष्मकालीन आवास के रूप में जग निवास का निर्माण करवाया था। उस समय जग निवास पिछोला झील के एकदम बीच में बना 83 आलीशान कमरों का एक शानदार महल था। महाराणा जगत सिंह के नाम पर ही इस महल का नाम जग निवास रखा गया।

जग निवास पूरी तरह से वास्तु को ध्यान में रखकर किया गया था महल के अधिकतम हिस्से पूर्व की तरफ मुँह करके बने हुए है ताकि सूर्योदय के समय सूर्य की सीधी रोशनी महल में प्रवेश करे। वर्तमान में जग निवास या फिर जग महल को एक फाइव स्टार होटल में तब्दील कर दिया गया है और इस अब ताज लेक पैलेस के नाम से जाना जाता है।

लेक पैलेस के रख रखाव के पूरी जिम्मेदारी ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के पास है। जग महल को सबसे पहले होटल में बदलने का विचार महाराणा भगवत सिंह के मन में आया उन्होंने जग निवास को होटल में बदलने के लिए एक अमेरिकी आर्किटेक्ट फर्म का इसकी जिम्मेदारी सौपीं।

उसके बाद ताज ग्रुप ने 1971 में लेक पैलेस के रख रखाव की जिम्मेदारी संभाली और लेक पैलेस 75 और कमरों का निर्माण करवाया। 1971 के बाद सन 2000 में भी लेक पैलेस में नवीनीकरण का कार्य करवाया गया था। पर्यटक लेक पिछोला में बोट राइड के जरिये लेक पैलेस को देख सकते है लेकिन अगर आप को इस शानदार महल को अंदर से देखना है तो आप को इसमें अपने लिए एक कमरा बुक करवाना होगा।

जग मंदिर उदयपुर – Jag Mandir Udaipur in Hindi

Jag Mandir Palace Udaipur

जग मंदिर पैलेस पिछोला झील के दक्षिणी भाग में एक छोटे से द्वीप पर स्थित एक बहुत शानदार और सुंदर महल है। ताज लेक पैलेस से जग मंदिर की दूरी लगभग 800 मीटर है। जग मंदिर का निर्माण महाराणा अमर सिंह ने 1551 में शुरू किया था और बाद में महाराणा कर्ण सिंह और महाराणा जगत सिंह ने इस महल का कार्य अपने शासन के दौरान पूरा करवाया। एक बहुत ऐतिहासिक घटनाक्रम भी जग मंदिर के निर्माण से जुड़ा हुआ है।

मुगल शासक जहाँगीर के पुत्र शाहजहाँ ने जब अपने पिता से विद्रोह किया था तब महाराणा कर्ण सिंह ने शाहजहाँ को छिपने के लिए उदयपुर में शरण दी थी। शाहजहाँ ने अपने निर्वासन काल का अधिकतम समय जग मंदिर में बिताया था। महाराणा कर्ण सिंह की उदयपुर में शासन काल की अवधि 1620 से लेकर 1628 तक रही अपने कार्यकाल में उन्होंने जग मंदिर के बाकी रहे निर्माण कार्य में अपना योगदान दिया।

महाराणा कर्ण सिंह की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी महाराणा जगत सिंह ने जग मंदिर के अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करवाया। महाराणा जगत सिंह के सम्मान में इस महल का नाम जग मंदिर रखा गया। पिछोला झील में स्थित जग मंदिर वास्तु कला का बहुत ही सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है । यह तीन मंजिला महल सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थरों का उपयोग करके बनाया गया है महल के बाहर संगमरमर से बनी 8 हाथी की मूर्तियां जग मंदिर में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

गुल महल, जग मंदिर में निर्मित सबसे पहली इमारत है जिसका निर्माण महाराणा अमर सिंह ने शुरू करवाया था। गुल महल के अलावा जग मंदिर में बंसी घाट के तरफ से प्रवेश करते है तो 8 हाथियों की मूर्तियां आप का स्वागत करती है। महल में बहुत ही सुंदर उद्यान बना हुआ है जिसमें चेमली, गुलाब, बोगनवेलिया और ताड़ के पेड़-पौधे महल की ख़ूबसूरती को और बढ़ा देते है। महल की खुली छत जिसे दरीखाना कहा जाता था अब एक रेस्टॉरेंट के रूप में उपयोग में ली जाती है।

इन सब के अलावा जग मंदिर में एक बारह पत्थरों का महल भी बना हुआ है। जग मंदिर में एक संग्रहालय भी है जिसमे सिसोदिया राजपूत वंश से जुड़ी हुई बहुत सारी महत्वपूर्ण वस्तुएँ देखने को मिलती है। जग मंदिर में पर्यटकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है लेकिन पिछोला झील में स्थित होने की वजह से पर्यटक बोट से ही जग मंदिर तक पहुंच सकते है।

जग मंदिर उदयपुर देखने का समय – Jag Mandir Udaipur Timings in Hindi

सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 06:00 तक।

जग मंदिर उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Jag Mandir Udaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क ।

जग मंदिर उदयपुर बोटिंग चार्ज – Jag Mandir Udaipur Boating Charge in Hindi

जग मंदिर तक बोट से जाने के लिये पर्यटकों को दिन के समय 450-/ रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से देना पड़ता है और दोपहर के बाद 700/- रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से बोट राइड का शुल्क देना पड़ता है।

दूध तलाई उदयपुर – Dudh Talai Udaipur in Hindi

Dudh Talai Udaipur

दूध तलाई, पिछोला झील और सिटी पैलेस (शिव पैलेस) के एक दम पास में स्थित एक छोटी झील है। सिटी पैलेस में स्थित शिव पैलेस महाराणा फतेह सिंह का निवास स्थान हुआ करता था। दूध तलाई के पास दो बहुत हैं सुदंर उद्यान बने हुए है पहला उद्यान पंडित दिन दयाल उद्यान के नाम से जाना जाता है और दूसरा माणिक्य लाल वर्मा के नाम से जाना जाता है। दिन दयाल उद्यान से पिछोला झील के बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देते है।

इसके साथ पर्यटक यहाँ से सूर्यास्त के बहुत सुंदर दृश्य भी देख सकता है। उद्यान को खूबसूरती प्रदान करने के लिए उद्यान में कृत्रिम झरना भी बनाया हुआ है। दूध तलाई में दिन दयाल उद्यान के समीप ही माणिक्य लाल वर्मा उद्यान  बना हुआ है। इस उद्यान का निर्माण 1995 में उदयपुर नगर परिषद ने करवाया। उद्यान से अरावली पर्वतमाला के बहुत सुंदर और मन मोहक दृश्य दिखाई देते है।

दूध तलाई उदयपुर में प्रवेश का समय – Dudh Talai Udaipur Timings in Hindi

सुबह 08:00 बजे से लेकर रात को 10:00 बजे तक।

दूध तलाई उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Dudh Talai Udaipur Entry Fee in Hindi

भारतीय पर्यटक – 20/- INR

छात्र – 10/- INR

विदेशी पर्यटक – 30/- INR

करणी माता रोप-वे / करणी माता मंदिर, उदयपुर – Karni Mata Rope way Udaipur in Hindi

Karni Mata Rope Way, Udaipur

उदयपुर में पिछोला झील के पास स्थित अरावली पर्वतमाला के माछला मगरा पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंशापूर्ण करणी माता के मंदिर का निर्माण महाराणा कर्ण सिंह ने करवाया था। वैसे तो करणी माता बीकानेर के राजपरिवार की ईष्टदेवी है लेकिन उदयपुर के महाराणा कर्ण सिंह ने अपनी रियासत की सुरक्षा की दृष्टि और धार्मिक मान्यता के आधार पर मंशापूर्ण करणी माता मंदिर का उदयपुर के सीमा क्षेत्र में निर्माण करवाया।

1997 में स्थानीय प्रशासन के द्वारा मंदिर परिसर में जीर्णोद्धार का कार्य भी करवाया गया। मंशापूर्ण करणी माता मंदिर से उदयपुर के सिटी पैलेस और पिछोला झीलें के बेहद मनोरम दृश्य दिखाई देते है। करणी माता मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते है। पहला आप सीढ़ियों द्वारा पैदल चढ़ाई करके मंदिर तक पहुँच सकते है।

दूसरा दीनदयाल उद्यान से मंदिर तक जाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने रोप-वे बनाया हुआ। रोप-वे से मंदिर तक जाने के लिये सिर्फ कुछ ही मिनट लगते है। रोप-वे से उदयपुर के बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देते है। उदयपुर शहर का शानदार Ariel View  देखने के लिए मंशापूर्ण करणी माता का मंदिर सबसे अच्छे और उपयुक्त स्थानों में से एक है।

करणी माता मंदिर उदयपुर में दर्शन का समय – Karni Mata Temple Udaipur Timings in Hindi

सुबह 09 :00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

करणी माता मंदिर उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Karni Mata Temple Udaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क ।

करणी माता रोप-वे उदयपुर का समय – Karni Mata Ropeway Udaipur Timings in Hindi

सुबह 09 :00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

करणी माता रोप-वे उदयपुर टिकट प्राइस – Karni Mata Ropeway Udaipur Ticket Price in Hindi

रोप-वे पर भारतीय पर्यटकों से 100/- रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता है और 50/- रुपये छोटे बच्चों के लिए निर्धारित किये गए है। विदेशी पर्यटकों से प्रति व्यक्ति 300/- रुपये शुल्क लिया जाता है छोटे बच्चों के लिए 100/- रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। बच्चों की ऊंचाई 110 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

विंटेज क्लासिक कार म्यूजियम उदयपुर – Vintage Car Museum Udaipur in Hindi

Vintage Car Museum, Udaipur

उदयपुर के राणा अरविंद सिंह जी मेवाड़ अपने कारों के प्रति लगाव के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। अपने इसी शौक के चलते उन्होंने उदयपुर के एकलौते विंटेज क्लासिक कार म्यूजियम की स्थापना 15 फरवरी 2000 को पूर्व मेवाड़ राज्य मोटर गैराज की इमारत में  किया । इस विंटेज कार संग्रहालय का उद्धघाटन इंग्लैंड के राष्ट्रीय मोटर संग्रहालय के संस्थापक लार्ड मोंटेगु ब्यूलियू ने किया।

इस कार संग्रहालय में कुल 20 विंटेज कारों का संग्रह किया गया है। इन विंटेज कारों के संग्रह में रोल्स-रॉयस, फोर्ड, कैडिलेक, एमजी-टीसी कन्वर्टिबल, मर्सिडीज  और वॉक्सहॉल-12 जैसी शानदार कार के विंटेज मॉडल देखने को मिलते है। संग्रहालय में सभी कारों के मॉडल 19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर की कारें है। कारों के अलावा संग्रहालय में सौर ऊर्जा से चलने वाले रिक्शा को भी कारों के संग्रहालय में शामिल किया गया है।

संग्रहालय में शैल कंपनी का एक पुराना पेट्रोल पंप भी बना हुआ है यह पुराना पेट्रोल पंप बरबस ही पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है। कार प्रेमियों और कार कलेक्टर्स के लिए यह संग्रहालय किसी स्वर्ग से कम नहीं है। दुनिया के बहुत से विंटेज कार कलेक्टर्स और ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोग इस कार संग्रहालय का देखने के लिए आते रहते है। संग्रहालय में रखी गई सभी कारें आज भी बहुत अच्छी तरह से सड़कों पर चल सकती है।

संग्रहालय की कई विंटेज कारों को विश्व के बहुत सारे पुरस्कार भी मिले हुए है।

विंटेज क्लासिक कार म्यूजियम उदयपुर देखने का समय – Vintage Car Museum Udaipur Timings in Hindi

सुबह 09 :00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

विंटेज क्लासिक कार म्यूजियम उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Vintage Car Museum Udaipur Entry Fee in Hindi

वयस्कों के लिए संग्रहालय में प्रवेश शुल्क 250/- रुपये निर्धारित किया गया है और बच्चों से प्रवेश शुल्क 150/- रुपये लिया जाता है।

उदयपुर में होटल – Hotel in Udaipur in Hindi

Ariel View of Udaipur City

उदयपुर राजस्थान के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। पूरे विश्व से लाखों की संख्या में पर्यटक राजस्थान में घूमने के लिए आते है और उन सभी पर्यटकों की बकेट लिस्ट में उदयपुर का नाम जरूर होता है। उदयपुर राजस्थान के सबसे महँगे शहरों में से भी एक है।

वर्तमान में अगर आप उदयपुर घूमने आ रहे है तो ऑनलाइन हॉटेल बुकिंग वाली वेबसाइट पर आप बहुत आराम से अपने लिए रूम बुक करवा सकते है और आप चाहें तो उदयपुर पहुँच कर भी अपने लिए हॉटेल का रूम बुक करवा सकते है। अगर आप उदयपुर में रुकने के हिसाब से बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते है तो यहाँ पर कुछ ऐसी धर्मशालाएं भी बनी हुई जिनमें एक दिन का किराया मात्र 100/- रुपये ही है।

उदयपुर में आने वाले पर्यटक 100/- रुपये के कमरे से लेकर लाखों रुपये के कमरे बुक करवा सकते है। अब यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है की आप उदयपुर में रुकने के लिये कितना रुपया खर्च करना चाहते है।

उदयपुर कैसे पहुंचे – How To reach in Udaipur in Hindi

Old Hunting Lodge in Udaipur

हवाई मार्ग से उदयपुर कैसे पहुंचे – How To reach in Udaipur By Road in Hindi

उदयपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर है साथ में ही एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से यह शहर देश के प्रमुख शहरों से राजमार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देश के लगभग सभी बड़े शहरों से उदयपुर के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है। अगर आप चाहे तो अपने निजी वाहन या फिर कैब द्वारा उदयपुर बहुत आसानी से पहुँच सकते है।

रेल मार्ग से उदयपुर कैसे पहुंचे – How To reach in Udaipur By Train in Hindi

पर्यटक रेल मार्ग द्वारा भी उदयपुर बहुत आसानी पहुँच सकते है। देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से उदयपुर के लिए नियमित रेल सेवा उपलब्ध है।

हवाई मार्ग से उदयपुर कैसे पहुंचे – How To reach in Udaipur By Air in Hindi

उदयपुर के हवाई अड्डे का नाम वैसे तो महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है लेकिन स्थानीय लोग इस डबोक हवाई अड्डे के नाम से ज्यादा पुकारते है। उदयपुर शहर से डबोक हवाई अड्डे की दूरी 22 किलोमीटर है।

देश के कुछ प्रमुख शहरों से उदयपुर के नियमित हवाई सेवा उपलब्ध है लेकिन अगर आप किसी दूसरे देश से उदयपुर की यात्रा कर रहे है तो आप को उदयपुर के सबसे नजदीकी शहर अहमदाबाद आना होगा। अहमदाबाद से उदयपुर की दूरी मात्र 260 किलोमीटर है। विश्व के कई प्रमुख हवाई अड्डों अहमदाबाद के लिए नियमित हवाई सेवा चालू रहती है।

उदयपुर के नजदीकी पर्यटक स्थल – Places to visit near Udaipur

उदयपुर के आसपास बहुत सारे खूबसूरत पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-02, उदयपुर Part-03, उदयपुर Part-04, सिटी पैलेस, कुम्भलगढ़ , कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जोधपुर , रणकपुर , सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर , चित्तौड़गढ़ , नाथद्वारा , माउंटआबू और गुजरात में स्थित अम्बा जी मंदिर भी आप समय निकाल कर जा सकते है।

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख

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